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Monday, January 27, 2014

गर्मा रहा है नर्स अनिता रजक को निलंबित करने का मामला!

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(महेश रावलानी)

सिवनी । लखनादौन में कथित तौर पर इंजेक्शन लगाने पर हुए एक सोलह वर्षीय बाला की मौत का मामला अब यू टर्न लेकर प्रशासन के गले की फांस बनकर रह गया है। चिकित्सा एवं अन्य क्षेत्र से जुड़े पांच विभिन्न संगठनों ने कलेक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक को संबोधित पत्र में आंदोलन को सशर्त स्थगित करने का निर्णय लिया है।

मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ, मध्य प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के स्वास्थ्य प्रकोष्ठ, मध्य प्रदेश बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ एवं मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के अध्यक्षों के संयुक्त हस्ताक्षरों से जारी इस पत्र में लखनादौन में घटी घटना को आपत्ति जनक करार दिया गया है।

अपने पत्र में उन्होंने 21 जनवरी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखनादौन में पदस्थ महिला चिकित्सक डॉ.ज्योतिबाला पंद्रे, स्टाफ नर्स श्रीमति वसुंधरा एवं एएनएम श्रीमति अनीता रजक के खिलाफ अवैधानिक तौर पर धारा 304ए एवं भादवि की धारा 34 के तहत मुकदमा दायर करने और उन्हें गिरफ्तार करने पर आपत्ति दर्ज की है।

उन्होंने इस पत्र में सर्वोच्च न्यायालय में सिविल अपील नंबर 1386/2009 (सुश्री आई मल्होत्रा विरूद्ध डॉ.ए.कृपलानी एवं अन्य) में 24 मई 2009 को पारित आदेश एवं 11 नवंबर 2011 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं के पत्र क्रमांक अ.प्रशा./सेल-6/2011/1504 का हवाला भी दिया गया है।

इस पत्र में कहा गया है कि एक बच्ची की इंजेक्शन लगाने के उपरांत मृत्यु हो जाने पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा एकतरफा नियम विरूद्ध कार्यवाही करते हुए महिला चिकित्सक डॉ.ज्योतिबाला पंद्रे, स्टाफ नर्स श्रीमति वसुंधरा डांगे एवं एएनएम श्रीमति अनीता रजक के विरूद्ध धारा 304ए एवं भादवि की धारा 34 के तहत मामला पंजीबद्ध कर 21 और 22 जनवरी की दर्मयानी रात में उक्त तीनों महिला अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर निरूद्ध कर लिया गया था। पत्र में कहा गया है कि जिला मुख्यालय पर अधिकारी कर्मचारियों के प्रबल विरोध के कारण 22 जनवरी को दोपहर में इन्हें छोड़ा गया जो आपत्तिजनक एवं खेदजनक है।

पत्र में कहा गया है कि 22 जनवरी को स्वास्थ्य कर्मचारी और अधिकारी संघों के प्रतिनिधि संघों के प्रतिनिधि मण्डल एवं कर्मचारियों के द्वारा कलेक्टर एवं एसपी से भेंट कर ज्ञापन के माध्यम से निरूद्ध कर्मचारियों और अधिकारियों के विरूद्ध दर्ज की गई प्राथमिकी वापस ली जाकर मुकदमों को समाप्त करने का आग्रह किया गया था।

नहीं की कलेक्टर ने सार्थक पहल

अपने इस पत्र में कर्मचारी और अधिकारी संघों के अध्यक्षों ने जिला कलेक्टर भरत यादव पर आरोप लगाया है कि संघों द्वारा जब देश की शीर्ष अदालत की अपील नंबर 1386/2009 (सुश्री आई मल्होत्रा विरूद्ध डॉ.ए.कृपलानी एवं अन्य) में 24 मई 2009 को पारित आदेश एवं 11 नवंबर 2011 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं के पत्र क्रमांक अ.प्रशा./सेल-6/2011/1504 का हवाला दिये जाने के बाद भी जिला कलेक्टर द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को महत्व नहीं दिया गया है।

संघों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि जिला अधिकारियों द्वारा कर्मचारी और अधिकारियों की गिरफ्तारी को उचित ठहराते हुए इन्हें छुड़ाने या प्राथमिकी वापस लेने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई है। संघ का आरोप है कि जिला स्तर पर शीर्ष अधिकारियों द्वारा एक तरफा अवैधानिक कार्यवाही को उचित ठहराने से क्षुब्ध होकर समस्त स्वास्थ्य विभागीय अमले को जनांदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा है।

 प्रांतीय निकाय ने ठहराया सिवनी इकाई की मांग को जायज

वहीं, इस पत्र में इस बात का उल्लेख भी प्रमुखता के साथ किया गया है कि सिवनी जिले के स्वास्थ्य विभागीय संगठनों एवं कर्मचारियों की एक सूत्रीय मांग को जायज ठहराते हुए प्रांतीय निकाय द्वारा मुख्यालय भोपाल एवं प्रदेश के अन्य जिलों में भी प्रदर्शन किए गए हैं। प्रदेश भर से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के लगभग साठ फीसदी जिलों में लखनादौन की इस घटना की अनुगूंज सुनाई पड़ी है। अनेक स्थानों पर कर्मचारी संघों ने प्रतीकात्मक धरना प्रदर्शन कर सिवनी के कर्मचारियों की मांग को उचित ठहराया है।

 सशर्त हुई काम वापसी

इस पत्र में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय निकाय में लिए गए निर्णय के अनुसार जिला सिवनी में किए जा रहे आंदोलन को पूरी तरह उचित ठहराते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अगर 30 जनवरी तक पुलिस में दर्ज प्राथमिकी वापस नहीं ली जाती है एवं दोषी पुलिस अधिकारियों को दण्डित नहीं किया जाता है तो प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से संबंधित समस्त कर्मचारी एवं अधिकारी 31 जनवरी को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे एवं स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प रहेंगी।

 सात दिन का अल्टीमेटम!

पांच संघों के अध्यक्षों से हस्ताक्षरित इस पत्र के अंत में यह कहा गया है कि प्रांतीय निकाय के निर्णय और पहल एवं मानवता को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य विभाग सिवनी के द्वारा भी जारी आंदोलन को सात दिवसों के लिए स्थगित किया गया है। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर अब तक लखनादौन में स्वास्थ्य कर्मचारियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही को 30 जनवरी के अंदर निरस्त कर एफआईआर को वापस नहीं लिया जाता है तो विभाग पुनः आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगा। (साई)

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