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Monday, February 4, 2013

भोपाल में पत्रकार भवन समिति में घमासान



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भोपाल। जन न्याय दल ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी सरकार की असफल नीतियों और लचर प्रशासन के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था गड़बड़ा गई है। बिल्डरों और भू माफिया के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उनके गुर्गे बाकायदा अखबारों में विज्ञापन देकर पत्रकारों को धमकाने लगे हैं। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ये घातक संकेत है। जन न्याय दल के प्रदेश प्रवक्ता आलोक सिंघई ने राजधानी में जारी बयान में सरकार से अनुरोध किया है कि वह एक बार फिर अपनी नीतियों की समीक्षा करे। साथ में पुलिस प्रशासन को निर्देश दे कि वह पत्रकारों को उनका काम बेरोकटोक करने देने की स्थिति बहाल करे।

पत्रकार भवन समिति की 14 फरवरी को होने वाली बैठक के संबंध में दैनिक भास्कर में जारी एक विज्ञापन के बारे में उन्होंने कहा कि पत्रकार भवन भोपाल के पत्रकारों की संपत्ति है। ये संपत्ति पत्रकारों को समाचार संकलन और आपसी संवाद स्थापित करने के लिए बुजुर्ग पत्रकारों ने अपने अथक प्रयासों से बनाई थी। इसके बावजूद जब पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष श्री विनोद तिवारी ने आमसभा की बैठक बुलाने की सूचना जारी की तो इसके विरोध में भवन समिति के ही सचिव दीपक चौहान ने ये आपत्ति जनक जाहिर सूचना प्रकाशित कराई है। इस सूचना में पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष के अधिकारों को चुनौती दी गई है।

जन न्याय दल के प्रवक्ता ने पत्रकार भवन समिति के अध्यक्ष श्री विनोद तिवारी के हवाले से कहा है कि भवन समिति के संविधान की धारा 10 के मुताबिक सचिव का दायित्व है कि वह अध्यक्ष को उसके कार्यों में सहयोग प्रदान करेगा। नोटिस जारी करने की जवाबदारी भी उसकी होगी, लेकिन इसका आशय ये कतई नहीं है कि अध्यक्ष को आमसभा बुलाने का अधिकार ही नहीं है। भोपाल के पत्रकारों के संबंध में कोई भी फैसला लेने का अधिकार भवन समिति के अध्यक्ष को होता है इसलिए 14 फरवरी की बैठक पूर्व नियोजित सूचना के अनुसार ही होगी।

जन न्याय दल का मानना है कि पत्रकार अपना काम बेरोकटोक और ईमानदारी से कर सकें ये सुनिश्चित करने की जवाबदारी सरकार की है। सरकारी योजनाओं का गैरकानूनी तरीके से लाभ उठाने वाली माफिया ताकतें यदि अपने गुर्गों के माध्यम से किसी प्रकार का दबाव पत्रकारों पर बनाती हैं तो इसे सरकार की असफलता ही कहा जाएगा। जन न्याय दल ने कहा है कि यदि कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं सुधरी तो जन न्याय दल को सड़कों पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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