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Sunday, January 3, 2016

भेल कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही चरम पर, मरचरी में चूहों ने डेड बॉडी को कुतरा

January 3rd, 2016 , toc news

भोपाल। एक हृदयविदारक घटना में भेल कस्तूरबा अस्पताल भोपाल की मरचरी में रखी एक महिला की डेड बॉडी को शनिवार – रविवार की दरमियानी रात चूहों ने कुतर दिया। कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही का पता उस समय लगा जब मृत महिला के अंतिम संस्कार के लिए उसके परिजन आज रविवार सुबह डेड बॉडी लेने आए। डेड बॉडी के चहरे पर चूहे द्वारा कुतरे जाने की जानकारी मिलते ही मृत महिला के परिजन भड़क उठे और उन्होनें कस्तूरबा अस्पताल में हंगामा कर दिया।

मृतक के परिजन कस्तूरबा अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टरों और दूसरे कर्मचारियों पर पुलिस में क्रिमिनल केस दायर करने कि मांग कर रहे थे। इंडिया वन समाचार को मिली जानकारी के अनुसार मृतक महिला जिसकी डेड बॉडी को चूहों ने कुतर दिया था वो भेल के एक रिटायर्ड कर्मचारी बलदेव की पत्नी थी। मृतक बलदेव के लड़के गुप्तेश्वर ने इंडिया वन समाचार को बताया कि उसकी मां की तबियत खराब होने पर सात दिन पहले कस्तूरबा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गड़िया बाई जो दमे से पीड़ित थी उसकी कल शनिवार रात दस बजे करीब मौत हो गई थी। गुप्तेश्वर ने आगे बताया कि मां की मौत के बाद उन लोगों ने डेड बॉडी अस्पताल की मरचरी में कल शनिवार देर रात रखवा दी थी। अपनी मां की डेड बॉडी के साथ हुए हादसे से व्यथित गुप्तेश्वर ने रोते हुए आगे बताया कि आज रविवार सुबह जब वह अपने परिजनों के साथ मां की डेड बॉडी लेने मरचरी गया तो उन लोगों ने देखा कि मरचरी का दरवाजा खुलते ही एक बड़ा चूहा मरचरी से निकलकर बाहर भागा।

जब गुप्तेश्वर की मां की डेड बॉडी बाहर लाई गई तो गुप्तेश्वर और उसके साथ आए परिजन यह देखकर सन्न रह गए कि गड़िया बाई के चहरे पर कई जगह किसी जानवर के कुतरने के निशान थे। गुप्तेश्वर के साथ आए उसके एक परिजन ने इंडिया वन समाचार को बताया कि चूहे के कुतरने की वजह से मृतक के चहरे पर घाव हो गए थे। मृतक महिला के बेटे ने आरोप लगाया कि उसकी मां की डेड बॉडी मरचरी से निकालने के समय ठंडी नहीं थी। उसने आरोप लगाया कि कस्तूरबा अस्पताल के मैनेजमेंट के लापरवाही के चलते ही उसकी मां की डेड बॉडी के साथ ये हादसा हुआ। कस्तूरबा अस्पताल के हेड मेडिकल सर्विसेज डॉ एके दवे ने मरचरी में चूहे के होने के आरोप से साफ इंकार किया है। डॉ. दवे ने इंडिया वन समाचार से बात करते हुए कहा कि मरचरी का टेम्परेचर दो डिग्री सेंटिग्रेड रखा जाता है। इस दो डिग्री टैम्परेचर में किसी चूहे का जिंदा रहा पाना मुमकिन नहीं है। मगर डॉ. दवे यह नहीं बता पाए कि डेड बॉडी के चहरे पर मरचरी में घाव कैसे हो गए। डॉ. दवे ने आश्वासन दिया कि अस्पताल मैनेजमेंट दुर्घटना की जांच कराएगी। गौरतलब है कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे कस्तूरबा अस्पताल की लापरवाही इतनी बढ़ गई है कि मरचरी में इस तरह कि घटनाएं पहले भी हो चुकी है। कस्तूरबा अस्पताल के एक कर्मचारी ने इंडिया वन समाचार को बताया कि कुछ साल पहले मरचरी के काम नहीं करने के कारण एक डेड बॉडी फूल गई थी। चूहे द्वारा डेड बॉडी को काटने की घटनाए पूर्व में भी हो चुकी है मगर अस्पताल मैनेजमेंट ने इनको रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए है। 

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