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Saturday, January 25, 2014

आईबी विभाग में भर्ती को लेकर हुई लाखो की वसूली

दो जिलो की पुलिस के बीच उलझा मामला
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बैतूल: भारत सरकार की खूफिया जांच ऐजेन्सी आईबी के 12 पदो की भर्ती को लेकर सरकारी नौकरी का लालच देकर 12 बेरोजगार युवको से लाखो रूपयो में पैसा वसूला गया। युवको ने झांसे में आकर अंक सूची और फोटो के साथ पैसा भी दे दिये। काफी इंतजार के बाद जब भारत सरकार के आईबी विभाग से कोई बुलावा पत्र बेरोजगार युवको को नहीं मिला तो उन्होने अपने स्तर पर खोजबीन शुरू करी तो फर्जीवाड़े का पता चला। इस फर्जीवाड़े में जिला बैतूल के युवक शिकार बने हैं तो फजीवाड़ा करने वाले जिला छिन्दवाड़ा के हैं जिन्होने इस अपराधिक काम को बैतूल के दो व्यक्यिो के माध्यम से ही अंजाम दिया। मामले की शिकायत पुलिस के पास की गई। अब मामला बैतूल पुलिस से वैधानिक कार्यवाही हेतु छिन्दवाड़ा भेजा गया हैं। छिन्दवाड़ा पुलिस को न जाने एैसा क्या मिल गया हैं कि वहां भी पुलिस केवल जांच करने तक ही सीमित हैं। कानून के जांनकार इसे दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानो का हनन बता रहे हैं।

क्या हैं मामला

जिला बैतूल के पुलिस चौकी मासोद के अंतर्गत ग्राम हिवरखेड की घटना की शुरूआत हैं। वर्ष 2011 में ग्राम हिवरखेड़ निवासी महादेव माकोड़े ने ग्राम के रमेश कुम्भारे को भारत सरकार के आईबी विभाग में 12 पदो की भर्ती की जानकारी देकर सरकारी नौकरी में लगाने के लिए पैसे से सक्षम युवको की जानकारी मांगी तो रमेश कुम्भारे ने ग्राम हिवरा थाना आठनेर निवासी नंदकिशोर बारस्कर को जानकारी दी। इसके बाद नंदकिशोर बारस्कर ने नौकरी की तलाश में भटक रहे बेरोजगार युवको की तलाश की तो ग्राम हिवरा, जीनदनोरा के युवको से संपर्क किया। युवको ने सरकारी नौकरी में लगने के लिए अंकसूची, फोटो और पैसा लेकर नंदकिशोर एवं महादेव माकोड़े के साथ छिन्दवाड़ा जिले के पाढर्ऩा निवासी दिनेश व कृष्णा को ले जाकर दिए थे। इस कहानी का सबसे रोचक बात यह हैं कि नंदकिशोर स्वयं भी सरकारी नौकरी चाहता था। पुलिस अधीक्षक बैतूल से की गई शिकायत के तहत 12 युवको ने करीब कोई 10 लाख 80 हजार रूपए नगद नौकरी के नाम पर चुकाए हैं। 

पुलिस कार्यवाही पर सवाल

भारत सरकार के आईबी विभाग से जब बुलावा पत्र नहीं मिला तो ग्राम हिवरा, जीनदनोरा एवं हिवरखेड़ के बेरोजगार युवको ने नंदकिशोर बारस्कर एवं महादेव माकोड़े से अपने अपने पैसे वापस मांगने लगे। युवको को जब पैसा वापस नहीं मिला तो उन्होने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की बात कही। नंदकिशोर ने युवको को बताया कि दिनेश ने मुझे भारतीय स्टेट बैंक की शाखा पांढर्ऩा का 3 लाख 17 हजार रूपए  तथा संतोष वाघमारे को 3 लाख रूपए का चैक दिया गया हैं जिससे सभी की रकम का भुगतान हो जायेगा। एसबीआई, शाखा, आठनेर से जब चैंक का अपर्याप्त राशि के चलते अनादरण हो गया तो युवको की नाराजगी को देखते हुए नंदकिशोर बारस्कर ने खुद का बचाव करते हुए पुलिस अधीक्षक बैतूल को वर्ष 2013 में शिकायत की। पुलिस चौकी मासोद ने मामले की जांच करते हुए केवल गवाहो के ब्यान दर्ज किए जिसमें नंदकिशोर बारस्कर एवं महादेव माकोड़े से पूछताछ कर छोड़ दिया गया। पुलिस ने अपराध दर्ज नहीं किया।

मामले का स्थानांतरण

पुलिस चौकी मासोद द्वारा घटना का स्थल बैतूल जिले का नहीं मानते हुए पांढुर्ना का मानते हुए अपराधिक प्रकरण को पुलिस अधीक्षक बैतूल कार्यालय से छिन्दवाड़ा स्थनांतरण कर दिया गया। पुलिस थाना पांढुर्ना ने भी अपराध कायम कर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाए मामले में जांच की और नंदकिशोर बारस्कर के ब्यान दर्ज कर मामले को ही बंद कर दिया गया। छिन्दवाड़ा और बैतूल पुलिस केवल जांच कर रहीं हैं लेकिन अपराध कायम कोई भी पुलिस नहीं कर रहीं हैं। पीडि़त युवको को केवल कानून और न्याय का सहारा हैं जो कि उन्हे नहीं मिल पा रहा हैं और कानून और न्याय का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पा रहा हैं। युवक बताते हैं कि नंदकिशोर बारस्कर और महादेव माकोड़े से धोखाधड़ी करने वाले दिनेश और कृष्णा लगातार संपर्क में हैं। अपराध विधि के जानकार जिला अभिभाषक संघ के सचिव अनूप सोनी अधिवक्ता बताते हैं कि इस अपराधिक घटना के बैतूल एवं छिन्दवाड़ा जिला के अंतर्गत दो घटना स्थल हैं। शिकायत बैतूल पुलिस को की गई थी, इसलिए पुलिस चौकी मासोस को अपराध पंजीबद्ध कर तहकीकात करना चाहिए था। कानून के लम्बे और मजबूत हाथ जब तक दिनेश और कृष्णा को अपने शिकंजे में नहीं कस लेते हैं तब तक तो ना जाने कितने बेरोजगार युवक धोखाधड़ी का शिकार होकर अपनी जमा पूंजी से हाथ धोते रहेंगे?

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