Pages

click new

Sunday, February 3, 2013

लोकपाल विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी


"Mani Ram Sharma"
toc news internet channal

भारत में किसी भी निकाय को स्वायतता या स्वतन्त्रता की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत में स्वायतता का कोई अभिप्राय: ही नहीं है| जो निकाय पहले से ही स्वतंत्र है उनकी स्थिति भी संतोषजनक नहीं है| न्यायपलिका जिसे स्वायतता और स्वतन्त्रता प्राप्त है वह जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरी उतर रही है| एक नागरिक को गवाह के तौर पर आमंत्रित करने के लिए पहली बार में ही वारंट जरी कर मजिस्ट्रेट खुश होते हैं वहीं पुलिस वाले उनके बीसों आदेशों के बावजूद भी गवाही देने नहीं आते और मजिस्ट्रेट थकहार कर आखिर जिला पुलिस अधीक्षक को डी ओ लेटर लिखते हैं|  हाल ही में एक पुलिस इंस्पेक्टर ने लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर विधान सभा का अवमान किया और नोटिस देने पर उपस्थित होने के स्थान पर भूमिगत हो गयी| पुलिस को कोई स्वायतता नहीं है फिर भी यह स्थिति है| सी बी आई भी एक पुलिस संगठन ही है और उसमें कोई अवतार पुरुष कार्य नहीं कर रहे हैं| इंग्लॅण्ड के सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक मुखिया  सभी न्यायालयों के सही संचालन के लिए जिम्मेदार हैं, चीन के सुप्रीम कोर्ट के मुखिया संसद के प्रति जवाबदेह हैं और अमेरिकी राज्यों के एडवोकेट जनरल  कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं| भारत में किसी भी कानून को लागू करने की जिम्मेदारी लिखित में किसी भी प्राधिकारी पर नहीं डाली गयी है| यहाँ तो कानून जनता को भुलाने के लिए बनाए जाते हैं|  इस देश के लोक सेवकों को स्वायत बनाने के स्थान पर जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है| जो लोग भारत में किसी भी निकाय को स्वायतत्ता की बात कर रहे हैं शायद वे अपरिपक्व हैं|

No comments:

Post a Comment