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Monday, October 22, 2012

एक अपराध पर दो पुलिस थानों का अलग अलग नजरिया


परिवार परामर्श केन्द्र में लटका पड़ा हैं बहुचर्चित मामला
एक अपराध पर दो पुलिस थानों का अलग अलग नजरिया 
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betul - bharat sen


बैतूल। परिवार परामर्श केन्द्र पर विचारधीन मामलों में पक्षकारों के हिस्से में केवल पेशी तारीख पर तारीख आ रही हैं। पुलिस नोटिस की तामिली में लापरवाही बरत रहीं हैं और गलत जानकारी परामर्श केन्द्र को भेज रही हैं। पुलिस के इस गैर जिम्मेदाराना आचरण से परिवार परामर्श केन्द्र में प्रकरण के निराकरण पर विपरीत असर पड़ रहा हैं तो वही पर दूसरी ओर पक्षकारों की समस्या जटिल होती चली जा रही हैं। बैतूल जिले के एक बहुचर्चित मामले में आदिवासी महिला पुलिस थाने की लापरवाही की कीमत चुका रही हैं।

      पुलिस कार्यालय बैतूल में 14 अगस्त 2012 को पुलिस थाना चिचोली के अंतर्गत ग्राम पाठाखेड़ा की कम्मोबाई पुलिस अधीक्षक, बैतूल को लिखित शिकायत करी। महिला कम्मोबाई को उसका पति केवल इसलिए नहीं रख रहा हैं क्योंकि उसे लडक़ी पैदा हुई हैं। ससुराल पक्ष में ससुर, जिठानी और पति लडक़ी पैदा करने को लेकर ताने मारने लगे। पति को आगे और लडक़ी पैदा होने का डर सताने लगा तो उसने अपनी पत्नी कम्मोबाई को ग्राम पाठाखेड़ा से लाकर रतनपुर छोड़ दिया और फिर लेने नहीं गया। ससुराल पक्ष अब लडक़े की चाहत में दूसरी शादी करना चाहता हैं।

पुलिस अधीक्षक को शिकायत हाने से मामला सुर्खियों में आया और बहुचर्चित हो गया। पुलिस कार्यालय बैतूल से पुलिस थाना चिचोली पहुंचा तो मामले में जांच हुई और बिना पंजीयन की वैधानिक कार्यवाही के ही नस्तीबद्ध कर दिया गया। इसी तरह का एक मामला बैतूल नगर की विनोबा वार्ड की महिला आरतीबाई का सुर्खियों में आया था जिसमें आरतीबाई को लगातार तीन लडक़ी होने के चलते पति छोडक़र चला गया था। पुलिस अधीक्षक को शिकायत हुई तो पुलिस चौकी गंज में महिला के पति के विरूद्ध क्रूरता का अपराध भारतीय दण्ड विधान की धारा 498-क का पंजीबद्ध हुआ और अपराधिक प्रकरण मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, बैतूल में विचाराधीन हैं।

पुलिस थाना चिचोली की कार्यप्रणाली एक बार फिर से इस आदिवासी महिला कम्मोबाई के मामले में कानून और मानवाधिकारों के सवालों की जद में आ गई हैं। परिवार परामर्श केन्द्र बैतूल कम्मोबाई को उपचार प्रदान करने के लिए सुनवाई कर रहा हैं लेकिन पुलिस आदिवासी महिला कम्मोबाई के शिकायत पर अलग तरह का आचरण कर रही हैं। पुलिस थाना चिचोली एक ओर आदिवासी महिला की लिखित सूचना पर अपराध दर्ज नहीं कर रहा हैं तो दूसरी ओर परिवार परामर्श केन्द्र द्वारा जारी किए गए नोटिस की तामिली भी नहीं कर रहा हैं। ससुराल में क्रूरता के अपराध की शिकार महिला दो बार परामर्श केन्द्र बैतूल में आ चुकी हैं लेकिन पुलिस ससुराल पक्ष को नोटिस तामिली नहीं करा पा रही हैं। पुलिस का सफेद झूठ तब उजागर होता हैं जब वह परामर्श केन्द्र को बताती हैं कि पति मजदूरी करने तामिलनाडृ राज्य में गया हुआ हैं, और घर पर ससुर, जिठानी, नहीं मिले। इधर पति अपने अधिवक्ता, एमआर वाघमारे के माध्यम से कम्मोबाई को रजिस्टर्ड नोटिस भेजता हैं। ससुराल पक्ष के लोग पुलिस थाना चिचोली को नहीं मिल रहे हैं और परिवार परामर्श केन्द्र के लिए दोनो पक्षों की सुनवाई करना महिला कम्मोबाई के हित में आवश्यक हैं। मामला केवल नोटिस की तामिली के चलते लंबित हैं और सुनवाई इस माह के अंतिम सप्ताह में नियत की गई हैं।

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