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Friday, January 3, 2014

वैकल्पिक चिकित्सा संघ द्वारा डॉक्टरों के साथ खिलवाड़ - वैकल्पिक चिकित्सा पार्ट 1

वैकल्पिक चिकित्सा संघ द्वारा डॉक्टरों के साथ खिलवाड़ - वैकल्पिक चिकित्सा पार्ट 1

वैकल्पिक चिकित्सा संघ द्वारा डॉक्टरों के साथ खिलवाड़

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भोपाल से विनय डेविड की रिपोर्ट 

भोपाल। आजादी के वर्षों बाद भी भारत में कई प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का क्षरण हुआ। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति और उनसे जुड़े चिकित्सकों को बचाने के उद्देश्य से भोपाल में ''वैकल्पिक चिकित्सा संघ'' समिति का पंजीयन कराया। पंजीयन 28 मार्च 2011 को किया गया। इस समिति में सभी पदाधिकारी भाजपा से जुड़े है जो ''वैकल्पिक चिकित्सा संघ'' के नाम पर लाभ कमा रहे है। पिछले कई वर्षों से वैकल्पिक चिकित्सकों के पक्ष को सामने लाने के नाम पर भाजपा कार्यालय के सामने चिकित्सा सम्मेलन किया जाता रहा, जिसमें हजारों की संख्या में झोलाछाप डॉक्टरों का जमावड़ा किया जाता है। 

''वैकल्पिक चिकित्सा संघ'' ने पिछले वर्षों में हजारों झोलाछाप डॉक्टरों को साधारण सदस्य बनाया और सभी से बारह सौ रूपये वार्षिक वसूल किया। पिछले सम्मेलन में पांच हजार सदस्यता का दावा किया गया था इसका मतलब है इन डॉक्टरों से साठ लाख रूपये ''वैकल्पिक चिकित्सा संघ'' ने 2012 -13  में वसूल किये जबकि इसके बदले उन झोलाछाप डॉक्टरों को बीते वर्षों में कोई लाभ नहीं दिला सके। इस वर्ष फिर 11 जनवरी 2014  को दीनदयाल परिसर भाजपा कार्यालय के सामने सुबह 11 बजे से विशाल चिकित्सकों का सम्मेलन किया जा रहा है। सम्मेलन इलेक्ट्रोपैथी के जनक डॉ. काउन्ट सीजर मेरी के जन्मदिवस पर आयोजित होता है। इस वर्ष ''वैकल्पिक चिकित्सा परिषद के गठन '' के नाम पर आहवान किया गया है देखना होगा कि पूरे प्रदेश से झोलाछाप डॉक्टरों के लिए आखिर ग्यारहवें वर्ष की शुरूआत में भाजपा क्या लाभ देती है। 

एलोपैथिक दवाओं को वितरित करने के मामले में राज्य के होम्योपैथिक डॉक्टरों का आंदोलन और तेज हो गया है। सूबे के होम्योपैथिक डॉक्टर काफी लंबे समय से एलोपैथिक दवाओं के वितरण करने देने की मांग सरकार से कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी मांगें सुनने को तैयार नहीं है। सरकार एक तरफ सूबे में डॉक्टरों की कमी का रोना रोते हुए सभी को मेडिकल सुविधा देने में हाथ खड़े कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जब होम्योपैथिक डॉक्टर आम लोगों को अपनी सेवा देने के लिए तैयार हैं, तो उन्हें ऐसा करने से रोका जा रहा है। 

होम्योपैथिक डॉक्टर बनने के लिए उनको वहीं पाठ्यक्रम पढ़ना पढ़ता है, और उतने ही साल कॉलेज में गुजारने पड़ते हैं, जितना कि एक एमबीबीसी डॉक्टर बनने में। फिर होम्योपैथिक डॉक्टर को एलोपैथिक का इलाज करने देने में सरकार को क्यों आपत्ति हो रही है। ये समझ से परे है।

सरकार उन होम्योपैथिक डॉक्टरों को एलोपैथिक इलाज करने देने की मंजूरी देने से ये कहकर मना कर रही है, कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1959 में होम्योपैथिक डॉक्टरों को रजिस्टर्ड प्रैक्सिनर का दर्जा ही नहीं दिया गया है। लेकिन, उसी कानून में ये भी कहा गया है, कि राज्य सरकार इस मामले में अपना अलग-अलग कानून बना सकती है। जैसा कि कर्नाटक समेत कई राज्यों की सरकारों ने किया भी है।

शहर हो या कस्बा चारों तरफ झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार दिखाई देने लगी हैं। जिले में इस तरह के डॉक्टरों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं। जिसके चलते आम जनमानस को अक्सर मुसीबतों से लोहा लेना पड़ता हैं। इस तरह की समस्याओं को देखते हुए कलेक्टर और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए तमाम अधिकारियों ने स्वास्थ्य से जुड़े हुए विभिन्न मसलों पर एवं स्वास्थ्य से जुड़ी हुई विभिन्न शासकीय नीतियों पर गंभीर चर्चा की और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े हुए तमाम अधिकारियों को झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनें के सख्त निर्देश जारी किया। 

वैकल्पिक चिकित्सा संघ की सदस्यता
संस्था संरक्षक सदस्य के लिए 11000/-, आजीवन सदस्य 5500/-रूपये और साधरण सदस्यों के लिये 1200/- प्रतिवर्ष है जो लोग राशि का भुगतान कर देते है उन्हें यहां सदस्य मिल जाती है चाहे वो किसी भी प्रकार का डॉक्टर हो या ना हो। 

डॉक्टरों के डिग्री पर सवाल
वैकल्पिक चिकित्सा के नाम पर बिना डिग्री डिप्लोमा के डॉक्टर प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते है, शहरों में तो फिर भी गनीमत हैं क्योंकि यहां की जनता काफी हद तक तो समझदार हैं। लेकिन गांवों की स्थिति तो बहुत ही बुरी हैं। इस तरह के झोलाछाप डॉक्टर अपनी फर्जी डिग्रियों के आधार पर पिछड़े इलाकों में अपनी क्लीनिक खोलकर आम जनता के स्वास्थ्य एवं उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इस तरह के झोलाछाप डॉक्टर कई बार तो अपनी अज्ञानता का प्रयोग गांव की भोली-भाली जनता पर करते हैं। 

बेसिक मेडिकल प्रैक्टिसनर कोर्स ने भी लुटा 
पहले भी प्रदेश के झोलाछाप डॉक्टर ''बेसिक मेडिकल प्रैक्टिसनर'' के नाम पर ठगे जा चुके है , अब इनको संरक्षण देने का काम विगत तीन वर्षो से ''वैकल्पिक चिकित्सा संघ'' वाले कर रहे है, कितना डाक्टरों को इन लोगो ने बिना डिग्री डिप्लोमा के सदस्यता दे दी और जनता के स्वस्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का लाइसेंस दे दिया, एक तरफ इनके खिलाफ प्रशासन से कार्यवाही करवाते है दूसरी तरफ संरक्षण दे रहे है। 

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