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Tuesday, July 28, 2015

भारत की कुल देनदारी 68.95 लाख करोड़ रुपये

Toc news
नई दिल्ली. ग्रोथ बढ़ाने के मकसद से विकास मद में खर्च बढ़ाने का असर देश में प्रति व्यक्ति कर्ज में भारी इजाफे के रूप में सामने आया है। प्रति व्यक्ति कर्ज में 2,966 रुपये इजाफा होकर 2014-15 में यह 44,095 रुपये हो गया है। 2013-14 में यह आंकड़ा 41,129 रुपये थे।

कर्ज के बोझ में बाहरी और आंतरिक कर्ज एवं अन्य प्रकार की देनदारियां हैं। प्रति व्यक्ति कर्ज में इजाफे का मुख्य कारण बेहतर ग्रोथ रेट हासिल करने के लिए विकास मद में खर्च को बढ़ाना है।

वर्ल्ड बैंक की अंतरराष्ट्रीय कर्ज सांख्यिकी 2015 के अनुसार, 20 विकासशील देशों की सूची में भारत सबसे ज्यादा कर्ज में डूबने वाले देशों के चौथे पायदान पर है।

सरकारी खाते में साल 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लिए घरेलू कर्ज सेवा भुगतान क्रमशः 4.04 लाख करोड़, 4.85 लाख करोड़ रुपये और 5.56 लाख करोड़ रुपये है। बाहरी कर्ज सेवा भुगतान 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में क्रमशः करबी 238,483,620.00 रुपये, 234,637,110.00 रुपये और 249,382,065.00 रुपये है।

31 मार्च 2015 तक कुल देय देनदारी 68.95 लाख करोड़ रुपये है।

सरकार ने 2016-17 तक हर साल 0.5-0.6 फीसदी कम करके वित्तीय घाटे को 3 फीसदी तक लाने के लिए रोड मैप बनाने की घोषणा की है।

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