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Monday, August 17, 2015

वाह प्रधानमंत्री जी! वाह

प्रधानमंत्री जी!
 लाल किले की प्राचीर से क्या खूबसूरत भाषण दिया आपने ।
वाह ! आपकी वक्तृव्य शैली का और आपकी अभिनय कला का हिंदुस्तान मुरीद हो चुका है। अपनी सरकार की तारीफ अपने ही मुंह से इतनी साफ़गोई से कैसे की जाती है ये तो कोई आपसे सीखे। इस युद्ध में जीत आपकी ही होनी है; क्योंकि आपकी लड़ाई पपुआ से है और इस कला में तो पप्पू एक पूर्वघोषित डफर है ।

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की पैरवी कर के आपने बिहार को साधने का काम बखूबी किया। ये भी कह गए कि आपके भाषण का कोई पोलिटिकल विश्लेषण ना किया जाये मगर ये कैसे हो सकता है भला ? अरे जब आप अपनी साल भर कि सरकार की उपलब्धियों का पोलिटिकल बखान देशवासियों के सामने कर रहे हैं तो फिर विश्लेषण के तराजू से क्यों घबरा रहें हैं मान्यवर?
आपने कहा कि साल भर में आपने भ्रष्टाचार को शून्य पर ला दिया है; आप कितनी जल्दी ये भूल गए कि संसद का मानसून सत्र भ्रष्टाचार की ही भेंट चढ़ गया ! ललितगेट,व्यापम और चावल गेट शायद आपने अखबारों में नहीं पढ़ा। वैसे विदेश यात्राओं के बाद इतना समय भी तो कहाँ बच पता होगा !

किसानों को यूरिया का लोलिपोप दिखा कर क्या आप किसान और खेतिहर मजदूरों की हर रोज हो रही आत्महत्याओं पर पर्दा डाल पाये? ये शायद आपके लिए भी संशय का विषय बना हुआ होगा । भूमि अधिग्रहण पर आपके द्वारा लाये अध्यादेशों का ज़िक्र आप सफाई से छुपा गए। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं ।

सब्सिडी छोडने की अपील करने वाले हे पीएम साहब! क्यों नहीं आप अपने सांसदो की सबसिडी छुड़वा देते ? ये आप जैसे मजबूत प्रधानमंत्री के लिए बड़ी अजीब सी स्थिति है कि आप ढोल तो बजा रहें हैं मगर आपके घर के भीतर के लोग ही लोग ईयर डिफेंडर लगाए बैठे हैं।
सैनिकों को वन रेंक वन पेन्सन का पैकेट दिखा कर आपने क्या खूबसूरत तरीके से वापस जेब में रख लिया ; वह तो काबिले तारीफ ही था। एक सलूट मेरा भी स्वीकार कीजिये। प्रधानमंत्री जी!

काले धन के 100 दिन कब पूरे होंगे? ये सवाल एसआईटी पर ही कब तक ठहरता रहेगा ये भी एक भीष्म प्रश्न ही बना रहा। वैसे जी 27 का ज़िक्र कर आपने एक नुक्ता और जोड़ने का अच्छा प्रयास किया ।
युवाओं को संबोधित कर आपने अपने वोट बैंक को फिर से खटखटाया मगर स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया पर आपकी चुप्पी से उन्हें निराशा ही हुई होगी।
आपकी सरकार के शपथ ग्रहण के पश्चात निरंतर तीव्र हो रही चरमपंथी धारा को संबोधित न करके आपने कोई आश्चर्यजंक काम नहीं किया क्योंकि इस पर तो आपके परम अज़ीज बराक ओबामा जी बोल ही चुके हैं ।

इस सबके बावजूद एक प्रधानमंत्री के तौर पर ना सही पर एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के शीर्ष राजनेता के तौर पर आपने सबको साधने का एक योजनाबद्ध प्रयास किया । मान्यवर आप बधाई के पात्र हैं।

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