देहरादून।।
बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण को देहरादून की अदालत में पेश किया गया।
उनकी जमानत अर्जी पर फैसला दोपहर तक हो पाएगा। फर्जी दस्तावेज के जरिए
पासपोर्ट हासिल करने के मामले में आचार्य बालकृष्ण को शुक्रवार को गिरफ्तार
किया गया था।
दूसरी तरफ बाबा रामदेव के काफिले को देहरादून पहुंचने से पहले ही पुलिस ने रोक दिया। इस पर रामदेव के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की।
सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज के जरिए पासपोर्ट हासिल करने के
मामले में पेश न होने पर बालकृष्ण के खिलाफ शुक्रवार को गैरजमानती वॉरंट
जारी किया था। वॉरंट जारी होने के कुछ देर बाद ही सीबीआई टीम ने हरिद्वार
पहुंचकर बालकृष्ण को गिरफ्तार कर लिया था।
9 अगस्त से दिल्ली में
ब्लैक मनी वापस लाने को लेकर आक्रामक आंदोलन चलाने की घोषणा कर चुके रामदेव
को अपने सबसे करीबी बालकृष्ण की गिरफ्तारी से बड़ा झटका लगा है। आंदोलन से
पहले बाबा रामदेव ने कहा है कि उन्होंने कभी चुनाव न लड़ने की कसम खाई है।
रामदेव ने कहा, 'मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह मेरी भीष्म प्रतिज्ञा है।
लेकिन मैं व्यवस्था में मौजूद बुराइयों के खिलाफ लड़ता रहूंगा।' जब उनसे
पूछा गया कि क्या वह चाणक्य की तरह किंगमेकर बनना चाहते हैं, तो उन्होंने
कहा कि अगर मैं इस बारे में कुछ कहूंगा तो नया विवाद शुरू हो जाएगा।
आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ सीबीआई 10 जुलाई को ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी
है। इसमें बालकृष्ण को पासपोर्ट अधिनियम के अलावा धोखाधड़ी की धाराओं में
भी आरोपी बनाया गया है। बालकृष्ण के अलावा खुर्जा संस्कृत कॉलेज के
प्रिंसिपल नरेश चंद्र द्विवेदी को भी आरोपी बनाया गया है। सीबीआई ने आरोप
लगाया है कि नरेश चंद्र अरसे से फर्जी मार्कशीट का धंधा करते रहे है।
आरोपों के मुताबिक, बालकृष्ण को आचार्य की फर्जी डिग्री दिलवाने में इन्हीं
की भूमिका है।
करीब 10 पेज की चार्जशीट में सीबीआई ने 58
दस्तावेजी सबूत और 16 गवाहों की सूची फाइल की थी। सीबीआई ने बालकृष्ण की
नेपाली नागरिकता के बारे में अभी जांच पूरी न होने की बात कही थी। इस बारे
में सीबीआई की जांच जारी है, लिहाजा दूसरी चार्जशीट फाइल की जा सकती है।
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