Pages

click new

Thursday, August 15, 2013

चलती मौत से छीन लेते हैं खर्चा

toc news internet channel

नाम- बारदान, कीमत-1.50 पैसे, मिलने का स्थान- हाईवे पर भागते ट्रकों के डीजल टैंक का कौना। 1 रुपए 50 पैसे कीमत के बारदान (बीयर की खाली बोतल) के लिए महू-नीमच राजकीय राजमार्ग से लगी निम्न आय वर्ग की बस्ती शिवशंकर कालोनी के बच्चे सवेरे से शाम तक हाईवे के दोनों किनारों पर बैठे मिल जाते हैं। बीयर की इन खाली बोतलों को चलते ट्रक से उतारने का दृश्य देखकर कोई भी यह कह सकता है कि यह मौत से सामना करने का खेल है। इस संवाददाता ने गत दिनों यह दृश्य देखा और बच्चों से इसके बारे में सवाल किए तो यह बात सामने आई की जान की जौखिम का यह खेल दिनभर चलता है। इस खेल को खेलने वाले बच्चों की सबसे बड़ी मजबूरी अपना एवं अपने परिजनों का पेट भरना है।

रतलाम। उन्हें यह पता नहीं कि उनका भविष्य क्या हैं? पता हैं तो सिर्फ वर्तमान की जरुरतें। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए यह बच्चे मौत का खेल खेलने से भी नहीं हिचकते हैं। 90 से 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हाईवे पर दौड़ने वाले ट्रकों से यह बच्चे बारदान (बीयर की खाली बोतल) को खींच लाते हैं।
बिजली की तेजी से भी ज्यादा चपल कदमों से ट्रकों के डीजल टैंक पर हाथ घूमाने वाले बच्चों को यह नहीं मालूम कि वे कब इस कार्य को सीख गए।
इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाओं चलके....
देश का भविष्य बच्चों एवं युवाओं को माना जाता है। शासन-प्रशासन ने देश के इस भविष्य को आगे लाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई है, लेकिन क्या इन योजनाओं का फायदा उन बच्चों को मिल रहा है जो उसके हकदार हैं। शिवशंकर कालोनी से लगे हाईवे पर प्रतिदिन नजर आने वाले इस दृश्य को देखकर इस प्रश्न का जवाब स्वत: मिल सकता है।
शिव-शकंर कालोनी में रहने वाले गरीब परिवारों के मुखिया मजदूरी से अपने परिवार का पेट पालते हैं। ये परिवार अपने बच्चों को घर पर छोड़कर सुबह से मजदूरी के लिए चले जाते हैं। इसके बाद बच्चों की टीम हाईवे पर पहुंच जाती है और फिर शुरू होता है 1.50 पैसे के लिए मौत से सामना करने का खेल। इस खेल में लगे बच्चों से बात करने पर जो बातें सामने आई उनमें से मुख्य है शराब की लत। इन बच्चों का कहना है कि माता-पिता दिनभर मजदूरी करने के बाद शाम को जब घर लौटते हैं तब वे इस कदर नशे में धुत आते हैं कि उन्हें अपने बच्चों की कोई फिक्र नहीं रहती है।
जिंदगी के लिए जुआ
माता-पिता कि बेफिक्री से अंकुश विहीन हो गए इन बच्चों में से कई स्वयं ही नशे की चपेट में आ गए हैं। वहीं कुछ बच्चे बारदान खींचने का खेल अपने एवं अपने परिजनों का पेट भरने के लिए करते हैं। कुछ बच्चे बारदान की कीमत से जेब खर्च निकालते हैं तो कुछ बच्चे जुआ भी खेलते हैं।
जिंदगी का जुआ खेल रहे इन बच्चों में से प्रत्येक बच्चा प्रतिदिन दस से बारह ट्रकों से बीयर की बोतल खींचता हैं। इन बच्चों को ट्रक से बोतल निकालने का दृश्य देखने वाले साधारण व्यक्ति के लिए अपने दिल की गति को संभालना मुश्किल कहा जा सकता है। लेकिन इन बच्चों के लिए तो सिर्फ यह खेल है जिंदगी को चलाने का, परिवार का पेट पालने का और अपने शौक-मौज पूरा करने का।
खेल है खतरनाक
ट्रक में से बोतल निकाल ने वाले बच्चे दीपक,ब्रजमोहन,संजु उर्फ टकला ने बताया कि माता-पिता तो काम पर चले जाते है। दुसरे बच्चों को अच्छे कपड़े पहने और अच्छी खाने की वस्तु खाता देख हमारी भी इच्छा होती हैं कि हम भी अच्छा खाए और पहने। लेकिन गरीबी के कारण यह सब मिलना संभव नही हैं। कुछ बच्चों के तो माता-पिता को भी इस बात का पता नही हैं कि उनके काम पर जाने के बाद उनके बच्चे प्रतिदिन यह खतरनाक खेल खेलते हैं।

मनीष पराले,21, लक्ष्मणपुरा, कुए के पास, रतलाम

No comments:

Post a Comment