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Thursday, December 24, 2015

भेल भोपाल फर्जी भर्ती मामले में पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों से करेगी पूछताछ

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भोपाल। महारत्न कम्पनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) में एचआर एक्सजीक्यूटिव ट्रेनी पद में हुए फर्जी भर्ती मामले में राजधानी की गोविंदपुरा पुलिस ने शिकायतकर्ता आरएस सिंह के बयान दर्ज कर लिए हैं।

जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर रमेश राय ने इंडिया वन समाचार को बताया कि इस मामले में आरोपी साजी सेमुअल जिसे एक्सजीक्यूटिव ट्रेनी पद पर नियुक्ति दी गई है उसके अलावा पीके वैद्य उपमहाप्रबंधक, एम ईसाडोर अपरमहाप्रबंधक, केके नायर महाप्रबंधक और क्रिस्टोफर वरिष्ठ प्रबंधक को जल्द ही बयान लेने के लिए गोविंदपुरा थाने में बुलाया जाएगा। जांच अधिकारी ने आगे बताया कि इस भर्ती फर्जीवाड़े से संबंधित सभी दस्तावेज भेल भोपाल प्रबंधन से मांगे गए हैं।

जांच अधिकारी रमेश राय ने इंडिया वन समाचार को बताया कि यह जांच आरएस सिंह की शिकायत पर की जा रही है, जिन्होंने अपने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि भेल में एचआर एक्सजीक्यूटिव ट्रेनी पद पर कम्पनी के एचआर विभाग द्वारा फर्जीवाड़ा कर अपने चहेतों को नौकरी दी गई है। इसके अलावा नौकरी प्राप्त करने वालों में से एक साजी सेमुअल द्वारा यह नौकरी फर्जी मार्कशीट के आधार पर हासिल की है।

जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता ने एचआर विभाग के अधिकारियों के अलावा साजी सेमुअल जिसे इस कथित फर्जीवाड़े के तहत नौकरी मिली है द्वारा फर्जी एज्युकेशनल मार्कशीट के द्वारा नौकरी प्राप्त करने की भी शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि साजी सेमुअल द्वारा एमबीए (एचआर) की डिग्री जो भेल मैनेजमेंट को दी गई है उसमें पहले, दूसरे और तीसरे सेमेस्टर की डिग्रियां नरेन्द्रदेवा यूनिवर्सिटी कुमारगंज फैजाबाद, उत्तरप्रदेश की है तथा चौथे सेमेस्टर की डिग्री विनायक मिशन्स रिसर्च फाउंडेशन डीम्ड यूनिवर्सिटी सेलम, तमिलनायडू की हैं। प्रथम दृ​ष्टया चौ​थे सेमेस्टर की डिग्री में कई गलतियां जैसे टोटल मार्क, प्राप्त मार्क, प्रतिशत, पास डिविजन और कुल सेमेस्टर का योग नहीं दिए जाने की वजह से फर्जी प्रतीत होती है। यह सारी मार्कशीट आरटीआई के द्वारा प्राप्त की गई हैं।
क्या है मामला…

भेल ने वर्ष 2007 में एक्सजीक्यूटिव एचआर के 600 पोस्टों के लिए भर्ती की थी। भेल के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस भर्ती परीक्षा में फेल हुए अपने कुछ चहेते डिपार्टमेंटल केंडीडेट्स को भर्ती करने के लिए वर्ष 2009 में सारे भर्ती नियमों को ताक में रखते हुए फिर से एचआर ट्रेनी पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरु की। प्रबंधन ने जो डिपार्टमेंटल केंडीडेट्स वर्ष 2007 की परीक्षा में बैठे थे उनके लिए तीस फीसदी क्वालिफाइंग मार्क कम करते हुए उन्हें सीधे इंटरव्यू के लिए बुला कर करीब दस कर्मचारियों का वर्ष 2009 में चयन कर लिया गया।

चयनित हुए दस डिपार्टमेंटल केंडीडेट्स में साजी सेमुअल स्टॉफ नं. 1257080, पी वी लथीका स्टॉफ नं. 1259458, कुंजीलाल कोल स्टॉफ नं. 1281607, माया सीधर स्टॉफ नं. 1287559, उमेश मारावी स्टॉफ नं. 1287680, नंद किशोर सातरावाला स्टॉफ नं. 1288512, कोकिला डिसूजा स्टॉफ नं. 1287559, रमेश कुमार जयसवाल स्टॉफ नं. 1293435, केशव चंद्र तिवारी स्टॉफ नं. 1272659 और अनुपम सक्सेना स्टॉफ नं. 1270540 शामिल हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता आरएस सिंह जिन्होंने एक्सजीक्यूटिव एचआर में इन दस डिपार्टमेंटल केंडीडेट्स की भर्ती के बारे में आरटीआई से जानकारी निकाली उसी से इस फर्जी भर्ती का खुलासा हुआ है। इस जानकारी के अनुसार वर्ष 2007 में एक्सजीक्यूटिव एचआर ट्रेनी पदों की भर्ती के लिए एमबीए एचआर, एमपीएम, एमएसडब्ल्यू, पीजी लेबर लॉ पर्सनल मैनेजमेंट का दो वर्ष का फुल टाइम रेग्युलर कोर्स कम से कम 60 प्रतिशत मार्क के साथ मिनिमम क्वालिफिकेशन रखी गई थी। आरएस सिंह को आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार इन सभी दस चुने गए केंडीडेट्स के पास या तो मिनिमम क्वालिफिकेशन थी ही नहीं या कुछ लोगों ने फर्जी मार्केशीट लगाकर यह नौकरी पाई है।

साजी सेमुअल स्टॉफ नं. 1257080 जो वर्तमान में भेल भोपाल में पदस्थ हैं उन्होंने जो एमबीए की जानकारी एग्जाम में अप्लाई करने के लिए दी थी उसके अनुसार उन्होंने डिस्टेन्स एजुकेशन से एमबीए किया है, जबकि रेग्युलर एमबीए करने वाले ही इस एग्जाम के लिए एलीजिबल थे। आरटीआई के द्वारा साजी सेमुअल की जो एमबीए की मार्कशीट की सर्टीफाइड कॉपी भेल प्रबंधन ने दी है उसके अनुसार साजी सेमुअल ने पहले, दूसरे और तीसरे सेमेस्टर की मार्कशीट नरेन्द्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश की है, जबकि चौथे सेमेस्टर की मार्कशीट विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन डीम्मड यूनिवर्सिटी, सेलेम, तमिलनाडु से है।

साजी सेमुअल की मार्कशीट के अनुसार उनके दूसरा सेमेस्टर 18 दिसम्बर 2004, तीसरा सेमेस्टर 15 अप्रैल 2005 और चौथा सेमेस्टर अगस्त 2005 का है। इन मार्कशीट की पहली विसंगति यह है कि तीन सेमेस्टर एक यूनिवर्सिटी से हैं और आखिरी सेमेस्टर एक दूसरी यूनिवर्सिटी से है। दूसरी विसंगति यह है कि हर सेमेस्टर के बीच में छह महीने का समय होना चाहिए, जबकि सेमुअल की मार्कशीट के अनुसार उनके सभी सेमेस्टर्स के बीच में चार महीने का अंतराल है।


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