बैतूल जिले में चौतरफा ड्रायवर्शन एवं सरकारी जमीनो की अदला बदली
बैतूल // रामकिशोर पंवार
Present by : toc news internet channal
ताप्तीचंल में बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में इस
समय जिले में किसी भी राजस्व विभाग के कर्मचारी या अधिकारी को इस बात का
बिलकुल भी डर नहीं है कि यदि कल जांच हुई तो उनका क्या होगा..? पेंशन सहित
पूरी सर्विस काल की जमा पूंजी को दांव पर रख कर सरकारी जमीनो सहित अन्य
जमीनो एवं ट्रस्टो की भूमि की खरीदी - बिक्री का गोरखधंधा इस कद र चल रहा
है कि बैतूल जिला मुख्यालय के एक एसडीएम सतेन्द्र अग्रवाल को उनके खिलाफ चल
रही आठ विभागीय जांचो के परिणामों को दर किनार रख कर छै माह का एक्सटेंशन
दिया जा रहा है ताकि इन छै महिनो में उक्त अधिकारी अतिक्रमण से लेकर भूमि
के ड्रायवर्शन तक के मामलो में खुल कर दोनो हाथो से माल बटोर सके। मुलताई
में राम मंदिर की भूमि को बेचने की अनुमति के बाद विवादो में आए एसडीएम
सतेन्द्र अग्रवाल को चौतरफा भूमाफियाओं और कालोनाइजरो ने घेर रखा है। चौबिस
घंटो में से बीस घंटे बस दलालो एवं बिचौलिए से घिरे इस अधिकारी को इस वर्ष
सेवानिवृति मिलना तय है लेकिन उसके खिलाफ चल रही 8 से अधिक विभागीय जांचो
को दरकिनार करके उसे एक्सटेंशन देने के लिए कांग्रेसी और भाजपाई के साथ
स्वंय जिले के प्रभारी मंत्री तक विशेष रूचि ले रहे है। पड़ौसी जिले के
एसडीएम पर अनेको गंभीर आरोपो के लगने के बाद भी जिला प्रशासन का मौन धारण
रखना किसी साजिश का हिस्सा है या फिर उन पर बनाया जा रहा चौतरफा दबाव कहा
नहीं जा सकता है। बैतूल जिले में सबसे बदनाम विभाग के रूप में सामने आ रहा
जिला कलैक्टर के अधिनस्थ राजस्व विभाग में इस समय सिर्फ आने दो और खाने दो
का सिद्धांत चल रहा है। पूरा मामला यूं उजागर नहीं होता यदि हाल ही में
पटवारियों की तबादला सूची जारी नहीं होती। तबादला सूचि जारी होने के बाद से
पूरा मामला गरमाने लगा। एक दर्जन से अधिक एक सप्ताह में हुए भूमाफियाओं की
जमीन के ड्रायवर्शन के मामले में दो करोड़ से अधिक डी ड्रील बैतूल जिले के
कालोनाइजरो , छुटभैया पत्रकारों , सत्तापक्ष के नेताओं तथा कुछ बिचौलिए के
माध्यम से हुई है। पूरी सर्विस और फण्ड तथा पेंशन को दांव पर रख कर एक
सूत्रिय कार्यक्रम की जिला कलैक्टर को खबर है भी या नहीं कुछ कहा नहीं जा
सकता लेकिन उनका पूरा मामले में मौन साधना भी किसी गहरे राज का कारण बना
हुआ है। सूत्रो के अनुसार पटवारियों के तबादला होने के बाद गृह तहसील को
लेकर बैतूल के पटवारी हलकों में खासा बवाल मचा हुआ है। जिन पटवारियों के
गृह तहसील के आधार पर तबादले किए गए हैं उनको इस बात पर आपत्ति है कि वर्षो
से बैतूल तहसील में ही पदस्थ उन पटवारियों के तबादले अन्य तहसीलों में
क्यों नहीं किए गए जो वास्तव में जो बैतूल तहसील के ही गृह निवासी हैं। इस
मामले में यह सामने आ रहा है कि तबादले से बचने के लिए कुछ पटवारियों ने
अपने गृह क्षेत्र का दस्तावेजों में परिवर्तन करा लिया है वैसे यह एक तरह
से फर्जीवाड़ा माना जा रहा है। बताया गया कि पटवारियों की गृह तहसील रातों
रात बदल गई और उनके सर्विस रिकॉर्ड में बिना किसी प्रक्रिया पालन के गृह
तहसील को बदला गया है। चूंकि शासन के 2009 के आदेश है इसलिए कोई भी पटवारी
अपनी गृह तहसील में नहीं रह सकता है और यह आदेश विधायक धरमूसिंह के एक
विधानसभा प्रश्न की वजह से फिर परिपालन में आ गया है। इसी आदेश से बचने के
लिए कुछ पटवारियों ने यह परिवर्तन करवाया है। जिन पटवारियों ने अपनी गृह
तहसील बदलवाई है वह नियम से बदल नहीं सकती है क्योंकि उनके ज्वाइनिंग आदेश
में गृह तहसील बैतूल दर्ज है और विधायक धरमूसिंह को विधानसभा में दिए जवाब
में इन पटवारियों के आठवीं, दसवीं और बारहवीं पास करने के स्थान का भी
उल्लेख किया है। ?सी स्थिति में इनकी गृह तहसील बदलना नियम विरूद्ध माना जा
रहा है। बैतूल के स्थाई निवासी और सभी तरह की पैतृक संपत्ति बैतूल जिले
में होने के बाद भी उक्त पटवारी का गृह क्षेत्र विदिशा दर्शा दिया गया है।
23 नवंबर 2011 को विधायक चौधरी राकेश सिंह के विधानसभा प्रश्न के जवाब में
एसडीएम बैतूल ने जो जानकारी दी थी उसमें बैतूल तहसील में 11 पटवारियों के
पदस्थ होना बताया था। इसमें विष्णु पाटिल 26 अगस्त 1983 से, सदाशिव प्रधान 5
सितंबर 07 से, संजय मोरे 2 अगस्त 04 से, सुनील वसुले 1 जून 09 से, उमेश
गीद 15 जुलाई 04 से, पूरनलाल वामनकर 30 अगस्त 05 से, पंचेश्वर परिहार 22
जनवरी 96 से, गोपाल महस्की 20 अगस्त 07 से, जितेंद्र पंवार 10 अक्टूबर 93
से, संतोष ठाकुर 28 जुलाई 05 से, हरिश गढ़ेकर 7 अक्टूबर 93 से पदस्थ हैं। |
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