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Monday, December 21, 2015

गंगा के चलते एक बार फिर उपेक्षा का शिकार हुई ताप्ती

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जानकारी मांगने पर पीएमओ के पास नहीं कोई ठोस योजना
बैतूल। सदियों पहले गंगा ने धरती पर आने से पहले शर्त रखी थी कि वह तभी धरती पर अवतरीत होगी जब सूर्यपुत्री ताप्ती का महात्मय विलोपित हो। भागीरथ के पूर्वजो के उद्धार के लिए देवऋषि नारद ने ताप्ती महात्मय को विलोपित करने का जो महापाप किया आज वही महापाप देश की एनडीए सरकार और देश का प्रधानमंत्री कार्यालय कर रहा है। मध्यप्रदेश आरटीआई एक्टीविस्ट फोरम के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति मध्यप्रदेश के अध्यक्ष रामकिशोर पंवार द्वारा पुण्य सलिला सूर्यपुत्री ताप्ती की उपेक्षा को लेकर पीएमओ कार्यालय तथा भारत सरकार के जल संसाधन , नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय को 15 नवम्बर 2015 को सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रथक - प्रथक आवेदन प्रस्तुत कर 6 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी गई लेकिन देश का पीएमओं और जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय आवेदक को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ा रहा है। बीते सवा महीने में श्री पंवार को तीन पत्र ऐसे प्राप्त हुए है जिसकी भाषा सिर्फ जानकारी देने के बजाय इसके उसके सर पर टोपी पहनाने का है। श्री पंवार को पीएमओ कार्यालय में उनके द्वारा स्पीड पोस्ट से भेजा गया दिनांक 15 नवम्बर 2015 का पत्र 20 नवम्बर 2015 को प्राप्त हुआ जिसे मिलने के बाद पीएमओ ने उक्त पत्र के संदर्भ में उनसे चाही गई जानकारी को स्वंय ने देते हुए उक्त पत्र को सूचना का अधिकार कानून की धारा 3 (6) के तहत यथोचित कार्रवाई के लिए अवर सचिव एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी पीएमओ कार्यालय श्री पीके शर्मा ने दिनांक 27 नवम्बर 2015 को उक्त आवेदन पत्र सचिव भारत सरकार जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्रालय श्रम शक्ति भवन नई दिल्ली को रजिस्टर्ड डाक से भेज दिया। अब भारत सरकार के जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने उक्त पत्र को दर किनार कर अपने कार्यालय को प्राप्त सूचना का अधिकार कानून के तहत प्रस्तुत आवेदन के संदर्भ में आरएन दीक्षित अवर सचिव (संसद) जन सूचना अधिकारी ने अपने दिनांक 11 दिसम्बर 2015 को हस्ताक्षरित पत्र दिनांक 14 दिसम्बर 2015 को संजीत कुमार भगत अवर सचिव (पेन रीवर) एवं सी.पी.आई.ओ. जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार तथा यू.के.पाली अनुविभाग अधिकारी (बी.एम.)सी.पी.आई.ओ. जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय सी.जी.ओ. काम्लैक्स भारत सरकार नई दिल्ली को अंतरीत कर दिया। इस बात की जानकारी बकायदा एल.बी. टवल्टे उप सचिव (एन.एम.सी.जी.) एवं सी.पी.आई.ओ. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (सी.पी.आई.ओ. जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार) रियर विंग तीसरी मंजिल एम.डी.डी.एस. बिल्डींग 9 सी.जी.ओ. काम्लैक्स लोधी रोड नई दिल्ली को भेज दिया गया। अब उक्त पत्राचार से अलग हट कर  एल.बी. टवल्टे उप सचिव (एन.एम.सी.जी.) एवं सी.पी.आई.ओ. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (सी.पी.आई.ओ. जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार) रियर विंग तीसरी मंजिल एम.डी.डी.एस. बिल्डींग 9 सी.जी.ओ. काम्लैक्स लोधी रोड नई दिल्ली ने अपने बिना तारीख एवं डिस्पेच नम्बर के एक पत्र सीपीआईओ नदी संरक्षण ((CPIO National River Conservation Directorate) (MoEF& CC)) () (MoEF& CC),सीपीआईओ.राष्ट्रीय जल आयोग ((CPIO Central Water Commission Sewa Bhawan RK Puram New Delhi 66),सीपीआईओ आर.एन दीक्षित श्रम शक्ति भवन जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली  (CPIO R.N.Dixit Sharm Shakti Bhawan  Ministry of Water Resources  New Delhi)) के अतिरिक्त श्री पी.के.शर्मा अवर सचिव एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी पीएमओ कार्यालय को सूचित कर दिया कि उक्त आरटीआई आवेदन की जानकारी देना उनके बस की बात नहीं है तथा उक्त पत्र उनसे सबंधित नहीं है और पूरा सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी के प्रकरण को नस्तीबद्ध कर दिया। सवाल यह उठता है कि जब यह मामला उनसे सबंधित नहीं था तब उन्हे पीएमओ सहित अन्य कार्यालयों द्वारा क्यों अंतरीत किया गया। जानबुझ कर आवेदक को भारत सरकार के एक नहीं दो मंत्रालय गुमराह करते रहते। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से निकलने वाली पुण्य सलिला ताप्ती जो कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा गुजरात में 750 किमी का सफर तय करती है। भारत की ताप्ती एक मात्र ऐसी पश्चिम मुखी नदी है जो तीन राज्यों की जीवन रेखा कही जाती है। ताप्ती के संग देश की अन्य नदियों की उपेक्षा एवं गंगा को महीमा मंडित करने तथा पूरा सरकारी खजाना देश की सिर्फ एक नदी पर लुटाने के पीएमओ एवं जल संसाधन मंत्रालय की कार्य योजना पर ऊंगली उठाते सवाला का न तो देश के प्रधानमंत्री कार्यालय ने और न जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्रालय ने उचित जवाब देना चाहा। सवाल यह उठता है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती अपनी श्रद्धा एवं भक्ति तथा आस्था के कारण देश की अन्य नदियों के साथ दूजा व्यवहार कर रहे है जो एक संगीन अपराध की श्रेणी आता है। हमारा देश सबको साथ लेकर सबके विकास की बाते करता है तब वह गंगा के मामले में अन्य नदियों के संग क्यूं भेदभाव कर रहा है।
बीते एक दशक से पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती के मान - सम्मान की लड़ाई लड़ रहे मां ताप्ती के भक्त रामकिशोर पंवार ने पूरे मामले में अब भारत सरकार के प्रधानमंत्री एवं जल संसाधन मंत्री तथा उनके मंत्रालय के सौतेले व्यवहार को लेकर कानूनी लड़ाई लडऩे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन बना लिया है। श्री पंवार ने देश की संसद में बैतूल की सासंद द्वारा ताप्ती की उपेक्षा को लेकर अपने दो सत्र के कार्यकाल में आज तक एक सवाल न पुछने पर भी अफसोस जताया है। श्री पंवार ने बताया कि ताप्ती के मान - सम्मान की लड़ाई में पड़ौसी राज्य महाराष्ट्र एवं गुजरात से भी ताप्ती से जुड़े भक्तो को साथ लेकर बड़ा जन आन्दोलन खड़ा किया जाएगा। इस कार्य योजना के लिए वे आने वाले वर्ष में बैतूल से सूरत तक की संपर्क यात्रा करने जा रहे है ।

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