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Sunday, May 19, 2013

उच्च न्यायालयों में अवकाश एवं बकाया कार्यभार


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लेखक : मनीराम शर्मा
रीमान राष्ट्रपति महोदय,

भारतीय गणतंत्र ,

नई दिल्ली

मान्यवर,

उच्च न्यायालयों में अवकाश एवं बकाया कार्यभार

नम्र निवेदन है कि अमेरिका में न्यायालयों में वर्ष भर में मात्र 10 छुटियाँ होती हैं वहीँ भारत में उच्चतम न्यायालय में 100, उच्च न्यायलय में 80 और अधीनस्थ न्यायालयों में 60 छुटियाँ होती है व वर्ष में औसतन 60 दिन वकील हड़ताल रखते हैं | भारत में प्रति व्यक्ति औसत आय 60000 रुपये, न्यूनतम मजदूरी 72000 रुपये और एक सत्र न्यायधीश का वेतन 720000 रुपये वार्षिक है वहीँ यह अमेरिका में क्रमश: 48000, 15000 और 25000 डॉलर वार्षिक है| अमेरिका में न्यायाधीशों का वेतन बहुत से सरकारी अधिकारियों से कम है और उन्हें पर्याप्त समय से बढ़ी हुई महंगाई राहत का भी भुगतान नहीं किया गया है|  इस दृष्टि से देखा जाये तो भारतीय न्यायाधीशों का वेतन बहुत अधिक है|

 इस प्रकार भारत की जनता कानून और न्याय प्रशासन पर अपनी क्षमता से काफी अधिक धन व्यय कर रही है| उक्त धरातल स्तरीय तथ्यों को देखें तो भारत में कानून और न्याय प्रशासन के मद पर होने वाला व्यय किसी प्रकार से कम नहीं है बल्कि देश में कानून-व्यवस्था और न्याय प्रशासन कुप्रबंधित हैं| भारत में कानून, प्रक्रियाओं और अस्वस्थ परिपाटियों के जरिये  जटिलताएं उत्पन्न कर न्यायमार्ग में कई बाधाएं खड़ी कर दी गयी हैं जिससे मुकदमे द्रौपदी के चीर की भांति लम्बे चलते हैं|

 उक्त परिस्थितियों को देखते हुए उच्च न्यायालयों में छुट्टियों का विनियमन आवश्यक है| उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन व सेवा शर्तें) अधिनियम, 1954 की धारा 23 क के अंतर्गत  उच्च न्यायालयों में छुट्टियों के विनियमन की शक्तियां आप में निहित हैं| अत: आपसे सादर निवेदन है कि देश के उच्च न्यायालयों में मामलों के बकाया अम्बार को देखते हुए आगामी वर्ष 2014 से उच्च न्यायालयों में छुट्टियों में कटौती करें व इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समान लाकर जनता पर उपकार करें|



अति कृपा होगी ,


भवनिष्ठ                                                                          



मनीराम शर्मा                                             दिनांक 17.05.13

एडवोकेट

नकुल निवास, रोडवेज डिपो के पीछे

सरदारशहर-331403

जिला-चुरू(राज)

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