Pages

click new

Friday, October 4, 2013

शिवराज का विन्ध्य विनाश

                                                           विनोद उपाध्याय, भोपाल से 
toc news internet channel 

यहां बाघ ही सफेद नहीं हुआ करते थे, यहां के पहाड़ भी सफेद हैं। कभी सफेद बाघ की जन्म स्थली रहे विंध्य पर्वतमाला के कैमोर पहाड़ (छुईया घाटी) का अस्तित्व संकट में है। समूचा कैमोर पहाड़ उद्योगपतियों को पट्टे पर दे दिया गया है। इसकी कोख में डायनामाइट के धमाके हो रहे हैं। क्योंकि इसके पेट में उच्चस्तरीय लाइम स्टोन है, जिससे हाईग्रेड की सीमेन्ट बनेगी। सरकार ने समूचे कैमोर पहाड़ को टुकड़ों में एक हिस्सा जेपी घराने के नाम लिख दिया। एक हिस्से पर अम्बानी घराने की नजर है। बिड़ला और एसीसी पहले से ही यहां खदानें चला रहे हैं। एक बड़ा हिस्सा पिसकर सीमेंट बन चुका है और उसकी कमाई सत्ता -उद्योगपति -नेता और नौकरशाहों के गठजोड़ में बंट चुकी है।

एक तरफ प्रदेश की शिवराज सरकार रीवा के गोविंदगढ़ किले के निकट मांद संरक्षण क्षेत्र में एक चिडिय़ाघर, एक बचाव केंद्र तथा विलुप्त हो रहे सफेद बाघों के प्रजनन केंद्र को शुरू करने की तैयारी कर रही है। (यह वही जगह है जहां सफेद बाघ मोहन को 1951 से 1970 में इसकी मौत होने तक रखा गया था।) वहीं दूसरी तरफ इसके आस पास के वन्य और पहाड़ी क्षेत्र को खनन के लिए कंपनियों को दे दिया गया है। यहां रोजाना डायनामाइट का ब्लास्ट किया जा रहा है। इससे कैमोर पहाड़ी धंसक रही है। प्रसिद्ध छुहिया घाटी में बड़े पैमाने पर लैण्डस्लाइडिंग शुरू हो गई है। इसी की तराई पर जेपी का बड़ा सीमेंट प्लांट लगा है और कुछ दूर से ही लाइम स्टोन की खदानें शुरू हो जाती हैं। इसी सीमेंट प्लांट का पेट भरने के लिए कैमोर पहाड़ का 500 एकड़ का रकबा खदान के लिए पट्टे पर दे दिया गया है।

आंदोलनकारियों को भेजा जेल

क्षेत्र में खनिज संसाधनों की बंदरबाट और पर्यावरण एवं प्राणियों के अस्तित्व को उत्पन्न होने वाले खतरे को देखते हुए छुईया घाटी के आसपास के गांवों के लोगों ने जब आंदोलन शुरू किया तो उसे दबाने के लिए खनन एजेंसियों ने प्रशासन के साथ मिलकर दबाने का प्रयास किया। लेकिन जब सीधी और सतना जिले के दर्जनों गांवों के लोगों पर्यावरण प्रेमी उमेश तिवारी के टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा तथा समाजसेवी अनुसुईया प्रसाद शुक्ला के छुईया घाटी बचाओं संघर्ष मोर्चा के साथ जंगल के वृक्षों की कटाई को रोकने के लिए उनसे लिपटकर चिपको आंदोलन चलाया तो कुछ दिनों के लिए कटाई रोक दी गई। लेकिन एक बार फिर से कटाई शुरू हो गई है। इसको देखते हुए गामीण एक बार फिर से आंदोलन को तेज करने लगे तो 25 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर सीधी जेल में डाल दिया गया है।

आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे अनुसुईया प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि विंध्य क्षेत्र में धीरे-धीरे घुसपैठ करने वाला माफिया और खनन कारोबारियों ने अब यहां अपना साम्राज्य फैलाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में गुजरने वाले कैमोर पठार का हिस्सा बनी छुईया घाटी खनन माफिया की काली करतूत व प्रशासन की मिली भगत के चलते खोखली होती जा रही है। प्रदेश में खनिज संसाधनों की खुली लूट जारी है। शासन-प्रशासन के इशारे पर पर्यावरण एवं प्राणियों के अस्तित्व को उत्पन्न होने वाले खतरे पर चिंतन किए बगैर निजी स्वार्थों को साधते हुए सघन वनांचल में भी धड़ल्ले से खनन की अनुमतियां जारी की जा रही हैं। खनिज संपदा की लूट के इस मामले में सबसे अधिक खेदपूर्ण स्थिति यह है कि एक -दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले भाजपा-कांग्रेस के नेता भी एक सुर में राग अलाप रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण पर करोड़ों खर्च कर चलाई जा रही योजनाएं व्यर्थ साबित हो रही हैं और पर्यावरण विनाश के चलते तेज बरसात में पहाड़ों से भूस्खलन होने पर तलहटी में स्थित गांवों की हालत उत्तराखंड की बर्बादी की दास्तान यहां भी दोहरा सकती है। शुक्ला कहते हैं कि छुईया घाटी (कैमोर पहाड़ी) के सघन वन क्षेत्र में प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने पर्यावरण और वन्य प्राणियों की क्षति का आंकलन किए बिना कुछ अधिकारियों की तथ्यहीन रिपोर्ट के आधार पर एक बड़ी निजी कंपनी को खनन अनुमति जारी कर दी है।

आमरण अनशन पर बैठे ग्रामीण

शासन और प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी छुईया घाटी क्षेत्र में सतना जिले की 200 और सीधी जिले की 300 एकड़ जमीन पर हो रहे उत्खनन को रोकने के लिए ग्रामीण अब आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अनशन पर बैठे हरीशंकर तिवारी,देवेंद्र तिवारी और राजेश पांडेय ने बताया कि घाटी में हो रही ब्लास्टिंग से वनक्षेत्र के पटना, सरदा, मझगवां, करियाझार, मलगांव, पिपरांव, धौरहरह,बघवार,गुढ़हाटोला,चौडग़ढ़ी,हिनौती आदि गांवों के अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया है।

इस तरह मिली अनुमति
अनुसुईया प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि गत वर्ष जेपी समूह के जेपी सीमेंट मझगवां को पर्यावरण नियमों की अनदेखी करते हुए खनन की अनुमति दे दी गई थी। वर्षांत में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा दिनांक 12 नवंबर 2012 को जारी पत्र क्रमांक 8-66/2007- एफसी तथा मध्यप्रदेश शासन के वन विभाग भोपाल द्वारा दिनांक 24 नवंबर 2012 को जारी पत्र क्रंडी- 3274/3298/2012/10-3 के माध्यम से सीधे जिले के मझगवां ब्लॉक रेंज के 1121 नंबर कम्पार्टमेंट के 54.825 हैक्टेयर रकबे में जयप्रकाश ऐसोसिएट लिमिटेड रीवा के चूना पत्थर उत्खनन को स्वीकृति दे दी गई। जबकि इसी तरह उक्त तिथियों में भारत सरकार के वन और पर्यावरण तथा मप्र सरकार के वन विभाग द्वारा जारी पत्रों द्वारा बुढगौरा ब्लॉक के कम्पार्टमेंट क्रमांक 1119 एवं बधवार के गुडहा टोला के 66.945 हैक्टेयर रकबे पर भी उक्त कंपनी को चूना पत्थर उत्खनन को स्वीकृति दे दी गई। इसके अलावा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की तथ्यहीन और गलत जानकारियों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट के आधार पर शासन और केंद्र ने छुईया घाटी के सतना जिले के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में भी खनन को मंजूरी दे दी।

अरबों के सागौन वन स्वाहा

अनुसुईया प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों को प्रभाव में लेकर जयप्रकाश ऐसोसिएट लिमिटेड ने खनिज अनुमति लेने के साथ ही वृक्षों की कटाई शुरू कर दी गई। वह कहते हैं कि इस वन क्षेत्र में सागौन के पेड़ लगे हुए हैं। वन विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से अब तक अरबों रूपए के सागौन के वृक्ष काटे जा चुके हैं। यह वही क्षेत्र है जहां कृष्ण मृग,चीतल,सांभर आदि रहते हैं। घाटी के आसपास के लोगों का कहना है कि उनका आंदोलन तब तक चलेगा जब तक वनक्षेत्र में खनन और कटाई पूर्णत: बंद नहीं हो जाता।

शिवराज और अजय सिंह की मिलीभगत

ग्रामीणों का कहना है कि विंध्य क्षेत्र की वन संपदा का दोहन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह की मिलीभगत से हो रहा है। वह कहते हैं कि यही कारण है कि न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष इस मामले को गंभीरता से ले रहा है।

No comments:

Post a Comment