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Monday, May 28, 2012

गाडरवारा : पुलिस संरक्षण में सूदखोरों का आंतक

         तहसील प्रमुख// राजीव ऋ षि कुमार जैन (गाडरवारा // टाइम्स ऑफ क्राइम)  
                                                        ब्यूरो प्रमुख से संपर्क:- 9926650850

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गाडरवारा. शासन द्वारा ब्याज का काम करने वाले लोगों के लिये इस धंधे का लाइसेंस बनवाना अनिवार्य किया गया है तथा वे एक निश्चित ब्याज दर से ज्यादा ब्याज लोगों से नहीं वसूल सकते हैं यह शर्त भी उस लाइसेंस में रखी जाती है परन्तु देखने में आता है कि गांव-गांव में ऐसे सूदखोरों का साम्राज्य स्थापित है जो बिना लाइसेंस के सूदखोरी का धंधा करते हैं तथा भारी ब्याज वसूलकर लोगों का खून चूसने में लगे रहते हैं तथा इसकी कमाई व अपने रसूख के बल पर गुंडागर्दी का पर्याय भी बन जाते हैं साथ ही इसी रसूख के चलते पुलिस भी इन पर कार्यवाही नहीं करती है बल्कि पुलिस संरक्षण में इनका सूदखोरी का धंधा जोरशोर से जारी रहता है, अपनी ब्याज पर दी गई राशि से कई गुना ज्यादा वसूलने के बावजूद भी लोगों पर इनका कर्ज लदा रहता है तथा इनका तकाजा जब चाहे चलता रहता है अपनी रकम की वसूली के लिये ये लोग किसी भी स्तर पर जा सकते हैं चाहे उसके लिये इन्हें गाली-गलौज, मारपीट, अभद्रता आदि भी क्यों ना करना पड़े, कुछ इसी तरह का मामला पलोहाबड़ा थानांतर्गत ग्राम लिलवानी में प्रकाश में आया है जहां सूदखोरों की गुंडागर्दी के चलते पीडि़त परिवार को अपनी दुकान तक बंद करना पड़ गई है तथा अपने ही घर में बंदियों की भांति रहकर जीवन यापन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

क्या है मामला- 
 
पलोहा थानांतर्गत ग्राम लिलवानी निवासी कमलेश कुमार श्रीवास्तव उनकी पत्नि शशिबाला श्रीवास्तव तथा पुत्र सौरभ श्रीवास्तव पर सूदखोरों द्वारा ऐसा सितम ढाया जा रहा है कि कमलेश कुमार श्रीवास्तव के पुत्र सौरभ श्रीवास्तव को तो गांव तक छोडऩा पड़ गया है तथा वह अपनी नानी के यहां करेली में रहने को मजबूर है वहीं गांव में स्थित 35 वर्ष पुरानी इनकी किराने की दुकान भी इन्हें बंद करना पड़ गई है क्योंकि सूदखोरों ने धमकी दे रखी है कि जब तक हमारा पैसा नहीं लौटा दिया जाता तब तक दुकान नहीं खोल सकते, इनकी दहशत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कमलेश कुमार श्रीवास्तव अपनी पत्नि के साथ अपने ही घर मेंं बंदियों की तरह रहने को मजबूर हैं तथा दहशत के चलते घर से भी नहीं निकल पाते हैं। दरअसल कमलेश कुमार श्रीवास्तव ने गांव के ही एक सूदखोर मोहन मिश्रा से ब्याज पर 5 हजार रूपये लिये थे जिसके ऐवज में उन्होंने मोहन मिश्रा को 12 हजार रूपये लौटा दिये हैं उसके बावजूद भी वह उनसे और पैसे की मांग कर रहा है तथा आये दिन उनसे गाली-गलौज करता है तथा पैसे नहीं देने पर उठवाने की धमकी भी देता है, घर के दरवाजे पर उसके द्वारा एक बार कुल्हाड़ी से भी हमला किया जा चुका है जिसके निशान दरवाजे पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं, दिनांक 11.5.2012 को भी मोहन मिश्रा द्वारा इन लोगों के साथ इनके घर पर गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी गई थी जिसकी दहशत के चलते दोनों पति-पत्नि भागकर गाडरवारा आ गये थे तथा गाडरवारा में जहां उनका पुत्र कार्य करता है वहां पहुंचकर उन्होंने अपने पुत्र को पूरे घटना से अवगत कराया जिसके उपरांत पुत्र सौरभ श्रीवास्तव अपनी मॉ शशिबाला श्रीवास्तव को लेकर थाना पलोहाबड़ा गया जहां उसकी शिकायत भी ठीक ढंग से नहीं लिखी गई।

पुलिस की है मिली भगत- 
 
जब दोनों लोग पलोहा थाना पहुंचे तथा उन्होंने उस दिन की घटना का पूरा ब्यौरा थाना प्रभारी अशोक दुबे को बताया तथा पूर्व में भी इसी तरह परेशान करने की बात कही तो थाना प्रभारी ने इस मामले में मात्र पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचना के तहत रिपोर्ट दर्ज की साथ ही रिपोर्ट सौरभ श्रीवास्तव के नाम से दर्ज की गई जबकि घटना उसकी मॉ के साथ घटित हुई थी तथा वे रिपोर्ट के समय वहां उपस्थित भी थीं जो कि उनकी संवेदनहीनता को उजागर करता है जो परिवार सूदखोरों की दहशत के कारण ठीक से गांव में भी नहीं रह पा रहा है ऐसे मामले को थाना प्रभारी द्वारा पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य मामला मानना सूदखोरों से उनकी मिलीभगत की ओर इशारा करता है, इस मामले में जब थाना प्रभारी से जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि हमने 107, 116 का मामला दर्ज किया है तथा एक हवलदार को उनको पकडऩे भेजा है, परन्तु देखने में आया कि उक्त हवलदार भी ग्राम लिलवानी में मोहन मिश्रा के घर से अपनी आवभगत करवाकर वापस लौट आया इस मामले में गांव में जनचर्चा है कि पुलिस को 5 हजार रू. रिश्वत के तौर पर दिये गये हैं।

सूदखोर के हौसले बुलंद- 
 
मोहन मिश्रा को इस बात की जानकारी जब लगी कि ये लोग उसकी रिपोर्ट करने गये थे तो उसके द्वारा अब इन्हें और भी ज्यादा परेशान किया जा रहा है साथ ही कहा जा रहा है कि तुम लोगों को मैं देख लूंगा तथा पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाडऩे वाली।

कमलेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है
 
कि मोहन मिश्रा से मैंने 5 हजार रूपये लिये थे जिसके बदले में 12 हजार रूपये दे चुका हूॅ उसके बावजूद हमारे साथ आये दिन वो गाली-गलौज करता है तथा जान से मारने की धमकी देता है उसकी दहशत के चलते मैंने अपने पुत्र को भी अपने नानी के यहां पहुंचा दिया है इनकी दहशत के कारण मेरी 35 साल पुरानी दुकान भी बंद हो गई है तथा हमारे ऊपर रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है जैसे तैसे ससुराल से सहायता से मेरा घर चल पा रहा है मेरे बेटे को भी 1500 रू. की नौकरी करना पड़ रही है।

शशिबाला श्रीवास्तव का कहना है 
 
कि हमारे साथ आये दिन गाली-गलौज होती रहती है इनकी दहशत के कारण हम लोग घर में कैदियों की तरह रह रहे हैं हम अपना मकान बेचकर गांव छोडक़र जाना चाहते हैं परन्तु इनकी दहशत के कारण हमारा मकान भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है अगर कोई ग्राहक आता भी है तो ये उसे भी धमकी देकर डरा देते हैं।  सौरभ श्रीवास्तव का कहना है कि हम रिपोर्ट दर्ज कराने पलोहा थाना गये थे परन्तु हमारी पीड़ा थाना प्रभारी ने नहीं समझी तथा मामूली सूचना के रूप में रिपोर्ट दर्ज कर ली हम लोग इनसे बहुत ज्यादा परेशान हैं अगर पुलिस इस मामले में कार्यवाही नहीं करती है तो हम लोगों को मजबूरी में आत्महत्या करनी पड़ेगी।

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