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नई दिल्ली (एडविन अमान)। पीएम इन वेटिंग ही रह गए बीजेपी के सबसे सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी 15वीं लोकसभा के आखिरी दिन भावुक हो गए। आखिरी दिन लोकसभा में कई सीनियर नेताओं ने अपने भाषणों में आडवाणी की जमकर तारीफें की। इनमें आडवाणी के दोस्त और राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी दोनों ही शामिल थे। 15वीं लोकसभा में आडवाणी सबसे सीनियर सदस्य थे। वह 1971 में पहली बार संसद बने थे। सांसद उनका बेहद सम्मान करते हैं और पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ के नेता उनके अनुभवों से लाभ उठाते रहे हैं। शुक्रवार को सदन में आखिरी दिन के अपने भाषण में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के सांसद बासुदेव आचार्य ने उन्हें प्यार से ‘फादर ऑफ द हाउस‘ यानी सदन का पिता बताया। उसके बाद तो जो भी बोला, सभी ने उन्हें फादर ऑफ द हाउस कहकर संबोधित किया। आडवाणी उस वक्त बेहद भावुक हो गए जब कांग्रेस के सांसदों और मंत्रियों ने भी उनकी तारीफ की। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने भी आडवाणी के साथ अपने अनुभवों को सुनाया। लेकिन जब विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि आडवाणी के रूप में उन्हें एक संरक्षक मिला और उन्होंने बहुत कुछ सीखा, तो आडवाणी अपने जज्बात को काबू नहीं रख सके और उनकी आंखें छलक आईं। उन्हें अपने आंसू पोंछते देखा गया।
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