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Sunday, August 25, 2013

फर्जी प्रमाण पत्र कांड के मास्टरमाइंड तक क्यों नहीं पहुंच रही पुलिस

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हिम्मत जैथवार,रतलाम। पिछले दिनों नकली प्रमाण पत्र बनाने के आरोप दुर्गा नामक महिला जेल की हवा खा रही है। उक्त महिला द्वारा कई लोगों को तहसीलदार की सील व हस्ताक्षर वाले प्रमाण पत्र दिया गया वह भी 300-300 रुपए में। प्रश्न यह है कि ग्रामीण परिवेश की महिला द्वारा इस प्रकार का कृत्य अकेले ही किया गया या इसमें कोई व्यक्ति अथवा तहसील कर्मचारी की भूमिका है।

इस पूरे प्रकरण की ईमानदारी से जांच करें तो कई तथ्य उजागर हो सकते है। सूत्रों की माने तो इस घटना में पकड़ाई महिला तो सिर्फ एक मोहरा है जबकि इसके सरगना तो कोई और है। नकली प्रमाण पत्र के अलावा भी तहसील कार्यालय में छोटे-बड़े कामों के लिए मसलन जाति प्रमाण पत्र, मूल निवासी प्रमाण पत्र, भूमि बटवारा, कृषि भूमि नपती, जमीन का नामांतरण आदि कार्य के लिए सैकड़ों दलाल घुमते मिलेंगे एवं यह दलाल आमजन से समय के पूर्व काम का  हवाला देकर मोटी रकम एठ लेते है।

इन दलालों का नेटवर्क तहसील अधिकारियों से जुड़ा रहता है। तभी तो यह उक्त दलाल आनन-फानन में सभी काम करवा देते है। इस घटना के बाद आमजन यह कहते दिखे कि इस घटना की छोटी मछली तो पकड़ा गई बड़ी मछली का क्या। इस पूरे प्रकरण के बाद आमजनों को भी सोचना चाहिए कि मप्र सरकार द्वारा लोक सेवा गारंटी सेंटर खोल रखे है जहां पर निर्धारित शुल्क व नियत समय में सभी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध हो सकते है। फिर दलालों के फेर में क्यों पड़े। कुछ लोगों को जल्दी व फर्जी कार्य कराने होते है वे इन दलालों के चक्कर लगाते है तब फिर इस प्रकार के जाली कार्य उजागर हो जाते है।

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