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Saturday, November 2, 2013

क्रूर चेहरा है अखिलेश सरकार की पुलिस का.....देखो बम फोड़ डाला

toc news internet channel 

उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी कार्यशैली को लेकर यूँ तो हमेशा ही सवालो के घेरे में रहती है लेकिन अखिलेश यादव कि सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी तरह निरंकुश हो चुकी है. समाजवादी पार्टी के मंत्रियो और विधायको के पैर छू छू कर उन्हें सैल्यूट मारनी वाली हमारी यूपी पुलिस आम जनता के लिए खलनायक की भूमिका में नज़र आ रही है या यूँ कहना कि अखिलेश यादव कि पुलिस आम जनता की पिटाई को सदैव तत्पर रहती है, गलत नहीं होगा! ये बात हम हवा में नहीं कह रहे बल्कि इन तस्वीरों को देख कर आपको भी यकीन आ जायेगा कि समाजवाद का रंग अब यूपी पुलिस पर भी पूरी तरह चढ़ चुका है.

ये पहली तस्वीर है बाराबंकी सदर तहसील की जिसमे बाराबंकी के सीओ सिटी विशाल विक्रम सिंह और कुछ पुलिसकर्मी अज़हर नाम के व्यक्ति को लातों और घूंसों से जानवरों की तरह पीट रहे है. अज़हर का कसूर महज़ इतना था कि वो तहसील दिवस के मौके पर सजे डीएम और एसपी के दरबार में अपनी पत्नी से झगड़ बैठा था. अज़हर की यही करतूत सीओ सिटी विशाल विक्रम सिंह को इतनी नागवार गुज़री कि उन्होंने अज़हर को तहसील परिसर में दौड़ा दौड़ा कर उसे जानवरो की तरह पीटा और ऐसी भद्दी भद्दी गालियां दी जो सड़क छाप मवालियो के मूँह से ही सुनी जा सकती है. इस घटना के वक़्त बाराबंकी की डीएम और एसपी दोनों ही मौजूद थे लेकिन किसी ने भी न तो इस बर्बरता का विरोध किया और न ही बर्बरता दिखाने वाले पुलिसकर्मियो पर कोई कार्रवाई. शायद बड़े अधिकारी भी भी इस कड़वे सच को करीब से जान गए हैं कि प्रदेश में जंगल राज चल रहा है और कोई कुछ भी कर सकता है.

ये दूसरी तस्वीर भी दास्तान बयान कर रही है अखिलेश की पुलिस के उस तालिबानी कहर कि जो पुलिस ने क़ुर्बान अली नाम के एक व्यक्ति पर बरपाया है. बाराबंकी के टिकैत नगर इलाके में रहने वाले क़ुर्बान अली को पुलिस 3 सितम्बर को खेत से उठा ले गयी और उस पर जुवा खेलने का आरोप मढ़ कर इतना सितम बरपाया कि जिसे देख कर क्रूरता के लिए मशहूर तालिबान भी शर्मिंदा हो जाये. इस मामले में पीड़ित ने बाराबंकी के पुलिस कप्तान से शिकायत भी की लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. थक हार कर क़ुर्बान अली ने अदालत से न्याय कि फ़रियाद की और अदालत ने आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ बंधक बना कर मारपीट और जान से मारने कि धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए है जिसके बाद पुलिस को मज़बूरन मुकदमा दर्ज करना पड़ा है.

(कामरान अल्वी की फेसबुक वाल पोस्ट पर आधारित)



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