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Wednesday, July 22, 2015

8,591 करोड़ का प्रथम अनुपूरक अनुमान पारित

सिंहस्थ के लिये 598 करोड़ की राशि
किसानों के अल्पकालीन ऋणों के ब्याज-अनुदान के लिये 600 करोड़
स्थानीय निकायों के अनुदान के लिये 948 करोड़ से अधिक राशि
स्मार्ट सिटी के लिये 392 करोड़ का प्रावधान

Toc News @ Bhopal

भोपाल.मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2015-16 के 8,591 करोड़ रुपये के प्रथम अनुपूरक अनुमान को पारित कर दिया गया। अनुपूरक अनुमान में राज्य पर शुद्ध अतिरिक्त भार लगभग 6,402 करोड़ का होगा।

प्रथम अनुपूरक अनुमान में सिंहस्थ के आयोजन के लिये 598 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके पूर्व राज्य शासन ने सिंहस्थ के लिये वर्ष 2014-15 में 365 करोड़ तथा वर्ष 2015-16 के मुख्य बजट में 300 करोड़ का प्रावधान किया था। प्रदेश के किसानों को हर-संभव सहायता देने की राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप सहकारी बेंकों के माध्यम से किसानों को दिये गये अल्पकालीन ऋणों पर ब्याज-अनुदान के लिये 600 करोड़ की राशि प्रथम अनुपूरक अनुमान में रखी गयी है। बच्चों को बेहतर पोषण उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मध्यान्ह भोजन योजना में दूध प्रदाय के नये कार्यक्रम के लिये 149 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। नौनिहालों को शिक्षा से जोड़ने के सर्वशिक्षा अभियान के लिये 275 करोड़ 96 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवायी गयी है।

प्रदेश के चुनिंदा शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिये 392 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान के सफल संचालन के लिये 200 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रथम अनुपूरक में शामिल है। स्थानीय निकायों को मूलभूत सेवाओं के लिये एकमुश्त अनुदान के रूप में 230 करोड़ की राशि दी जायेगी। विद्युत व्यवस्था को अधिक बेहतर बनाने और पारेषण एवं वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिये 185 करोड़ 83 लाख रुपये का प्रावधान शामिल है। उप-पारेषण एवं वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिये 692 करोड़ की राशि रखी गयी है। सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये प्रथम अनुपूरक में पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं। नहर तथा उससे संबंधित निर्माण कार्य के लिये 300 करोड़ एवं अलीराजपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना के लिये 150 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल सड़कों के निर्माण को ध्यान में रखते हुए समुचित राशि का प्रावधान किया गया है। न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (ग्रामीण सड़कों सहित) में 150 करोड़ तथा एम.पी.आर.डी.सी. के माध्यम से सड़कों के निर्माण के लिये 100 करोड़ की राशि जुटायी गयी है। राष्ट्रीय निगमों की देय बकाया राशि के भुगतान के लिये 113 करोड़ 13 लाख रुपये की राशि रखी गयी है। चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार स्थानीय निकायों को अनुदान के लिये 948 करोड़ 39 लाख का प्रावधान किया गया है। प्रवेश-कर से नवीन निकायों को हस्तांतरण के लिये 236 करोड़ 2 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क वसूली के विरुद्ध अनुदान के लिये 220 करोड़ की राशि रखी गयी है।

विद्युत वितरण कम्पनियों को टेरिफ सब्सिड एवं 5 एच.पी. के कृषि पम्प/थ्रेशर तथा एकबत्ती कनेक्शन के लिये नि:शुल्क विद्युत प्रदाय की प्रतिपूर्ति के दायित्व के लिये दोनों मद में 200-200 करोड़ की राशि रखी गयी है। इसके अलावा राजमार्गों के अनुरक्षण एवं मरम्मत के लिये 225 करोड़ का प्रावधान किया गया है। खाद्यान्न उपार्जन में हुई हानि की प्रतिपूर्ति तथा राज्य सहकारी विपणन संघ के लिये 100-100 करोड़ की राशि रखी गयी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एरियर्स के भुगतान के लिये 160 करोड़ का प्रावधान भी रखा गया है।

सदन ने बाद में वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक को भी पारित कर दिया।

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