Pages

click new

Sunday, September 13, 2015

झाबुआ ब्लास्ट: मौतों का जिम्‍मेदार कौन : मध्यप्रदेश सरकार ?

टल सकता था हादसा । बच सकती थी, लोगो की जाने
:82 मौतों का जिम्‍मेदार कौन, लोगों के आगाह करने पर भी नहीं जागी सरकार?

मध्‍य प्रदेश के झाबुआ के पास पेटलावद में शनिवार को हुए जिस ब्‍लास्‍ट में 80 से ज्‍यादा लोगों की जानें गईं और 120 से ज्‍यादा लोग घायल हुए, उसमें अब सरकारी लापरवाही की बात सामने आ रही है। यही नहीं, कुछ चश्‍मदीदों के मुताबिक कई स्‍कूली बच्‍चों की भी जान गई है।
लापरवाही कैसे?
ब्लास्ट एक स्‍टोर में हुआ, जहां माइनिंग में काम आने वाले एक्स्प्लोसिव रखे थे। वहां आग लगने के बाद उसने पास के रेस्टॉरेंट को भी चपेट में ले लिया और वहां पर हर ओर लाशें बिछ गईं।
बताया जाता है कि कुछ दिन पहले लोगों ने एसडीएम से शिकायत की थी कि रिहायशी इलाके में विस्‍फोटक रखना खतरनाक है। लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। (ब्‍लास्‍ट के बाद बिखरी लाशों और मलबे की फोटोज देखें)

सरकार खामोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने जनसुनवाई में एसडीएम को बताया था कि एक घर में बहुत ज्यादा एक्स्प्लोसिव बेचने के लिए रखा है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हादसे के बाद एडमिनिस्ट्रेशन यह तो कह रहा है कि एक्स्प्लोसिव गैरकानूनी नहीं था और उसे बचने का लायसेंस भी दिया गया था। लेकिन इस बात पर कोई अफसर टिप्पणी नहीं कर रहा कि सारे मानकों का पालन हो रहा था या नहीं?

मरने वालों में स्‍कूली बच्‍चे भी
जहां घटना हुई, उसके आसपास पांच स्कूल हैं। हादसे के वक्‍त वहां मौजूद रहे विनोद काग ने बताया कि सुबह कई बच्चे इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। मरने वालों में कुछ मासूम बच्चे भी हो सकते हैं। मेरे सामने कुछ बच्चों को अस्पताल भेजा गया था, जिनकी हालात गंभीर थी।

चश्मदीद क्या बोले?
हादसे के वक्‍त वहां से गुजर रहे विनोद काग ने बताया- सुबह 8:30 बजे की बात है। मैं शिव मंदिर रोड स्थित अपने घर से आॅफिस के लिए जा रहा था। अचानक धमाके की आवाज आई। मुझे लगा कि कहीं सिलेंडर ब्‍लास्‍ट हुआ है। थोड़ा रुक कर मैं आगे बढ़ गया, थोड़ी देर बाद जबरदस्त विस्फोट की एक और आवाज आई। आसमान धूल और धुएं से भर गया। आवाज इतनी तेज थी कि मैं बुरी तरह कांप गया। थोड़ा रुककर देखा तो थांदला रोड की तरफ से धुंए का गुबार उठ रहा था। मैं और कुछ और लोग तुरंत वहां पहुंचे।

चारों तरफ बिखरा था खून

वहां पहुंचते ही जो नज़ारा सामने दिखा, उससे रूह कांप गई। सेठिया रेस्टोरेंट के सामने 100 से 150 लोग पड़े थे। कई तो मर गए थे, बाकी कराह रहे थे। चारों तरफ खून बिखरा हुआ था। थोड़ी देर तक तो कुछ समझ ही नहीं आया। तभी वहां कुछ और लोग दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि रेस्टोरेंट के पास ब्लास्ट हुआ था, फिर रेस्टोरेंट में भी धमाका हुआ। हमने तुरंत अपने-अपने दोस्तों को फोन किया और लोगों को निकालने में जुट गए।

No comments:

Post a Comment