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Wednesday, May 13, 2015

बैतूल छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है कलैक्टर और सहायक आयुक्त

बैतूल छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है कलैक्टर और सहायक आयुक्त

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श्योपुर की घटना के चलते बैतूल कलैक्टर और सहायक आयुक्त दोनो ही छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है,
इसलिए दोनो ने बैतूल जिले के दो सौ से अधिक छात्राओं एवं छात्रो के होस्टलो के लिए नियुक्त किये पालक अधिकारी

Toc News @ ब्यूरो भोपाल
13 मई 2015

भोपाल, मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में दो संगीन मामलो में बुरी तरह से फंसे बी. ज्ञानेश्वर पाटील एवं सहायक आयुक्त परिहार बैतूल जिले में कहीं श्योपुर वाली घटना पुनः न घट जाए इसलिए दुध के जले व्यक्ति की तरह छाछ भी फूक - फूक कर पी रहे है।

बैतूल जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, तथा भारत सरकार के कस्तुरबा गांधी बालिका , कमला नेहरू बालिका, उत्कृष्ट बालिका, नवोदय जैसे होस्टलो में सप्रमाण शिकायते मिलने के बाद भी उन पर सीधी नकेल कसने से डरते है।

इस बात का खुलासा आरटीआई कार्यकर्त्ता की उस रिर्पोट में आया है कि दोनो ही प्रथम एवं द्धितीय श्रेणी अधिकारियों ने अपनी पदस्थापना के बाद किसी भी महिला प्रभारी होस्टल का निरीक्षण नहीं किया है। बैतूल जिले में लगभग पचास से अधिक महिला छात्रावास अधिक्षिका मौजूद है जिसमें कई तो एक दशक से अधिक समय से अंगद की तरह पांव जमा कर बैठी हुई है।

अधिकांश छात्रावास अधिक्षिकायें किसी पक्ष या विपक्ष के नेता की बहन - बेटी - बहू- पत्नि है या फिर किसी पत्रकार, तथाकथित अधिकारी या ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति की पसंद जिसके कारण इनके खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। पुरूष छात्रावास अधिक्षको का भी लगभग यही हाल है।

सब पर भारी पडने वाले बैतूल कलैक्टर के सामने जब कोई मिशन के छात्रावासो या आरबीसी की बाते करता है तो कलैक्टर के रोंगटे खडे हो जाते है। लगभग हाल कुछ ऐसा बैतूल जिले के नये सहायक आयुक्त श्री परिहार का भी यही है। दोनो अधिकारियों ने सीधे पंगा से बचने के लिए अपने अधिनस्थ अधिकारियों को एक नही चार - पांच छात्रावासो का पालक अधिकारी नियुक्त तो किया है लेकिन वे स्वंय दूरियां बनाने हुये है।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दोनो ही जिले के महत्वपूर्ण अधिकारियों पर श्योपुर में दैहिक शोषण से जुडे तथाकथित संगीन मामले दर्ज होने की भनक लगने के बाद जिले के छात्रावास अधिक्षक एवं अधिक्षिकायें बेलगाम हो चुकी है। बैतूल जिले में सबसे अधिक आरटीआई छात्रावासो एवं आरबीसी को लेकर लगी है।

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दस सालो में शिक्षा विभाग, जिला शिक्षा केन्द्र, अजाक विभाग जिला पंचायत,तथा अन्य विभागो के छात्रावास अधिक्षको एवं लोक सूचना अधिकारियों के पास 9875 सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन लगे है। जिसमें 1344 मामलो की प्रथम लोक सूचना अधिकारी के समक्ष अपीले लगी है। द्धितीय अपीले राज्य सुचना आयुक्त के समक्ष 231 पहुंची है जिसमें से मात्र दस सालो में 98 अपीलो का निराकरण हुआ है। लगभग छै से सात हजार आवेदनो का निराकरण स्थानीय स्तर पर हो चुका है।

सवाल यह उठता है कि बैतूल जिले में लोक सूचना अधिकार कानून के तहत चाही गई जानकारी के नाम पर सौदेबाजी का यह खेल सिर्फ चंद पत्रकार या नेता ही नहीं करते है बल्कि अधिकांश मामलो में तो ऐसे लोगो के नाम भी आ रहे है जिनका किसी से कुछ लेना - देना नहीं होता है। आज छात्रावासो में इसलिए भी सूचना के अधिकार कानून के तहत लगने वाले आवेदनो के पीछे जिले के दो वरिष्ठ डरे सहमें अधिकारी को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। जानकारो का तो यहां तक कहना है कि अपनी बहन - बेटी - बीबी - रिश्तेदार पर कोई आंच न आये इसलिए पेपरबाजी से लेकर आरटीआई के आवेदन तक लगाये जाने का गोरखधंधा चल रहा हैै।

सवाल यह भी उठता है कि जिसकी बीबी स्वंय अधिक्षिका हो उसे उसी विभाग में आरटीआई के तहत आवेदन लगाने या उसी विभाग के खिलाफ बैनर खबर छापने के पीछे सीधे - सीधे ब्लेकमेलिंग का फण्डा और कलम का डण्डा है। बैतूल जिले में कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास माण्डवी में पदस्थ अधिक्षिकायें बीते एक दशक से एक ही परिवार की सदस्य नियुक्त होते चली आ रही है।

सीधे शिवराज सिंह चौहान के चुल्हे चौके तक पहुंच रखने वाले शिवराज सिंह के स्वजाति आठनेर के माण्डवी ग्राम के कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास अधिक्षिकाओं की पोस्टींग और उसके खिलाफ आज तक दर्ज हुई शिकायतो पर कोई कार्रवाई का न होना अपने आप में एक ऐसा सवाल है जिसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है।

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