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Tuesday, May 19, 2015

एक पत्रकार का दर्द

Post by @ toc news
भाईयों मैं कुछ कड़वी लेकिन सच्ची बात कह रहा हूं। उम्मीद है कि किसी को बुरी नहीं लगेगी।
पत्रकारों में पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर संगठन बनाने ज्ञापन देने धरना प्रदर्शन करने की लहर दौड़ रही है। खुद में इतनी ताकत वर कुर्सी जो सरकारों की बुनियादें हिलादे वो इतनी मजबूर क्यों?

हम बताते है-दर असल पिछले लगभग तीन दशकों के दौरान मीडिया आरएसएस, खादी और वर्दी की रखैल बनकर रह गयी है और पत्रकार उसके दलाल। पत्रकारों ने अपनी हस्ती अपनी ताकत अपनी इज्जत खुद बर्बाद करके रख दी है। किसी भी मामले में पुलिस ने जो चाहा पत्रकारों ने उसी को खबर बनाकर पेश कर दिया। मामला चाहे प्रोफेसर गिलानी को फंसाने की कोशिश का हो या अफजल गुरू को कत्ल करने के लिए रची गयी साजिश का, हेमन्त करके के कत्ल की साजिश को हो या कश्मीर में की जाने वाली फर्जी मुठभेढ़ों का मामला हो, डकैत बताकर रोज की जा रही फर्जी मुठभेढ़ों की बात हो या बलात्कार व दहेज के झूठे मामला को उछालने का हो। कोई भी मामला ऐसा नहीं होता जिसमें किसी पत्रकार ने सच्चाई खोजकर लिखी हो बस जो पुलिस नेता अधिकारियों ने पढ़ा दिया उसी को परोस दिया, बम ब्लास्ट करने वालों को स्वामी साध्वी लिखा जाता है ओर साजिशी तौर पर फंसाये जाने वालों को सीधे आतंकी लिखकर तीरंदाजी दिखाई जाती है।

कुल मिलाकर आज मीडिया पत्रकारिता आरएसएस की रखैल के रूप में काम कर रही है तो अफसरान, पुलिस, राजनैतिक दलों, नेताओं, आतंकियों की दलाली को ही पत्रकारिता माना जा रहा है। चमचागीरी की हालत यह है कि अकसर नेता पुलिस अफसरान पत्रकारों को पीट देते है झूठे मुकदमें लादकर जेल भेज देते है शारीरिक प्रताड़ना देते है लेकिन बाकी के पत्रकार ज्यों के त्यों उनकी कवरेज में लगे रहकर अपनी चमचागीरी को जारी रखकर टुकड़े कमाने में मस्त रहते है। गौरतलब बात तो यह है कि जो पत्रकार दलाली चमचागीरी नही करते उन्हें फर्जी कहने से नहीं चूकते।
इन हालात में पत्रकारों की क्या हैसियत रह गयी है सब ही जानते हैं।

ज्ञापनों, धरना प्रदर्शनों से कुछ होने वाला नहीं। अगर अपना वजूद बचाना है तो पत्रकारों एक जुट होकर कवरेज को निगेटिव पटरी पर चलाना होगा, हर मामले की खुद सच्चाई खोजकर ही खबर बनानी होगी। साथ ही दलाली न करने वालों को फर्जी कहना छोड़ना होगा।
किसी भाइ्र को मोजूदा हालात की इस तस्वीर से ठेस पहुंचे तो कृपया माफ करें, क्योंकि इमरान नियाजी की कलम में स्पीड ब्रेकर नही आते। धन्यवाद।

आपका भाई इमरान नियाजी

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