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Sunday, June 30, 2013

अवधराज प्यासी रिश्वत लेते रंगे हांथ धर दबोंचा

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लोकायुक्त पुलिस संगठन सागर ने की कार्यवाही
रिश्वत के पांच हजार रूपये किये जप्त


लिपिक अवधराज प्यासी
पन्ना- जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पन्ना में पदस्थ लिपिक अवधराज प्यासी को पांच हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हांथ लोकायुक्त पुलिस टीम ने धर दबोंचा। शनिवार को दोपहर करीब तीन बजे लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई ट्रेप की कार्यवाही से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय समेत जिला पंचायत परिसर स्थित अन्य कार्यालयों में हड़कम्प मच गया। पकड़े गये लिपिक पर आरोप है कि उसने सेवानिवृत्त पीटीआई नंदकिशोर चतुर्वेदी का क्रमोन्नति आदेश जारी करने के के लिए बतौर रिश्वत दस हजार रूपये की मांग की थी। आज हुई कार्यवाही के संबध में लोकायुक्त सागर के डीएसपी आरबी भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि सेवानिवृत्त पीटीआई शिक्षक नंदकिशोर चतुर्वेदी को पहली एवं द्वितीय क्रमोन्नति न मिलने पर उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली थी।

श्री चतुर्वेदी की अपील के तथ्यों से सहमत होते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना को आदेशित किया था कि अपीलार्थी को क्रमोन्नति का लाभ दिया जाये। न्यायालय के आदेश के परिपालन में कार्यवाही करने हेतु जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की न्यायालय शाखा के लिपिक अवधराज प्यासी ने सेवानिवृत्त पीटीआई के पुत्र अभयप्रकाश चतुर्वेदी निवासी किशनगढ़ जिला छतरपुर से दस हजार रूपये की रिश्वत की मांग की गई।
लोकायुक्त पुलिस टीम

जिसकी शिकायत अभयप्रकाश चतुर्वेदी द्वारा लोकायुक्त पुलिस सागर से की। आज अपरान्ह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे अभयप्रकाश चतुर्वेदी ने लिपिक अवधराज प्यासी को रिश्वत के पांच हजार रूपये सौंपे, उसके अगले ही पल लोकायुक्त पुलिस टीम ने लिपिक को रंगे हांथ धर दबोंच लिया। इस बीच लोकायुक्त पुलिस ने लिपिक का पैंट घुलवाया तो उससे लाल रंग का पानी निकला। चूंकि रिश्वत की राशि लेकर लिपिक ने उसे अपने पैंट के पॉकेट में डाल लिया था। रिश्वत लेने के मामले में गिरफतार लिपिक अवधराज प्यासी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत् प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। बाद में लोकायुक्त पुलिस ने जमानती मुचालके पर उसे रिहा कर दिया। वहीं आरोपी बनाये गये लिपिक ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे साजिश के तहत् फंसाया जा रहा है। लिपिक का कहना है कि क्रमोन्नति आदेश एक माह पूर्व ही जारी हो चुका था लेकिन कोई आदेश लेने नहीं आया।


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