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Friday, November 9, 2012

भास्कर डाट काम वालों, अपनी बहन-बेटियों को अपने साथ बिठाकर ये पोर्न विज्ञापन दिखाओ

भास्कर डाट काम वालों, अपनी बहन-बेटियों को अपने साथ बिठाकर ये पोर्न विज्ञापन दिखाओ

toc news internet channal
08 November 2012
आज दैनिक भास्कर डॉट कॉम में पोर्न विज्ञापन देखकर मन विचलित हो गया. इसे देखकर अंदर से आवाज आई को अब तो इन लोगों ने हद ही पार कर दी है. प्रतिष्ठित अखबार दैनिक भास्कर की वेबसाइट समेत हिंदी की कई अच्छी खासी वेबसाइटों ने हद कर दी है. अखबारों, मैग्जीनों, वेबसाइटों में तो तेल मालिश कर लिंग बड़ा करें, वक्ष बड़ा करें, वगैरह... वगैरह का विज्ञापन तो अब आम हो चुका है, लेकिन प्रतिष्ठित वेबसाइटों में अब सीधे पोर्न का वीडियो दिखाना हद नहीं तो क्या है.



आज सुबह जैसे ही मैंने दैनिक भास्टर डॉट काम को खबर देखने-पढ़ने के लिए खोला तो मैं चौंक गया. बैनर एड में पोर्न वीडियो चल रहा था. (देखें नीचे) क्लिक करने पर पोर्न साइट खुली. इसी तरह खास खबर, हिन्दी डॉट वन इंडिया, हॉट क्लिक्स आदि साइटों में पोर्न वीडियो का एड चल रहा था. मेरे अंदर से आवाज आयी, क्या हो रहा है यह... कहां जा रहे हैं हम.

सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर दूं कि इन पंक्तियों को लिखने का मेरा मकसद इसे प्रचारित और प्रसारित करना नहीं है, बल्कि एक चिंता हो रही है, जिसे जाहिर कर रहा हूं. हम वयस्कों को पता है कि पोर्न वीडियो क्या है और दुनिया में पोर्न का एक बहुत बड़ा बिजनेस है. इसकी लाखों वेबसाइटें हैं और जिन्हें इसे देखने-समझने की जरूरत होती है, वह इस तरह की वेबसाइट खोज ही लेते हैं. लेकिन, कुछ पर्दा है, जहां यह सब छिपा हुआ है. इसे सामाजिक रूप से प्रदर्शित करना शर्मनाक है और दैनिक भास्कर की वेबसाइट, हिन्दी डॉट वन इंडिया डॉट इन, खास खबर डॉट कॉम, हॉट क्लिक्स डॉट कॉम के अलावा अन्य कई वेबसाइटों ने समाज को शर्मसार करने का काम किया है.

इन वेबसाइटों ने सीधे पोर्न वीडियो का ही एड चला दिया है. दैनिक भास्कर, हिन्दी डॉट वन इंडिया डॉट इन, खास खबर डॉट कॉम जैसी प्रतिष्ठित और ज्ञानवर्द्धक वेबसाइटों को देखने वालों में सिर्फ वयस्क ही नहीं हैं, बल्कि छात्र-छात्राएं भी हैं, जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं. और, सबसे बड़ी बात यह कि छात्र-छात्राएं अब साइबर कैफे में इंटरनेट का प्रयोग करने नहीं जाते, बल्कि उन्हें यह सुविधा उनके अभिभावकों ने घर में दे दी है.

अब घर में बच्चे अकेले इंटरनेट यूज नहीं करते, उनके साथ उनकी मां या भाई-बहन या फिर अन्य कोई बड़े-बुजुर्ग होते हैं, जो एक साथ वेबसाइट देख रहे होते हैं. बडे़-बड़े कॉरपोरेट ऑफिसों में भी जूनियर अपने सीनियर के साथ कुछ जानकारियों के लिए वेबसाइट देखने और दिखाने का काम करते हैं. ऐसे में इन्हें सीधे पोर्न वीडियो दिखाना कहां तक उचित है. घर में नाबालिग अपने अभिभावकों के पास शर्मसार होंगे तो ऑफिसों में जूनियर अपने सीनियरों के पास.

बहरहाल, अभी स्थिति बिगड़ी नहीं है. साइबर जगत के लोग जानते हैं कि यह ऑटोमैटिक एड लिंक है, लेकिन आम लोगों को शायद ही इसकी जानकारी हो. इसलिए समाज, बच्चों, विद्यार्थियों के लिए प्रतिष्ठित वेबसाइटों को अपनी गरिमा बरकरार रखनी चाहिए और इसके लिए उन्हें इन अश्लील वीडियो एड से बचना चाहिए.

लेखक सुनील मंथन शर्मा 'क्रॉस फायर' हिंदी मासिक पत्रिका में डिप्टी न्यूज़ एडिटर हैं.

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