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Wednesday, December 4, 2013

PTI 'प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया' के भोपाल कार्यालय के भवन पर अस्तित्व का संकट

पीटीआई दफ्तर पर पुलिस की गिद्ध दृष्टि
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देश के प्रीमियम समाचार अभिकरण 'प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया' के भोपाल कार्यालय के भवन पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। मध्यप्रदेश पुलिस का मुख्यालय इस पर कब्जा करना चाहता है। पुलिस हैडक्वाटर के गेट नं. 3 से सटे 'मोती बंगला' में पीटीआई का ऑफिस है, जो पीडब्लूडी ने 1956 में प्रदेश बनने के साथ ही इसे किराए पर दिया था और मेरी जानकारी के अनुसार किराया अद्यतन है। पिछले दिनों एडीजी योजना पवन जैन पीटीआई आफिस में बिना किसी को सूचित किए शाम के समय लावलश्कर सहित जा धमके और मातहतों को निर्देश देने लगे ये यहां से तोड़ दो, ये सड़क यहां तक चौड़ी कर दो, यहां पार्किंग बना देंगे। अपने स्टाफ से इसकी सूचना मिलने पर अगले दिन पीटीआई के साथी, डीजीपी नंदन दुबे से शिकायत लेकर पहुंचे, तो उन्होने कहा कि ये बिल्डिंग तो पुलिस की है, हमने पीडब्लूडी को लीज़ पर दी थी, हमें बताया गया है कि आपको इसे खाली करने के लिए 25 नवंबर तक का समय दिया गया है। यानि चुनाव आचार संहिता में क्या यही सरकार हैं?

सरकार के पक्ष में न लिखो पर पुलिस नाराज़

पीटीआई भोपाल के पीछे की दीवार में पुलिस हैडक्वार्टर की तोड़फोड़
मध्यप्रदेश पुलिस इन दिनों देश की सर्वश्रेष्ठ न्यूज एजेंसी में शुमार की जाने वाली प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया (पीटीआई) के भोपाल भवन पर गिध्द दृष्टि जमाए बैठी है। वजह बहुत ही मामूली है कि पीटीआई मध्यप्रदेश सरकार और खासकर भाजपा के पक्ष में खुलकर अपनी कलम नहीं चला सकी । लिहाजा सरकार के एक प्रिय अफसर एडीजी योजना पवन जैन अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिए पीटीआई को नोटिस थमा बैठे। दरअसल पीटीआई का भवन पुलिस मुख्यालय से सटा हुआ है और 1956 से पीटीआई के पास किराए के तौर पर है। यह भवन पीडब्ल्यूडी ने उस समय पीटीआई को समाचार एजेंसी चलाने के लिए दिया था। जिसका किराया आज भी एजेंसी सरकार के संपदा विभाग में जमा करा रही है। मध्यप्रदेश पुलिस कह रही है कि यह भवन उसका है और उसने पीडब्ल्यूडी को लीज पर दिया था। अब पुलिस यहां पर इस भवन के पीछे बन रहे नए पुलिस मुख्यालय की पार्किंग बनाते हुए मुख्यव्दार भी बनाना चाहती है। नया पुलिस मुख्यालय शुरुआत से ही विवादों में है इसके टेंडर में काफी अनियमितताएं बरती गई थी। यह अनियमितता पवन जैन के पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के एमडी रहने के दौरान बरती गई थी। अब पवन जैन एक बार फिर अपनी गड़बडिय़ों को छिपाने के लिए नया विवाद खड़ा कर रहे है।




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