अपनी कथित गिरफ्तारी पर गवाह ने किया सवाल ......? बैतूल,
(रामकिशोर पंवार)
ताप्तीचंल में बसे बैतूल जिले में फिल्मो का असर कहे या
मानवीय अधिकारो के प्रति जागरूकता का प्रभाव भरी अदालत में एक गवाह ने
अपने मानवीय अधिकारों की दुहाई देते हुए समक्ष न्यायालय को ही सकंट में डाल
दिया। अपनी गिरफ्तारी और उसे अपराधी की तरह न्यायालय में लाने पर सवाल
उठाने वाले सरकारी गवाह ने न्यायालय से जब सवाल - जवाब करने शुरू किए तो
न्यायालय भी पेशोपश की स्थिति में आ गया। पूरा मामला जिला मुख्यालय स्थित
जिला सत्र न्यायालय परिसर की न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, आनंद
जाम्भुलकर की न्यायालय का है। जहां पर विधिक साक्षरता अभियान से कोसो दूर
एक गवाह ने अदालत से सवाल पूछ बैठा कि उसे कितनी बार कब - कब न्यायालय से
गवाही हेतू समंस - जमानती - गैर जमानती वारंट जारी किया गया है तथा उसकी
किसके द्वारा प्रमाणिक तामीली की गई है। न्यायिक अधिकारी ने लोक सेवक का
धर्म बखूबी निभाते हुए गवाह के सवालों को सुना और उसकी समस्या को समझा।
सवाल न्यायालय में गवाह अतिथि की तरह होता हैं और अतिथि की शिकायत कानून की
प्रक्रिया से जुड़ी हुई थी। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी,
न्यायमूर्ति आनंद जाम्भुलकर बैतूल की अदालत में दहेज प्रताडऩा के मुकदमें
में सुनवाई के दौरान बैतूल जिले के बहुसंख्यक पवांर समाज के पाथाखेड़ा
क्षेत्र के अध्यक्ष शंकरलाल डोंगीे ने न्यायिक अधिकारी के समक्ष सवाल उठाकर
स्वंय के विधिक साक्षर होने का परिचय दे डाला। मानवअधिकार और कानून की
प्रक्रिया का जो सवाल गवाह ने उठाया वही सवाल उठाने का वकील कभी साहस तक
नहीं करते हैं। पुलिस थाना सारणी के अंतर्गत पुलिस चौकी पाथाखेड़ा के अपराध
क्रमांक 227/10 में फरियादी मीना पंवार निवासी अंबेडकर नगर पाथाखेड़ा ने 6
जुलाई 2010 को दहेज प्रताडऩा और क्रूरता का अपराध अपने पति रमेश, शिवशंकर,
ससुर लल्लु, सास कमलाबाई के विरूद्ध दर्ज करवाया गया। पुलिस अधीक्षक को
दिए गए आवेदन पत्र पर कार्यवाही करते हुए पुलिस चौकी ने अपराध धारा 498(क)
तथा 3,4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर तहकीकात के बाद आरोप
पत्र न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया गया था। न्यायालय न्यायिक
दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, आनंद जाम्भुलकर की अदालत के दाडिक प्रकरण
क्रमांक 1589/10, शासन विरूद्ध रमेश व अन्य में आरोप पत्र के अनुसार कुल 9
गवाह हैं। प्रमुख गवाहों का अदालत में परीक्षण किया जा चुका हैं। पुलिस
चौकी पाथाखेड़ा से गिरफ्तारी वारंट के तहत पेश किए गए गवाह शंकर पिता
पाण्डु डोंगरे ने न्यायिक अधिकारी से पुछा कि अदालत ने मुझे गवाही देने के
लिए समनस, जमानती वारंट कब कब जारी किया हैं? पुलिस मुझे सीधे गिरफ्तारी
वारंट से कैसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर सकती हैं? सवाल का जवाब
पुलिस के पास तो मौजूद था। पुलिस चौकी के आरक्षक के पास न्यायालय से जारी
किया गया गिरफ्तारी वारंट था। न्यायिक अधिकारी ने बड़ी ही शालीनता से गवाह
के सवालों को सुना और खामोश ही रहे। गवाह को तलब किए जाने की प्रक्रिया पर
न्यायिक अधिकारी ने कुछ प्रतिउत्तर नहीं दिया। न्यायिक अधिकारी के समक्ष
सवाल उठाने वाला शंकर कोयला कंपनी में कोयला कामगार हैं और क्षत्रिय पवांर
समाज, पाथाखेडा, का अध्यक्ष हैं। अगर मामला किसी विधायक, सांसद और मंत्री
का होता तो भला क्या होता?
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