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Friday, April 13, 2012

कौन हैं निर्मल बाबा

निर्मल दरबार के नाम से यह राशि सिर्फ जनवरी से अप्रैल पहले हफ्ते तक जमा हुई
रांची : निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा की आय के दो स्त्रोत हैं. पहला निर्मल दरबार के समागम में भाग लेने के लिए निबंधन शुल्क और दूसरा दसवंद. निबंधन शुल्क दो हजार रुपये प्रति व्यक्ति (दो वर्ष से ऊपर के भक्त का भी पूरा पैसा) लगता है. जबकि दसवंद (इसकी राशि पूर्णिमा के पहले जमा करनी होती है) है अपनी आय का 10वां हिस्सा. बाबा और निर्मल दरबार के तीन बैंकों में खाते हैं. ये खाते हैं पंजाब नेशनल बैंक, आइसीआइसीआइ और यश बैंक में.

प्रभात खबर को इन बैंकों में से दो प्रमुख बैंक के खाते का हिसाब हाथ लगा है. इस खाते को देखें, तो इसमें सिर्फ इस वर्ष (जनवरी 2012 से अप्रैल 2012 के पहले हफ्ते तक) 109 करोड़ रुपये जमा हुए हैं. रोज लगभग 1.11 करोड़. न सिर्फ झारखंड-बिहार-बंगाल से, बल्कि पूरे देश में इस खाते में पैसे डाले गये हैं. एक निजी बैंक के खाते में 12 अप्रैल 2012 को 14.93 करोड़ रुपये (कुल 14,93,50, 913.89 रुपये) जमा हुए हैं. वह भी सुबह 9.30 बजे से एक बजे तक. शाम तक इस खाते में करीब 16 करोड़ जमा किये गये. इस बैंक खाते का पता है निर्मल दरबार, ई 66, हंसराज गुप्ता मार्ग, ग्रेटर कैलाश, पार्ट वन, दिल्ली 110048.
25 करोड़ फिक्स्ड डिपोजिट
एक प्रमुख बैंक में बाबा के नाम 25 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपोजिट भी है. इन खातों में से किसी नीलम कपूर के नाम से ड्राफ्ट बनवाये गये हैं. इसके अलावा कुछ दूसरी कंपनियों के नाम से भी ड्राफ्ट बनाये गये हैं. जानकारी के मुताबिक निर्मल बाबा खुद दो तरह के खातों का संचालन करते हैं. एक बैंकखाता अपने नाम (निर्मलजीत सिंह नरूला) और दूसरा खाता निर्मल दरबार के नाम से हैं. निर्मल दरबार के खातों में भक्तों द्वारा रुपया जमा कराये जाने के बाद बाबा उसे अपने खाते में ट्रांसफर कर देते हैं.
सुषमा नरूला नोमिनी हैं
खातों में सुषमा नरूला का नाम नोमिनी के रूप में दर्ज है. वह निर्मल बाबा की पत्नी हैं. निर्मल दरबार के खाते में जमा कराये गये 109 करोड़ रुपये में से 14.87 करोड़ रुपये के ड्राफ्ट बनवाये गये. यह ड्राफ्ट डीएलएफ-जीके रेजीडेंसी के नाम से था. डीएलएफ-जीके रेजीडेंसी गुड़गांव में स्थित है और यहां के मकान काफी महंगे बिकते हैं. बाबा ने अपने इसी बैंक में जमा रुपयों में से मार्च के प्रथम सप्ताह में 53 करोड़ रुपये एक निजी बैंक में ट्रांसफर कर दिये. मार्च में ही नीलम कपूर के नाम से 1.60 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये. बाबा के खाते से अगस्त 2011 में कंपिटेंट होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम 17.89 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट बनाया गया. इसके अलावा एस सालू कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम भी 80 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये.
एक दूसरे बैंक में हर दिन एक करोड़
 एक दूसरे प्रमुख निजी बैंक में 12 अप्रैल की शाम तक 16 करोड़ रुपये जमा कराये गये. इस बैंक में देश भर में औसतन रोज सात सौ इंट्री होती है और 80 फीसदी से ज्यादा राशि नकद जमा की जाती है. इस खाते से पिछले चार दिनों से न तो किसी राशि की निकासी हुई है और न ही दूसरे खाते में ट्रांसफर.
जमशेदपुर से गये 3.89 करोड़
निर्मल बाबा के एक प्रमुख बैंक के एकाउंट नंबर पर जमशेदपुर से एक साल में गये हैं 3.89 करोड़. हर दिन 30 से 40 लोग उनके एकाउंट में रुपये डालने के लिए आते हैं. कोई एक हजार रुपये डालता है, तो कोई 10 हजार. तो कोई पचास हजार रुपये तक डाल चुका है. बैंक ड्राफ्ट के जरिये भी लोग अपना दसवंद सीधे निर्मल बाबा को भेज रहे हैं.
बाबा का खर्च कितना
निर्मल बाबा के समागम पर मामूली ही खर्च होते हैं. समागम काफी कम देर के लिए होता है. इस कारण इनडोर हाल या स्टेडियम के लिए काफी कम पैसे देने पड़ते हैं. सिर्फ आडियो-विजुअल और सुरक्षा पर ही राशि खर्च होती है. न्यूज चैनलों पर विज्ञापन का निर्मल बाबा का खर्च कुछ अधिक है. यह राशि चैनल की हैसियत के हिसाब से तय होती है. यह राशि 25 हजार से 5.5 लाख रुपये प्रति एपिसोड तक होती है. बाबा के चैनलों पर जितने भी कार्यक्रम होते हैं, पेड होते हैं. यानी निर्मल बाबा इसके लिए चैनलों को पैसे देते हैं.

बाबा के कैसे-कैसे भक्त

समागम में भाग लेने के लिए सिर्फ आम लोग नहीं जाते, बड़े-बड़े अधिकारी, राजनेता, साफ्टवेयर इंजीनियर भी वहां पहुंचते हैं. एक समागम में आयकर विभाग के एक अधिकारी से बाबा ने अजीब सवाल किये. उनसे पूछा : आपने भुट्टा कब खाया.

भक्त ने कहा, 10 दिन पहले. बाबा ने पूछा, भुट्टा बेचनेवाले से कुछ विवाद हुआ था क्या, उक्त अधिकारी ने कहा, नहीं. फिर कहा : बाबा मैं परेशान हूं, कोई कृपा नहीं हो रही है, तो बाबा ने कहा : कुछ भुट्टा लेकर गरीबों में बांट दो. तुम्हारे सारे काम बन जायेंगे.

राशि गयी कहां 
निर्मल दरबार के खाते से निर्मलजीत सिंह के खाते में

- 14.87 करोड़ : का ड्राफ्ट डीएलएफ जीके रेजीडेंसी के नाम
- 53.00 करोड़ : रुपये एक निजी बैंक में ट्रांसफर किये गये
- 1.600 करोड़ : ट्रांसफर किये गये नीलम कपूर के नाम
- 17.89 करोड़ : ट्रांसफर कंपिटेंट होल्डिंग के नाम
- 80.00 लाख : रुपये ट्रांसफर एस सालू कंस्ट्रक्शन को

पीएनबी एकाउंट नंबर : 1546-0021-0002-3105.
आइसीआइसीआइ एकाउंट नंबर : 022-905-010576

बैंक में ही जमा होते हैं रुपये

निर्मल बाबा सभी पैसे बैंक के माध्यम से ही लेते हैं. यानी नकद या ड्राफ्ट भी उनके बैंक खातों में ही जमा होते हैं. दसवंद के पैसे भी खाते में ही जाते हैं.

भक्त कहते हैं कि बाबा इसका टैक्स भी सरकार को देते हैं.

- साढ़े चार घंटे में 14.93 करोड़

- 12 अप्रैल 2012 को एक दूसरे बैंक खाते में जमा हुए

कैसे आते हैं करोड़ो
निर्मल बाबा के समागम में कम से कम पांच हजार लोग जरूर रहते हैं. कार्यक्रम स्थल की क्षमता के मुताबिक भक्तों की संख्या बढ़ती-घटती रहती है. कहीं-कहीं यह 10 हजार तक हो जाती है. यदि एक समागम में कम से कम पांच हजार लोग भी आयें, तो सिर्फ रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में एक दिन में एक करोड़ रुपये की आय होती है. आम तौर पर निर्मल बाबा का समागम हर दूसरे दिन होता है. यानी महीने में 15 दिन. इस हिसाब से 15 करोड़ तो सिर्फ रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में प्राप्त होते हैं. इसके अलावा दसवंद भी जमा कराने का आग्रह निर्मल बाबा करते हैं. दसवंद यानी अपनी आय का 10वां हिस्सा. पर इसकी कोई सीमा नहीं है. कोई लाख भी दे देता है. कोई हजार और कोई पांच सौ भी. बैंकों के अनुमानित आंकड़े बताते हैं कि इससे भी कम से कम 30 करोड़ रुपये बाबा के खाते में जमा होते हैं. यानी एक माह में कम से कम 45 करोड़ रुपये.

- फेसबुक पर देवेंद्र जी ने एक टिप्पणी डाली है. इस टिप्पणी को प्रकाशित किया जा रहा है.

- कीमती लिपस्टिक लगाने से भी कृपा आती है क्या?


मैं भी निर्मल बाबा का प्रोग्राम टीवी पर देखता हूं और समझने की कोशिश करता रहा हूं कि आखिर कवि कहना क्या चाहता है. कभी अध्यात्म या आत्मा-परमात्मा के अंर्तसबंधों पर उनकी कोई बात नहीं सुनी. यही प्रतीत हुआ कि वे दैवीय शक्तियों की कृपा के सीएनएफ एजेंट बन कर कॉरपोरेट घरानों के हित साधन में लगे हुए हैं. वे हमेशा ब्रांडेड चीजें खरीदने की सलाह देते हैं. आर्थिक समस्याओं से जूझते अपने भक्तों को एसी क्लास में रेल यात्र करने की सलाह देते हैं. पार्लर जाने की सलाह देते हैं. मंदिर के गुल्लक में 50 से 500 रुपये तक डालने पर कृपा आ सकती है, ऐसा दावा करते हैं.

दैवीय शक्तियों की कृपा की मूल्य तालिका उन्हें कैसे उपलब्ध हुई वहीं जानें, लेकिन जहां तक मैंने सुना है हिंदू शुभ कार्यो के लिए विषम संख्या में रुपयों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि अशुभ कार्यो के लिए सम संख्या का. मसलन पूजा पाठ, शादी-व्याह आदि में रकम में एक जोड़ देते हैं. मसलन 51, 101, 501, 1001 ,10001 आदि, जबकि गम के मौकों पर 50 ,100, 1000 यानी सम संख्या का.

फिर निर्मल बाबा गुल्लक में सम संख्या में नोट डालने को क्यों कहते हैं, पता नहीं. दूसरी बात यह है कि वह ताबीज आदि उपायों को छोड़ने की सलाह देकर अंधविश्वास का विरोध तो करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ ईशकृपा के विचित्र माध्यमों का जिक्र कर एक नयी किस्म के अंधविश्वास का सृजन भी करते हैं. उनके मुताबिक खास ब्रांड का कीमती लिपस्टिक लगाने से भी कृपा आती है और घटिया लिपस्टिक लगाने से रुकती है. मानो दैवीय शक्तियों की टकटकी महिलाओं के होटों पर लगी हो. पुरुषों के हेयर स्टाइल, उनके पहनावे सब कृपा का आधार बनते हैं. काला पर्स, मनी प्लांट आदि लगाने से धनवर्षा हाने का दावा अंधविश्वास की नयी भाषा गढ़ती है.

बहरहाल भारत बाबाओं का देश रहा है. निर्मल बाबा इस श्रृंखला की एक नयी कड़ी है. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि ईश्वर की कृपा को भी प्रोडक्ट बना कर उसकी मार्केटिंग की जा सकती है. यही वह कर भी रहे हैं. पता नहीं इस देश के लोग कब इन पाखंडियों को पहचानना और उसके अनुरूप व्यवहार करना सीखेंगे. कब तक ऐसे लोगों के पीछे अपनी जमा पूंजी लुटाते रहेंगे. इनका भंडाफोड़ करना मीडिया का परम कर्तव्य है.

- निर्मल बाबा के मुताबिक शेयर ट्रेडिंग करनेवालों पर ऐसे आती है कृपा

निर्मल बाबा के अनुसार शेयर ट्रेडिंग करनेवालों पर कृपा दूसरे तरीके से आती है. ऐसे लोगों पर शक्ति की कृपा कुछ कड़ाई से लागू होती है. ट्रेडिंग करने वालों को हर दिन की कमाई के हिसाब से दसवंद देना चाहिए. तब इन पर शक्ति की कृपा आती है. ऐसा नहीं करने पर दो-तीन दिन बाद कृपा आनी बंद हो जाती है और ट्रेडिंग में नुकसान होने लगता है. शेयर ट्रेडिंग करनेवाले लोग पूर्णिमा के दिन दसवंद अवश्य निकालें. स्टार न्यूज 12 मई से निर्मल बाबा के कार्यक्रम का प्रसारण बंद करेगा

प्रभात खबर में प्रकाशित विजय पाठक की रिपोर्ट. इस खबर पर आप अपनी प्रतिक्रिया   पर भेज सकते हैं

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