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Friday, December 27, 2013

बिना परमिट चल रही थी मिगलानी ट्रेवल्स की बस!

(अखिलेश दुबे)
toc news internet channel

सिवनी । सिवनी शहर से होकर गुजरने वाली यात्री बस में से कितनी वैध हैं कितनी अवैध यह बात परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को भी शायद नहीं पता है। 24 दिसंबर को सिवनी में लूघरवाड़ा के समक्ष हुई बस दुर्घटना में आश्चर्यजनक तत्य उभरकर सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बस का परमिट सारणी से बालाघाट का था, एवं इसका बीमा पिछले साल 28 जनवरी को ही समाप्त हो गया था।
अवैध रूप से यात्री बस संचालित कर मनमाना किराया वसूलने वाले संचालकों के लिए सिवनी स्वर्ग समान है। इसका कारण यह है कि सिवनी में न तो परिवहन विभाग को ही इस बात से कोई लेना देना है और ना ही यातायात पुलिस ही इस मामले में कागज प्रपत्र देखने की जहमत उठाती है। सिवनी में सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है।

ज्ञातव्य है कि 24 दिसंबर को दोपहर के समय छिंदवाड़ा से जबलपुर की ओर जाने वाले मिगलानी बस के ड्रायवर की लापरवाही से यात्रियों की जान जोखिम में उस वक्त पड़ गई जब बस को अनियंत्रित होता देख ड्रायवर पहले ही बस से कूद गया और बस एक झाड़ से जाकर टकरा गई जिससे लगभग 15 यात्री घायल हो गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मिगलानी की बस क्रं. एमपी 09 एफए 2006 छिंदवाड़ा से जबलपुर की ओर जा रही थी। यात्रियों ने बताया कि चालक सिवनी बस स्टैंड से ही लापरवाहीपूर्वक वाहन चला रहा था एवं संभवतः वह नशे में था। शायद यही कारण था कि सेंट फ्रासिंस स्कूल के सामने बस अनियंत्रित हो गई। बस को अनियंत्रित होता देख बस ड्रायवर बस से कूद गया और बस तेज रफ्तार में एक पेड़ से जा टकराई, जिससे वाहन में सवार यात्री घायल हो गये।

राजेश मिगलानी हैं बस संचालक
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के छिंदवाड़ा ब्यूरो ने परिवहन अधिकारी कार्यालय, छिंदवाड़ा के सूत्रों के हवाले से बताया कि उक्त यात्री बस के मालिक एस.एस.मिगलानी के पुत्र राजेश मिगलानी हैं। यह बस इंदौर के किसी मनीष जैन द्वारा 7 फरवरी 2009 को खरीदी गई थी। इस बस का उपयोग पूर्व में आचार्य ज्ञान आयुर्वेदिक कालेज में किया जाता था। इसके उपरांत 5 सितम्बर 2013 को इस बस को राजेश मिगलानी द्वारा खरीद लिया गया।

कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना!
आरटीओ छिंदवाड़ा के सूत्रों ने आगे बताया कि कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना की तर्ज पर इस बस को संचालित किया जा रहा था। सूत्रों की मानें तो इस बस का परमिट सारणी से छिंदवाड़ा सिवनी होकर बालाघाट तक का है पर इसे छिंदवाड़ा से जबलपुर मार्ग पर संचालित किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार परिवहन विभाग, यातायात पुलिस के साथ ही साथ छिंदवाड़ा से जबलपुर मार्ग में पड़ने वाले समस्त थानों के सहयोग के बिना बस संचालक द्वारा इस काम को अंजाम नहीं दिया जा सकता है कि परमिट कहीं का और चले किसी अन्य मार्ग पर!

अस्थाई परमिट की तैयारी!
सूत्रों ने आगे बताया कि दुर्घटना घट जाने के बाद अब क्लेम वैगरा सेटिल करने की गरज से इस बस का छिंदवाड़ा से जबलपुर की ओर का अस्थाई परमिट बनवाए जाने की कवायद आरंभ कर दी गई है। 24 तारीख को बरात, मेला ठेला या अन्य स्पेशल वाहन को दर्शाकर इसका परमिट निकालने का प्रयास जारी है। वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि चूंकि अब सब कुछ इंटरनेट के माध्यम से होने लगा है अतः पिछली तिथि यानी बेक डेट में रसीद कटवाकर परमिट बनवाने में जरा अड़चन आ सकती है।

नहीं था बस का बीमा!
बिना बीमा के सड़कों पर वाहन दौड़ाने पर यातायात पुलिस या परिवहन विभाग द्वारा आम जनता की गर्दन नाप दी जाती है पर यहां मामला कुछ अलग ही नजर आ रहा है। परिवहन अधिकारी कार्यालय इंदौर के सूत्रों का कहना है कि इस बस के संचालक द्वारा बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी के कव्हर नोट नंबर 421 के माध्यम से 18 फरवरी 2009 से 17 फरवरी 2010 की मध्य रात्रि तक का बीमा प्रस्तु किया गया था। इसके बाद 29 जनवरी 2011 से 28 जनवरी 2012 तक का बीमे की जानकारी परिवहन कार्यालय छिंदवाड़ के इंद्राज में दर्ज है। 29 जनवरी 2012 के बाद इसका बीमा हुआ है अथवा नहीं इस बारे में परिवहन कार्यालय छिंदवाड़ा के सूत्रों ने बताया कि कार्यालय में इस तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं है।

क्या हो पाएगी कार्यवाही!
सूत्रों की बातों पर अगर यकीन किया जाए तो यक्ष प्रश्न यह है कि क्या इस मामले में सिवनी पुलिस द्वारा कठोर कदम उठाया जाएगा। अगर वाकई किसी अन्य मार्ग के परमिट के बाद यह वाहन किसी अन्य मार्ग पर संचालित किया जा रहा था तो यह अपराध है, और इस अपराध के लिए संचालक के साथ ही साथ यातायात पुलिस और परिवहन विभाग पर भी कार्यवाही सुनिश्चित होना चािहए, किन्तु कहा जा रहा है कि दोनों ही विभाग दुधारू गाय हैं अतः इन पर कार्यवाही शायद ही हो पाए।

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