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Saturday, January 30, 2016

शलभ भदौरिया की शामत आई

भोपाल. म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के अद्भुद आजीवन, अनोखे, अध्यक्ष के विरुद्ध आर्थिक अपराध ब्युरो ने जो चार सौ बीसी का मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें "श्रमजीवी पत्रकार" नाम के समाचार पत्र का फर्जी रजिस्ट्रेशन बनाकर जनसम्पर्क व भारतीय डाक तार विभाग में लगाकर जनसम्पर्क से लाखों रुपयों के विज्ञापन हड़पे थे और डाक विभाग को भी डाक दर में छूट लेकर चूना लगाया था। उस प्रकरण में सुनवाई चालू हो गई है। विशेष सत्र न्यायाधीश की अदालत में शिकायतकर्ता श्री राधा वल्लभ शारदा की गवाही हो चुकी है।उन्होने सारे आरोपों की अपने बयान में पुष्टि की है।
अब 11 फरवरी को आइसना के प्रदेश अध्यक्ष श्री अवधेश भार्गव के बयान दर्ज किये जायेंगे। श्री भार्गव ने आर्थिक अपराध थाने में जॉच के दौरान अपने बयान में बताया था, कि शलभ भदौरिया नें,पत्रकार भवन के टाइप रायटर में स्वयम् ही, टाइप करके फर्जी आर एन आई सर्टीफिकेट तैयार किया था।
इसके पहले एक ओरिजनल आर एन आई सर्टीफिकेट में टाइप की हुई इबारत पर कागज रखकर पत्रकार भवन के फोटो कापियर में फोटो कापी कर कोरा सर्टीफिकेट बनाया। फिर उसी में टाइपरायटर से स्वयं टाइप कर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किया।
श्री भार्गव ने दौराने जॉच बताया था, कि मैं उस समय श्रमजीवी पत्रकार संघ का स्टेट सेकेट्री था, मैंने बार बार शलभ भदौरिया को मना किया, कि यह गलत है,फोर्जरी है, ऐसा मत करो, किन्तु वह नहीं माना, मैने कहा संघ की बदनामी होगी, आप पर पुलिस केस बन जायेगा, किंतु वह नही माना, बोला मुझे निपटना आता है,सब निपट लूंगा।
अब अदालत में श्री भार्गव की 11 फरवरी को गवाही होगी, इस बारे में जब श्री भार्गव से पूछा गया, उनके रुख के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दो टूक कहा, कि शलभ भदौरिया शुरू से ही षड़यंत्रकारी है, मेरे मना करने, बार बार मना करने पर भी षड़यंत्र कर फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट बनाकर जन सम्पर्क से लाखों के विज्ञापन कबाड़े और पूरे पैसे हड़प कर संघ को भी ठेंगा दिखा दिया। अब कानून की बारी है, मैं तो जो सच्चाई है, न्यायालय में वही कहूंगा।
कुछ भी हो, न्याय चाहे देर से मिले, किन्तु मिलता है,अपराध हारता है और अपराधी को दण्ड जरूर मिलता है।
यदि न्यायालय में यह बयान हो जाते हैं तो शलभ भदौरिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
                 मंडला जिले में भी संगठन के नाम पर चल रहा है फर्जी वाड़ा और अवैध वसूली ।

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