जिंदल स्टील की मानहानि याचिका खारिज
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मामले पर फैसला देते हुए गोमती मनोचा ने कहा कि मानहानि के कानून का इस्तेमाल आलोचकों को चुप करने के एक हथियार के रूप में नहीं होना चाहिए। कोर्ट को मीडिया का बचाव करना है, जिसकी यह नैतिक, कानूनी व सामाजिक जिम्मेदारी है। कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला देश के प्राकृतिक संसाधन (संपदा) से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा इससे कठिन परिश्रम करने वाले करदाताओं का हित भी जुडा है। जिसे जानने का लोगों को हक है। देश का चौथा स्तंभ होने के नाते भ्रष्टाचार को उजागर करने व लोगों की राय जुटाने में मीडिया की अहम भूमिका है। इसे कोर्ट विफल नहीं कर सकता।
जेएसपीएल ने अपनी याचिका में यह कहते हुए मीडिया समूह, मुख्य सम्पादकों व प्रकाशकों पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था कि कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले से संबंधित गलत खबरें प्रकाशित की गई। जिससे कंपनी की छवि खराब हुई। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में 57 कोल ब्लॉक का जिक्र किया है। जिसमें से मात्र चार ब्लॉक ही कंपनी और उसकी सहयोगी कंपनियों को आवंटित हुए थे। जिसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी। सीएजी को भी गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला था। मीडिया ने खबरों को गलत तरीके से पेश किया।
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