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Thursday, July 25, 2013

जनसंपर्क संचालनालय म.प्र.का षडय़न्त्र, श्रद्धानिधि फर्जी पत्रकारों का बोलबाला

मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान को ब्रान्ड एम्बेसडर बनाने, जनसंपर्क के षडय़न्त्र और धन के गबन को छिपाने के लिए, संपन्न और मुंह लगे लोगों को गुप चुप तरीके से बांटी पच्चीस-पच्चीस हज़ार रुपये की श्रद्धा निधि…

 पं.एस.के.भारद्वाज
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गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व की गहमा गहमी में मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के प्रचार सचिव एवं जनसंपर्क आयुक्त श्री राकेश श्रीवास्तव ने बुजुर्ग वरिष्ठ (अधिकतर आर्थिक रूप से संपन्न,व्यवसायी और आयकर दाता) पत्रकारों का श्रद्धा निधि राशि देकर की विधान सभा में की गई घोषणा पर क्रियान्वयन कर कूट रचित तरीके से अपना उल्लू सीधा करना प्रारंभ कर दिया है, ताकि नवम्बर 13 में संपन्न होने जा रहे विधान सभा के आम चुनाव में पत्रकारों को मैंनेज किया जा सके.

ज्ञात हो कि वर्षो से अपने अधिकारों के हक के लिए केरल सरकार के पेटर्न पर मध्यप्रदेश के सभी पत्रकारों को पेन्शन की सरकार से अपील की थी, जिसमें समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों के  मालिकों की भागीदारी भी रहनी थी.

जस्टिस मजीठिया आयोग की रिपोर्ट एवं श्रम कानून के अनुरूप प्रस्ताव पर श्रम विभाग, जनसंपर्क विभाग एवं बड़े समाचार पत्रों के बहुउद्यमी मालिकों ,बड़े-बड़े मीडिया हाउस के स्वामीयों  से चर्चा के बाद में इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन में सरकार को पसीना आ गया और व्यवस्था के क्रियान्वयन में कठिनाईयां एवं सरकार की बेचारगी नजर आती दिखी. तब आखिर में यह प्रस्ताव शतप्रतिशत शासन की राशि से श्रद्धा निधि के रूप में प्रस्ताव मान्य किया गया.

इस श्रद्धा निधि की पात्रता के लिए माप दण्ड भी तय किये गये जिनमें मुख्य थे पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव और निरन्तर अधिमान्यता, 62 वर्ष की उम्र, आयकर दाता न हो अर्थात मूल रूप से पत्रकार हो. इस श्रद्धा निधि का शुभारम्भ करने के लिए एक आयोजन कर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री की उपस्थिति में संपन्न होना तय था. इस योजना का शुभारम्भ चालू वित्तवर्ष के प्रारम्भ में अप्रैल में होना था. जो अचानक एक-एक व्यक्ति को बुलाकर सरकार के प्रचार सचिव एवं जनसंपर्क आयुक्त श्री राकेश श्रीवास्तव ने अपने कार्यालय में कार्यालयीन समय के बाद संपन्न करा दिया . यह श्रद्धा निधि की एक मुश्त 5 माह की वितरण राशि पूर्णत: संदेहास्पद ही नहीं बल्कि प्राप्त करने वाले पत्रकार भी विभाग/शासन के पूर्व से निर्धारित मापदण्डों के विरूद्ध संदेह के दायरे में है. अगर पात्रता रखने वाले आयकर दाता नहीं है तो वर्षो से अपने अपने

पत्र पत्रिकाओं में विज्ञापन लेने के लिए विज्ञापन शाखा में जमा अपना-अपना पेन नं. का विवरण क्यों छिपाया. अगर शासन ने पॉलिसी में संशोधन किया है तो उसका संशोधन आदेश कब शासन ने गजट में नोटिफिकेशन कराया.

कई ऐंसे भी पात्र है जो पत्रकारिता को लगभग छोड़कर व्यवसाय कर रहे इनकी हैसियत समाज में करोड़पतियों में गिनी जाती है. कई जनसंपर्क के लिए मुखबिरी और विज्ञापन और सुविधाओं की दलाली करते है और प्रतिवर्ष लाखों रूपये जनसंपर्क विभाग से अलग-अलग मदों में प्राप्त कर रहे है. इसमें एक संदेह यह भी है कि कहीं जनसंपर्क आयुक्त श्री राकेश श्रीवास्तव मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान को पहले प्रदेश में बाद में देश मे ब्रांड ऐम्बेसडर बनाने के लिए, जनसंपर्क के षडय़न्त्रकारी कार्य और शासकी धन के गबन को छिपाने के लिए, संपन्न और अपने मुंह लगे लोगों को गुप-चुप तरीके से रू 25000/-25000/-श्रद्धा निधि के नाम पर देकर अपनी भी वाहवाही लूटना चाह रहे है और भविष्य में इनका मुंह बन्द रखने के लिए गलत तरीके से श्रद्धा निधि लेने के विरूद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण पुलिस में पहुचाने का डर दिखाकर अपने मनमाफिक निधि प्राप्त कर्ता लोगों से पेड न्यूज चलाने के लिए ब्लैक मेल करने का भविष्य में इरादा तो नही है?

ज्ञात हो कि श्री राकेश श्रीवास्तव भी भविष्य में विधान सभा का चुनाव लडऩे का मन बना चुके है. जब राजनीति करनी है तो षडय़न्त्र नीति तो अपनानी ही पड़ेगी!

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