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अजमेर में मोटे और बड़े डॉक्टर अभी भी बचे हैं।
आठ अक्टूबर को एसीबी के एएसपी निर्मल शर्मा के नेतृत्व में अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के फिजिशियन डॉ. नरेन्द्र सिंह हाड़ा को पन्द्रह सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकारी अस्पताल में मरीज का इलाज अच्छी तरह से हो, इसलिए हाड़ा ने रिश्वत ली है। डॉ. हाड़ा कोई अकेले ऐसे डॉक्टर नहीं है, जो भर्ती मरीज के इलाज के एवज में रिश्वत लेते हैं। कुछ डॉक्टरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश डॉक्टर बिना रिश्वत लिए सरकारी अस्पताल में मरीज का इलाज करते ही नहीं।
अजमेर का नेहरू अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां अजमेर जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं। यही वजह है कि कई डॉक्टर तो बरसों से अजमेर में ही जमे हुए है और धड़ल्ले से रिश्वत खोरी करते हैं। शर्मनाक स्थिति तो यह है कि जो मरीज डॉक्टरों के घर पर मोटी फीस देकर भर्ती होता है, उसका इलाज अस्पताल में अच्छी तरह से होता है और जो मरीज अस्पताल के आउटडोर में दिखाकर भर्ती होता है, उसका इलाज जानवरों से भी बदत्तर स्थिति में किया जाता है।
जो मरीज गरीबी की वजह से डॉक्टरों का रिश्वत नहीं देता, उसे पलंग के बजाए जमीन पर सुलाया जाता है। कई डॉक्टर तो सरकारी क्वार्टर और बंगले में ही मरीजों को देखकर मोटी फीस वसूल रहे हैं। सरकारी अस्पताल के हालत इतने बदत्तर है कि गर्भवती महिला की डिलवरी भी तभी कराई जाती है, जब महिला डॉक्टर को घर पर रिश्वत दी जाए। यह सही है कि बेहतर इलाज के लिए मरीज रिश्वत खोरी की शिकायत नहीं करता है।
ऐसी स्थिति में 8 अक्टूबर को एसीबी ने जो कार्यवाही की है, वह सराहनीय है। डॉक्टर हाड़ा को रंगे हाथों पकडऩे में एसीबी को बहुत मशक्कत करनी पड़ी होगी। अच्छा हो कि एसीबी मोटे और बड़े चिकित्सकों को भी पकड़े। इसके साथ ही अजमेर में जो चिकित्सक बरसों से जमे हैं, उनकी सम्पत्तियों की भी जांच एसीबी को करनी चाहिए। मरीजों से रिश्वत, दवा कंपनियों व लेबोरेट्री वालों से कमिशन लेकर अनेक चिकित्सकों ने करोड़ों की सम्पत्ति एकत्रित कर ली है।
(एस.पी. मित्तल)
अजमेर में मोटे और बड़े डॉक्टर अभी भी बचे हैं।
आठ अक्टूबर को एसीबी के एएसपी निर्मल शर्मा के नेतृत्व में अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के फिजिशियन डॉ. नरेन्द्र सिंह हाड़ा को पन्द्रह सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकारी अस्पताल में मरीज का इलाज अच्छी तरह से हो, इसलिए हाड़ा ने रिश्वत ली है। डॉ. हाड़ा कोई अकेले ऐसे डॉक्टर नहीं है, जो भर्ती मरीज के इलाज के एवज में रिश्वत लेते हैं। कुछ डॉक्टरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश डॉक्टर बिना रिश्वत लिए सरकारी अस्पताल में मरीज का इलाज करते ही नहीं।
अजमेर का नेहरू अस्पताल संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां अजमेर जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं। यही वजह है कि कई डॉक्टर तो बरसों से अजमेर में ही जमे हुए है और धड़ल्ले से रिश्वत खोरी करते हैं। शर्मनाक स्थिति तो यह है कि जो मरीज डॉक्टरों के घर पर मोटी फीस देकर भर्ती होता है, उसका इलाज अस्पताल में अच्छी तरह से होता है और जो मरीज अस्पताल के आउटडोर में दिखाकर भर्ती होता है, उसका इलाज जानवरों से भी बदत्तर स्थिति में किया जाता है।
जो मरीज गरीबी की वजह से डॉक्टरों का रिश्वत नहीं देता, उसे पलंग के बजाए जमीन पर सुलाया जाता है। कई डॉक्टर तो सरकारी क्वार्टर और बंगले में ही मरीजों को देखकर मोटी फीस वसूल रहे हैं। सरकारी अस्पताल के हालत इतने बदत्तर है कि गर्भवती महिला की डिलवरी भी तभी कराई जाती है, जब महिला डॉक्टर को घर पर रिश्वत दी जाए। यह सही है कि बेहतर इलाज के लिए मरीज रिश्वत खोरी की शिकायत नहीं करता है।
ऐसी स्थिति में 8 अक्टूबर को एसीबी ने जो कार्यवाही की है, वह सराहनीय है। डॉक्टर हाड़ा को रंगे हाथों पकडऩे में एसीबी को बहुत मशक्कत करनी पड़ी होगी। अच्छा हो कि एसीबी मोटे और बड़े चिकित्सकों को भी पकड़े। इसके साथ ही अजमेर में जो चिकित्सक बरसों से जमे हैं, उनकी सम्पत्तियों की भी जांच एसीबी को करनी चाहिए। मरीजों से रिश्वत, दवा कंपनियों व लेबोरेट्री वालों से कमिशन लेकर अनेक चिकित्सकों ने करोड़ों की सम्पत्ति एकत्रित कर ली है।
(एस.पी. मित्तल)
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