Pages

click new

Wednesday, May 11, 2016

करोड़ों से एमपीआरडीसी की पुलिया में दरार

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल । भाजपा सरकार भले ही बिजली, पानी और सड़क की समस्या से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाने के नाम पर सत्ता में आई हो लेकिन हकीकत यह है कि इस प्रदेश में सरकार द्वारा सड़कों का जाल बिछाए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत यह है कि लोक निर्माण विभाग या अन्य विभागों के द्वारा निर्मित सड़कों की तो बात छोडि़ए जिस एमपीआरडीसी के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, उस निगम के द्वारा प्रदेश में कराई जा रही सड़कों के निर्माण की स्थिति यह है कि यह करोड़ों की लागत से निर्मित होने वाली सड़कों में गुणवत्ता का इतना अभाव रहता है कि वह बनने के कुछ ही दिनों बाद दरकने लगती हैं ऐसा ही एक मामला धार जिले के नागदा-गुजरी हाईवे के देजेला फाटे पर हाल ही में बनी पुलिया की दीवार में  दरार आने से दो फड़ हो गई यह दीवार सड़क के अर्थवर्क, गिट्टी मुरम की इस दीवार में चढ़ाई जाने वाली परतों की रोक का काम भी करती है,

२५० करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नागदा-गुजरे हाईवे ७० किलो मीटर बनाया जा रहा है इस सीमेंटेड हाईवे के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर एमपीआरडीसी ने बड़े-बड़े दावे किये थे, निगम के अफसर यह कहते नहीं थक रहे कि इस तरह की गुणवत्ता होगी कि लोगों ने आजतक किसी सड़क में नहीं देखी होगी लेकिन शुरुआती काम में इन अधिकारियों के दावे की पोल खुलने लगी मजे की बात यह है कि इस सड़क के निर्माण में जो निर्माता कंपनी द्वारा गुणवत्ता में लापरवाही की जा रही है उससे यही लगता है कि मध्यप्रदेश में सड़कों के जाल बिछाने का काम करने के तो दावे किये जाते हैं लेकिन वह सड़कें इतनी गुणवत्ताविहीन होती हैं जो अपने निर्माण के कुछ ही दिनों बाद दरकने लगती हैं। प्रदेश में यूं तो एपीआरडीसी के द्वारा सड़कों का जाल तो बिछाया जा रहा है लेकिन सड़कों की इन गुणवत्ता पर सवाल भी उठ रहे हैं, मजे की बात यह है कि इस निगम के अंतर्गत बनने वाली सड़कों के मामले में यह नियम है कि हर मटेरियल सड़क पर डालने के पहले लैब में टेस्ट होता है।

यह निर्धारित मापदण्डों के अनुसार है या नहीं मगर ऐसा लगता है कि इस नियम का पालन उस संस्था द्वारा नहीं किया जा रहा है जिसके मुख्यमंत्री अध्यक्ष हैं, २५० करोड़ की लागत से बनने वाले नागदा-गुजरी हाईवे निर्माण में बनाई गई सीमेंटेड देजेला फाटे पर बनाई गई पुलिया में दरार क्यों पड़ी इस संबंध में जानकारों का कहना है कि बनाई गई कांक्रीट में रेत की बजाए चूरी का इस्तेमाल किया गया था। पूर्व में मटेरियल में रेत इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि इस समय पूरे प्रदेश में ट्रक ऑपरेटर और रेत माफियाओं के के कारण रेत के भाव आसमान छू रहे हैं।

इसलिये अब कोई भी निर्माण कंपनी मटेरियल में रेत का इस्तेमाल नहीं करता। निगम के अधिकारियों का इस संबंध में कहना है कि चूरी को विभाग ने मटेरियल में इस्तेमाल करने की प्रक्रिया केा अपना लिया है इसलिये एस्टीमेट इसी के अनुसार बनाया जाता है, मजे की बात यह है कि निगम के प्रोजेक्ट प्रभारी यह दावा भी करते हैं कि नियमित मानिटरिंग की जा रही है पुलिया में ऐसी त्रुटि कैसे रह गई पता नहीं लेकिन यह बड़ी चूक हुई है। वह यह भी दावा करते हैं कि गुणवत्ता से समझौता नहीं करेंगे निर्माता कम्पनी को पुलिया की दीवार तोड़कर नये सिरे से बनानी पड़ेगी।

इस संबंध में यह लोगों का कहना है कि दो माह पहले डीपीई का दल भी निर्माणाधीन नागदा-गुजरी हाईवे की गुणवत्ता परखने आया था, दल ने तीस गांव के समीप जांच की थी उसने ग्रीटिंग तो ठीक पाई गई लेकिन वायब्रेटर से जो दबाई की जानी चाहिए उसमें कमी पाई गई। अब कांक्रीट में गुणवत्ता की कमी सामने आई है। कुल मिलाकर राज्य में सड़कों के जाल बिछाने के नाम पर जो गुणवत्ता विहीन सड़कों का निर्माण चल रहा है उसको लेकर यह बात सामने आई है कि इस तरह के निर्माण कार्य में निगम के अधिकारी निर्माणाधीन एजेंसियों से लक्ष्मी दर्शन के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं हालांकि इस तरह का काम पूरे प्रदेश में और सड़कों के निर्माण में जारी है,यह कब तक चलता रहेगा यह पता नहीं।   

No comments:

Post a Comment