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Thursday, August 6, 2015

पीएससी ने बदला परीक्षा का पैटर्न... अब पढऩा होगा व्हीसिल ब्लोअर की भूमिका

Toc news

भोपाल।मप्र राज्य लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का पैटर्न बदल दिया है। अब परीक्षार्थियों को छह प्रश्नपत्र हल करने होंगे तथा सभी प्रश्न-पत्र अनिवार्य होंगे तथा सामान्य अध्ययन पेपर के अंतर्गत भ्रष्टाचार शीर्षक में व्हीसिल ब्लोअर की भूमिका, भ्रष्टाचार के प्रकार एवं कारण, भ्रष्टाचार का प्रभाव, भ्रष्टाचार को अल्पतम करने के उपाय, समाज, सूचनातंत्र, परिवार, भ्रष्टाचार पर राष्ट्रसंघ की घोषणा, भ्रष्टाचार का मापन तथा अंतराष्ट्रीय पारदर्शिता पढऩा होगा।
आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब राज्य सेवा मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के चार प्रश्न-पत्र होंगे जिनमें प्रथम तीन प्रश्न-पत्र  300 अंकों के होंगे जबकि चौथा प्रश्न-पत्र  200 अंकों का होगा। चारों प्रश्न-पत्र 3 घण्टे की समयावधि के होंगे एवं हिन्दी एवं अंग्रेजी में होंगे जिनमें से एक भाषा का चयन करना होगा। पांचवां प्रश्न-पत्र सामान्य हिन्दी का होगा जो तीन घण्टे समयावधि का और 200 अंकों का एवं सिर्फ हिन्दी भाषा में होगा जबकि छठा प्रश्न-पत्र निबंध एवं अपठित गद्यांश का होगा जोकि 2 घण्टे समयावधि का एवं 100 अंकों का होगा एवं सिर्फ हिन्दी भाषा में होगा। इनके अलावा साक्षात्कार के 175 अंक रखे गये हैं। इस प्रकार कुल 1575 अंक राज्य सेवा मुख्य परीक्षा में होंगे।
अधिसूचना के मुताबिक, सामान्य अध्ययन के प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय प्रश्न-पत्र में दो खण्ड अ व ब रहेंगे। प्रत्येक खण्ड 150 अंकों का होगा। प्रत्येक खण्ड हेतु पृथक उत्तरपुस्तिका प्रदान की जायेगी। प्रत्येक खण्ड में 15 लघुस्तरीय तथा 15 लघुस्तरीय संक्षिप्त टिप्पणियां सम्मिलित रहेगी तथा एक या दो केस स्टडी से संबंधित लघुस्वरुप के प्रश्न पूछे जायेंगे। चतुर्थ प्रश्न-पत्र में एक ही खण्ड रहेगा तथा पेपर में 15 अति लघुउत्तरीय, 10 लघु उत्तरीय एवं 3 निबंधात्मक प्रश्न होंगे। सामान्य अध्ययन पेपर एक में केस स्टडी में भोपाल गैस त्रासदी,1984 एवं उज्जैन त्रासदी,1994 भी रखे गये हैं।

साहनी की पदस्थी
भोपाल। शिवराज सरकार ने अपने चहेते रिटायर्ड अधिकारी राकेश साहनी को मप्र नर्मदा विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया है तथा उन्हें मंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया है। यह नियुक्ति विवादास्पद इसलिये मानी जा रही है क्योंकि जब श्री साहनी प्रदेश के मुख्य सचिव थे तब उनके पास इस प्राधिकरण का भी कामकाज था और इसी दौरान सरदार सरोवर परियोजना में छह सौ भी अधिक फर्जी रजिस्ट्रियां होने का घोटाला सामने आया था जिस पर राज्य सरकार को 8 अक्टूबर,2008 को न्यायिक जांच आयोग गठित करना पड़ा था। इस आयोग को वैसे तो तीन माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी थी परन्तु अभी तक यह आयोग रिपोर्ट नहीं दे पाया है तथा बार-बार इसका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है।

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