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Friday, March 28, 2014

पांच करोड़ निवेशकों से 45 हजार करोड़ रुपये ठगने वाला PEARL और PACL का मालिक निर्मल सिंग भांगू भारत से फरार, मीडिया चुप


Yashwant Singh 
toc news internet channel

पांच करोड़ निवेशकों के पैंतालीस हजार करोड़ रुपये के घोटाले पर न कोई चैनल खबर दिखा रहा और न कोई अखबार फालोअप कर रहा... सब के सब चुप... आरोपी सरदार निर्मल सिंह भंगू विदेश फरार... पैंतालीस हजार करोड़ रुपये का घोटाला करने वाला पर्ल ग्रुप का मालिक Nirmal Singh Bhangoo देश से बाहर जा चुका है. आज से नहीं, जमाने से. उसने अपना सारा कारोबार आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में शिफ्ट कर लिया है. भारत में छोड़ दिया है अपने मैनेजरों को.

करीब पांच करोड़ निवेशकों को ठगने वाले Nirmal Singh Bhangoo की गिरफ्तारी और जेल देश की संवैधानिक संस्थाओं के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है. सबसे बड़ी चुनौती उसे देश लाने और कानून के कठघरे में खड़ा करने की है. सहारा मामले में सेबी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की सक्रियता का नतीजा ये हुआ कि बड़बोले सहारा समूह को औकात में आना पड़ा और सबको मैनेज कर लेने का करिश्मा करने वाले सुब्रत राय सहारा को तिहाड़ जेल जाना पड़ा.

सुब्रत राय के जेल जाने के बाद अब सबकी निगाहें निर्मल सिंह भंगू पर हैं. आखिर पैंतालीस हजार करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले के आरोपी को भारत के पांच करोड़ पीड़ित लोग यूं ही ऐश-ओ-आराम करते देखते रहेंगे या फिर इसे दंड मिलेगा? ज्ञात हो कि इसी ग्रुप का न्यूज चैनल पी7न्यूज नाम से है. इसी ग्रुप की कई मैग्जीन भी हैं, जिनके नाम- शुक्रवार, बिंदिया, मनी मंत्रा आदि हैं. इस ग्रुप के साथ बड़े बड़े संपादक जुड़े हुए हैं. इस मीडिया हाउस का काम अघोषित रूप से अपने मालिक और उनके कुकर्मों को ढंकना छिपाना है. कहीं यही वजह तो नहीं है कि सरकार और सरकारी संस्थाएं कार्रवाई करने से हिचक रही हैं?
इस ग्रुप की महिला मैग्जीन में एक ऐसी वरिष्ठ महिला पत्रकार संपादक हैं जिनके पति एक केंद्रीय मंत्री के न्यूज चैनल के मैनेजिंग एडिटर हैं. इस तरह जुड़ाव का यह क्रम पीएमओ तक पहुंच जाता है. कहने वाले कहते हैं कि जब उपर से कार्रवाई न करने का अघोषित इशारा हो तो सारी चीजें खुद ब खुद धीरे धीरे मैनेज हो जाया करती हैं.

पिछले दिनों सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद Pearl Group, PACL, PGF के ठिकानों पर छापेमारी कर इस पैंतालीस हजार करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया. लेकिन फिलहाल सब कुछ शांत पड़ गया दिखता है. हम सबको पता है कि बड़ों के मामले में ये संस्थाएं तभी हरकत में आती हैं जब या तो सुप्रीम कोर्ट इन्हें टाइट करे या फिर केंद्र सरकार इन्हें एक्शन लेने की खुली छूट दे दे. पिंजरे के तोता के रूप में कुख्यात सीबीआई पर पूरे मामले को अगर छोड़ा गया तो सब कुछ नष्ट भ्रष्ट हो जाएगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता और निवेशकों की जागरूकता बहुत जरूरी है. ये कुछ लिंक इस प्रकरण से संबंधित खबरों के लिए, ताकि हम आप न सिर्फ खुद सजग रहें, बल्कि दूसरों को भी जगा सकें..

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