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Saturday, May 30, 2015

"ताप" "वृक्ष प्रणाम "करो जीवन में

"ताप"
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चन्दा दरबारी सूरज का ,
धीरे धीरे बोला ।
धरा प्राणी सब कोस रहे ,
ताप हो गया जादा ।

हाहाकार मची है प्रभु ,
सब कोस रहे गर्मी को ।
सघन ताप से नीचे प्राणी ,
तडप रहे धरती पर

सूरज ने तब चुप्पी तोडी ,
महुआ नीचे देखो ,
कितनी ठंडी हवा बह रही ,
बड़ के नीचे देखो

कोसो नहीं ताप तनिक भी ,
ताप बडायाउनने ।
गैस बडाकर वृक्ष काटकर ,
ताप बडाया उनने ।

जाओ नीचे चन्दामामा ,
सबको यह कह डालो ।
"वृक्ष प्रणाम "करो जीवन में ,
ताप मुक्ति पा जावो ।

आनन्द जैन " एडवोकेट "


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