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Thursday, June 20, 2013

तबाही की नौ दर्दनाक कहानियां

देहरादून।। क्या हुआ था केदारनाथ में तबाही वाली रात? कैसा था वहां का मंजर? बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब में फंसे यात्रियों पर क्या गुजरी थी? उत्तराखंड में बारिश-बाढ़ से हुई तबाही में मौत को मात देकर लौटे कुछ खुशकिस्मत लोगों की आपबीती हिलाकर रख देने वाली है। आइए आपको बताते हैं दर्द की कुछ कहानियां उन्हीं की जुबानी...

1-पति के शव के साथ गुजारे दो दिन: सबसे दर्दनाक दास्तां सहारनपुर निवासी सविता नागपाल की है। सविता अपने पति सुरेंद्र नागपाल के साथ बद्रीनाथ यात्रा पर गई थीं। सोमवार रात अचानक होटेल में पानी घुसने के बाद यह बुजुर्ग दंपती ठौर की तलाश में सड़क पर आ गया। मलबे की चपेट में आकर पति सुरेंद्र नागपाल की मौत हो गई। सविता दो दिन तक अपने पति के शव के पास रोती-बिलखती रहीं। तीसरे दिन बेटे मुकेश के पहुंचने पर पति का अंतिम सस्कार किया जा सका। मुकेश को देहरादून में ही पिता के मरने की खबर मिल गई थी। वह मीडिया के सामने बद्रीनाथ जाने की गुहार लगाते देखे गए थे। बाद में वह किसी तरह वहां पहुंचे।

2-हाथ छूटा और पत्नी बह गईः राजस्थान के करौली के रहने वाले कल्याण सिंह इस हादसे में अपनी पत्नी को खोकर सदमे में हैं। उन्होंने मीडिया के सामने केदारनाथ में उस काली रात की दास्तां बयां की। उन्होंने बताया कि होटेल में अचानक पानी भरने लगा था। लोग होटेल की तीसरी मंजिल पर आ गए। इसी बीच उनकी पत्नी मालती का हाथ उनके हाथ से छूट गया और वह पानी में बह गईं। उनके दल के कुछ साथी भी साथ में बह गए।

3- केदारनाथ की वह रात..: केदारनाथ मंदिर के पुजारी रविंद्र भट्ट ने भी अपनी आपबीती सुनाई। भट्ट के मुताबिक केदारनाथ में 16 जून की रात और 17 जून की सुबह तबाही का सैलाब आया था। भट्ट के मुताबिक 16 जून को शाम आठ बजे तक धाम में सब कुछ ठीक था। सवा आठ बजे अचानक मंदिर के ऊपर से पानी का सैलाब सा आता दिखा। उन्होंने दूसरे तीर्थ यात्रियों के साथ मंदिर में शरण ली। रातभर लोग एक दूसरे की हिम्मत बंधाते रहे। 17 जून को सुबह 6:55 बजे एक बार फिर पानी का सैलाब आया। इसने धाम में काफी तबाही मचाई। इस तबाही के बाद धाम में कई शव बिखरे दिखे।

4- पिलर पकड़कर बचाई जानः केदारनाथ में जब तबाही मची तब सीओ आर डिमरी भी वहां मौजूद थे। सीओ भी पानी के तेज बहाव में डूबने लगे थे, लेकिन किसी तरह उन्होंने खुद को बचाया। डिमरी के मुताबिक उनके हाथ एक पिलर आ गया था, जिससे वह अपने दूसरे साथियों की तरह सैलाब में नहीं बहे।

5- मैं लाशों को तैरते देख रहा था: उस रात तबाही का मंजर क्या था यह किसी तरह बचे केदारनाथ गांव के रहने वाले सोहन सिंह नेगी ने बयां किया। उन्होंने बताया, 'मैंने खुद अपनी आंखों के सामने 60 लाशों को तैरते हुए देखा। करीब 200 लोग ऐसे हैं जिनको मैं जानता हूं, लेकिन उनका कहीं कोई अता पता नहीं है।'

6- हेमकुंड में 50 यात्री बह गए: हेमकुंड साहिब में तबाही का मंजर क्या था यह वहां से लौटे एक यात्री सुखप्रीत ने मीडिया को बताया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने 200 से ज्यादा मोटरसाइकलों को नदी में समाते देखा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि बच्चों समेत करीब 50 यात्री नदी में गिरे हैं।

7- केदारनाथ में कुछ नहीं बचा है: केदारनाथ से लौटीं राजस्थान की संतोष ने बताया कि वहां केवल मुख्य मंदिर ही बचा हुआ है। मंदिरा का पूरा चबूतरा तबाह हो गया है। मुख्य मंदिर के आसपास के छोटे-छोटे मंदिरों का नामोनिशान नहीं है। बड़े-बड़े पत्थरों के सिवा वहां कुछ नजर नहीं आ रहा है।

8- बच्चों को बिस्किट पर जिंदा रखाः महाराष्ट्र के गोदिया की रहने वीला साक्षी भी तबाही का मंजर याद कर सहम जाती हैं। साक्षी ने मीडिया को बताया कि वह अपने ढाई साल के बेटे दिव्यम और आठ महीने की बेटी कृतिका के साथ फंस गई थीं। खाने को कुछ नहीं था। दिनभर वह बच्चों को बिस्किट के कुछ टुकड़े खिला दिया करती थीं। हेलिकॉप्टर से देहरादून पहुंचने पर उन्हें यकीन ही नहीं आ रहा था कि वह सकुशल बच गई हैं।

9- बिहार के पूर्व मंत्री के रिश्तेदार लापताः केदारनाथ की यात्रा पर गए बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे 16 जून की रात का जिक्र आते ही कांप जाते हैं। उन्होंने दो बार सैलाब का सामना किया। वह तो किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनके साथ आए सात रिश्तेदार और सुरक्षाकर्मी सैलाब में बह गए। उन लोगों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। अश्विनी चौबे खुद भी घायल हैं और उन्हें गुप्तकाशी के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। आज वह देहरादून पहुंचेंगे और वहां से दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है। चौबे ने न्यूज़ चैनलों को बताया कि उनकी पत्नी, दोनों बेटे, बहू और पोता सुरक्षित हैं, लेकिन साढ़ू सुबोध मिश्र, साली संगीता (सुबोध मिश्र की पत्नी), भतीजा गुड्डू, पुरोहित दीनानाथ पंडित और तीन बॉडीगार्ड्स का कोई सुराग नहीं है।

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