क्या शिवराज को हिट करवाना चाहते हैं अनुपम राजन |
शैफाली गुप्ता मध्यप्रदेश जनसम्पर्क विभाग में चर्चा है न्यूज़ वेबसाइड के जरिये जनसम्पर्क आयुक्त अनुपम राजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को हिट करवाना चाहते हैं ,इस हिट के कई मायने निकाले जा रहे हैं। जनसम्पर्क के अधिकारीयों का कहना है कि आयुक्त राजन ,जनसम्पर्क जैसे संवेदनशील विभाग को महिला बाल विकास विभाग की तरह चला रहे हैं। जिस कारण तमाम दुश्वारियाँ सामने आ रही हैं। बेसिरपैर की सलाह समाचार के नए माध्यम ई मीडिया को लेकर जनसम्पर्क विभाग में लम्बे समय से अफरातफरी मची हुई है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा इस माध्यम की तासीर और ताकत को बखूबी समझते हैं लेकिन आयुक्त अनुपम राजन इसे लेकर कतई गंभीर नजर नहीं आते हैं। अनुपम राजन वेब मीडिया को लेकर एक ऊटपटाँग सी नीति बना चुके हैं ,जिसका कोई नतीजा नहीं निकला और उनके हिसाब से बनाई गई नीति को देखें तो खुद जनसम्पर्क विभाग की वेबसाइड उनके मापदंडों को पूरा नहीं करती है । जनसम्पर्क में चर्चा है कि कटनी में कलेक्टर रहते अनुपम राजन के करीबी रहे एक शख्स की बेसिरपैर की सलाह की वजह से जनसम्पर्क विभाग मजाक का विषय बना हुआ है। वेब मीडिया के पत्रकारों की ये कैसी मीटिंग शनिवार को भी जनसम्पर्क आयुक्त ने वेब मीडिया के नियम कायदे बनाने के लिए एक बैठक बुलाई लेकिन मजे की बात यह है कि इसमें भी वेब मीडिया से जुड़े दो तीन लोग बुलाये गए कई असल लोगों को मीटिंग से दूर रखा गया। वेब मीडिया में काम कर रही किसी महिला प्रतिनिधि तक को मीटिंग में बुलाना उचित नहीं समझा गया। अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह महिलाओं को बढ़ावा देने की जो बात करते हैं उसे अनुपम राजन जैसे अधिकारी क्या पलीता लगाने की कोशिस नहीं कर रहे हैं। कैसे बंद करें विज्ञापन अब मुद्दे की बात करते हैं वेब मीडिया को लेकर भले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और जनसम्पर्क के विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा सकारात्मक सोच रखते हों लेकिन उनके मातहत अधिकारियों के लिए यह कोई गंभीर मसला नहीं है। जनसम्पर्क में बैठे कुछ बाबू टाइप के लोगों के लिए तो कतई नहीं हैं। जनसम्पर्क के इन बाबू और बाबूनुमा अफसरों को हर जगह कमीशन का खेल नजर आता है ,बिना trp और चवन्नी छाप चैनलों को लाखों करोडों के विज्ञापन देकर फर्जीवाड़ा करने वाले ये लोग चाहते थे कि वेब मीडिया में जा रहे विज्ञापनों से भी इन्हें हिस्सा मिले और जब ऐसा नहीं हुआ तो इन्होने कई फर्जी वेबसाइड बनाकर पैसा बनाया और अब जब इस सब का खुलासा हो गया है तो जनसम्पर्क के ये कमीशनखोर चाहते हैं कि येनकेन प्रकारेण वेबमीडिया को विज्ञापन ही न मिलने दिए जाएँ। इसके लिए बाकायदा जनसम्पर्क आयुक्त अनुपम राजन का माइंड मेकअप किया गया और कहा गया वेबसाइड पर सबसे पहले ऐसे नियम लादें जाएँ जिन्हें वेबमीडिया के लोग पूरा ही न कर सकें और उसी तारतम्य में एक ड्राफ्ट बनाया गया कि हर वेबसाइड पर दस हजार यूनिक विजिटर्स होना चाहियें ?इतने यूनिक विजिटर्स तो अनुपम राजन अपने जनसम्पर्क विभाग की समाचार साइड पर ला कर दिखा दें। यूनिक विजिटर्स की परिभाषा जब इन अधिकारियों की समझ में आई तो जनसम्पर्क में ऐसी मूर्खतापूर्ण सलाह देने वाले की तलाश शुरू हुई ,तक सब ने इसे एक दूसरे पर टाला और अंत में कहा गया शायद यह मशविरा nic वालों ने या क्रिस्प वालों ने दिया था। नियम और राजन की मंशा सवाल यह भी है कि क्या जनसम्पर्क आयुक्त अनुपम राजन वेबमीडिया से जुड़े पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखकर नीति बनाना चाहते हैं या वेब मीडिया का गला घोंटने के लिए। अगर उनकी मंशा चंद कमिशनखोरों और कुछ चवन्नी छाप चैनल चला रहे लोगों से मेल खाती है तो वे यक़ीनन कोई न कोई ऐसे नियम वाली नीति बनाएंगे जिससे वेबमीडिया को विज्ञापन मिलना तत्काल बंद हो जायेंगे। लेकिन अगर उन्हें भविष्य के इस सबसे दमदार और असरकारक मीडिया और इससे जुड़े पत्रकारों की परवाह है तो वे सकारत्मक सोच के साथ बेबमीडिया में लम्बे समय से काम कर रहे लोगों के बड़े समूह से चर्चा कर नियम और नीति बनाएंगे। कहीं cm को हिट न करवा दें www की इस खबरी दुनिया को लेकर जनसम्पर्क में जो चल रहा है वो भी कम चौंकाने वाला नहीं है। आयुक्त अनुपम राजन के साथ काम करने वाले लोगों की माने तो उनका कहना है cpr जनसम्पर्क विभाग को समझ ही नहीं पाये हैं वे जनसम्पर्क जैसे विभाग को भी महिला बाल विकास की तरह चला रहे हैं। इस विभाग में वह वेब मीडिया के जरिये मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप कई काम करवा सकते हैं लेकिन ऐसा लगता है राजन वेबसाइड के हिट के चक्कर में पड़कर कहीं मुख्यमंत्री और सरकार को ही हिट नहीं करवा दें। राजन को लेकर जनसम्पर्क दो फाड़ अनुपम राजन के जनसम्पर्क आयुक्त बनने के बाद जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी दो भागों में बंट गए हैं। एक राजन समर्थक और दूसरे राजन विरोधी। इनमे राजन विरोधियों की तादात ज्यादा है। राजन विरोधी मानते हैं कि चाहे वेब मीडिया का मसला हो या बिना trp वाले और अपराधिक कारनामों में लिप्त रहे लोगों के चैनलों को विज्ञापन देने का मामला, वे हर जगह फेल साबित हुए हैं और जल्दी वे ऐसी बड़ी चूक कर सकते हैं जिसके कारण उन्हें इस संजीदा विभाग से हटाया जाएगा। वहीँ राजन समर्थक अधिकारी कहते वे अपनी बीमारी की वजह से ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं। दूसरा विभाग के सारे अधिकार प्रमुख सचिव एस के मिश्रा के पास हैं राजन साहब के पास अधिकारों की कमी है वे सिर्फ नाम के आयुक्त हैं सारा किया धरा प्रमुख सचिव का और नाम ख़राब हो रहा है आयुक्त का । कुल मिलकर ऐसा लगता है जनसम्पर्क में मसला कोई भी हो असल झगड़ा दो आला अधिकारियों और उनके अधिकारों का हैं। साभार - www.madhyabharat .net |
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