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Saturday, July 20, 2013

नरसिंहपुर- 12x2 प्राथमिक और 498 माध्यमिक स्कूलों में भोजन

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नरसिंहपुर से सलामत खान की रिपोर्ट....
(टाइम्स ऑफ क्राइम)

 बिहार की घटना के बाद प्रशासन ने खोली आंखें  जिले में 1&04 समूह बना रहे 1 लाख 25 हजार ब‘चों का मध्यान्ह भोजन, बिहार जैसी घटना को रोकने ऐहतिहयात जरूरी 


नरसिंहपुर-चूल्हे में धूल-धुआं के साथ पक रहे चांवल
नरसिंहपुर। भगवान न करे कहीं बिहार के सारण जिले की घटना कहीं हो, जहां ब‘चों का मध्यान्ह भोजन मौत का मिड-डे मील बन गया। जिले में 17&0 प्राथमिक-माध्यमिक शालाओं में 1&04 समूह सवा लाख ब‘चों का मध्यान्ह भोजन तैयार कर रहा है, व्यवस्थाएं रामभरोसे हैं पर घटना के बाद जागे अधिकारी कहते हैं कि अब हम सचेत हैं।          

नरसिंहपुर-चूल्हे में धूल-धुआं के साथ पक रहे चांवल
भोजन कहीं मकड़े के जाले के नीचे बन रहा है तो कहीं जहां भोजन बन रहा है उसके छ’जे पर धूल, धुआं, कचरे का आलम है। कहीं बगैर सफाई के भोजन परोस दिया जा रहा है तो कहीं बन रहे चांवल को न तो बीना गया और न ही धोया गया।

इल्ली-कीड़े निकलने की कुछ घटनाएं बीते दिनों जरूर जिले में हो गईं हों पर अब भी व्यवस्थाओं में लापरवाही बरती जा रही है। अलबत्ता बिहार के सारण जिले में हुई घटना के बाद असमय चल बसे दो दर्जन ब‘चों के बाद प्रशासन की आंखें खुली हैं और दावा किया है कि अब हम सचेत हैं।           

संकीर्ण गैलरी में भोजन करते ब‘चे
जिले में 12&2 प्राथमिक और करीब 498 माध्यमिक स्कूल हैं, जहां 1 लाख 25 हजार से ’यादा विद्यार्थियों के लिए रोजाना 1&04 समूह भोजन पका रहे हैं। भोजन पकाने-परोसने की व्यवस्थाएं पूरी तरह रामभरोसे हैं, अगर नियमित ऐहतिहयात न बरता गया तो कभी भी यह असावधानी मुश्किल का सबब बन सकती है। बिहार के सारण जिले में मध्यान्ह भोजन खाकर असमय काल-कवलित हुए ब‘चों की घटना से वे अभिभावक, पालक भी चिंतित हैं, जिनके ब‘चे मध्यान्ह भोजन का लाभ ले रहे हैं। उन्हें अंदेशा है कि कहीं व्यवस्थाओं की लापरवाही मंहगी न पड़ जाए। गुरूवार को ही एक स्कूल में एक अधिकारी ने बन रहे मध्यान्ह भोजन में सड़े और दागी आलुओं के इस्तेमाल को देखा तो तमतमाए और उसे अलग करवाया।            

नरसिंहपुर। फर्श गीला पर चटाई-दरी भी मौजूद नहीं,
भोजन की प्रतीक्षा में छात्राएं। 
ग्रामीणक्षेत्रों के स्कूलों का हाल तो यह है कि कई महिनों से वहां कोई जायजा लेने पहुंचता ही नहीं। नगरीय और सुगमता से पहुंच में आए स्कूलों में जरूर निरीक्षण और देखभाल की औपचारिकता जरूर हो रही है पर ग्रामीणक्षेत्रों के स्कूलों में व्यवस्था रामभरोसे है। कई विद्यालयों में दिन के हिसाब से तय मीनू भी दरकिनार हैं। मध्यान्ह भोजन के लिए समूह प्रभारियों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे तेल, आंटा, बेसन भी सही है या नहीं, इस पर भी किसी का ध्यान नहीं है। 

 चैक किए 9 स्कूल   

भोजन की व्यवस्था का जायजा लेने कोई व्यवस्था है?। हमने आज (गुरुवार) को ही 9 स्कूल चैक किए हैं। बहोरीपार से सूरवारी तक सभी को बोला है कि खाना साफ-सुथरे तरीके से बने, यह भी कहा है कि प्रभारी शिक्षक उसे चेक करें। तब ही खाना परोसें, बारिश में थोड़ी-बहुत दिक्कत होती है, फिर भी हमने डीईओ, डीपीसी और जनपद के सीईओ, बीआरसी से मानीटरिंग कराने की योजना बनाई है।      
                                                                     राजेश दसोरे, प्रभारी,  

 मिड-डे-मीलद कर रहे मॉनीटरिंग   

नरसिंहपुर नगर के एक विद्यालय
में मिड-डे-मील में ब‘चे
बिहार जैसी घटना की कहीं पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जिले में मिड-डे मील में कहीं मॉनीटरिंग हो रही है। बिल्कुल, हम मानीटरिंग कर रहे हैं, आज ही हमने पत्र लिखा है। जनशिक्षकों और प्रभारियों को भी कहा है कि मुआयना करें, देखें और अगर कहीं गड़बड़ लग रही है तो सीधे एसडीएम के समक्ष प्रस्ताव लाएं, क्योंकि वह कार्रवाई करने में सक्षम अधिकारी हैं। हम इस मामले में लगातार ध्यान दे रहे हैं। 
एमएल पाठक, जिला परियोजना समन्वयक, 
जिला शिक्षा केन्द्र नरसिंहपुर 

कोई नहीं चखता मिड-डे-मील की गाइड लाइन के अनुसार भोजन बनने के बाद उसे समूह प्रभारी उसे चखें, देखें पर शायद ही कोई ऐंसे विद्यालय हों, जहां कोई उसे चख रहा हो।   


भोजन के पहले न ब‘चों को साबुन से हाथ धोने की सलाह और न ही उचित बैठक।विद्यालय के एक कोने में लकड़ी और अन्य कबाड़, उसी स्थान पर फर्श पर बैठे ब‘चे।
नरसिंहपुर। फर्श गीला पर चटाई-दरी भी मौजूद नहीं, भोजन की प्रतीक्षा में छात्राएं।
मकड़ी के जाले, नीचे भोजन  दिन मंगलवार, एक विद्यालय में एक अहाते में तैयार हो रहे मध्यान्ह भोजन के स्थान पर ऊपर मकड़ी के जाले लगे हैं, नीचे भोजन तैयार करके रखा है, गंज में दाल खुली पड़ी है, रोटियां सिक रही हैं, मक्खी भिनभिना रही हैं। 

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