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Sunday, May 8, 2016

ठाकुर जी जरा मध्यप्रदेश में चल रहे भ्रष्टाचार पर भी नजर डालो

अवधेश पुरोहित @ toc news
भोपाल। भाजपा नेता चाहे प्रदेश के हों या राष्ट्रीय नेता हों, इनकी स्थिति इस समय कस्तूरी के मृग की तरह है, उन्हें सिवाय कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और उनके परिवार के साथ-साथ कांग्रेस के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार ही नजर आ रहा है, जबकि स्थिति यह है कि भाजपा की सरकारों के कार्यकाल के दौरान भी भ्रष्टाचार का जो आलम है वह भी अपने आपमें एक इतिहास है लेकिन उन्हें यह सब दिखाई नहीं दे रहा है, हाल ही में उज्जैन में युवा मोर्चा के एक कार्यक्रम में आये अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस शासन में हुए भ्रष्टाचार को लेकर तमाम सवाल खड़े किए, कुछ ऐसा ही भाजपा का हर नेता आयेदिन बयान देते रहते हैं।

मगर उन्हें अपनी सरकारों में चल रहे भ्रष्टाचार की तनक भी भनक नहीं है। यह सब सत्ता का खेल है, सत्ता के मद में कांग्रेस के नेता इतने चूर हो गए थे कि उनकी भी स्थिति ठीक इन भाजपा नेताओं की तरह रही तभी तो आज एक के बाद एक घोटाला सामने आ रहा है सवाल भ्रष्टाचार का है तो प्रदेश की जो सरकार भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त देने के वायदे के साथ सत्ता में आई लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सत्ता पर काबिज होते ही राज्य में जो भ्रष्टाचार की चहुंओर गंगोत्री बही उसके परिणाम स्वरूप गांवों में तमाम सरकारी योजनायें कागजों में बन गई,

राज्य में बलराम तालाब योजना के नाम पर लूट का खुला खेल खेला गया स्थिति यह है कि कि राज्यभर में अधिकांश तालाब कागजों पर बन गए इसका लाभ किसानों को नहीं मिला तो वहीं कृषि विभाग में हुए करोड़ों के घोटालों को जिले के कलेक्टरों ने पूरी तरह से दबा रखे हैं और इन घोटालों को उजागर करने के लिये राज्य के प्रमुख सचिव कृषि राजेश राजौरा बार-बार पत्र लिख रहे हैं लेकिन उसके बाद भी प्रदेश के ३० जिलों के कलेक्टर दोषी कृषि अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने तक की जुर्रत नहीं उठा रहे हैं

लगभग यही स्थिति आदिवासियों के नाम पर चलाई जा रही जनश्री बीमा योजना की है इस योजना के अंतर्गत एक करोड़ ७२ लाख रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया गया तो वहीं राज्यभर में अवैध उत्खनन के चलते करोड़ों रुपये का सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है यह सब खेल कौन खेल रहा है। जरा भाजपा के उन बयानबाज नेताओं को इन सबकी जांच करा लें तो राज्य के अभी तक के राजनीतिक इतिहास में इतना भ्रष्टाचार नहीं हुआ जितना इस भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ सत्ता में आई भाजपा के शासनकाल में हुआ, इसी शासनकाल में व्यापमं, डीमेट जैसे अनेक एतिहासिक घोटाले भी हुए हैं।

तो वहीं राज्य की शायद ही कोई ऐसी योजना हो जिसमें राज्य में सक्रिय मंत्रियों, अधिकारियों सत्ता के लालों और ठेकेदारों के सक्रिय रैकेट के चलते सरकारी योजनाओं में घोटालों को अंजाम देने का दौर ना चला हो। दूसरों के भ्रष्टाचार पर आरोप लगाने वाले भाजपा नेताओं को पता नहीं क्या हो गया कि उन्हें दूसरों का ही भ्रष्टाचार नजर आता है लेकिन इस मध्यप्रदेश में इस भ्रष्टाचार की गंगोत्री के चलते भाजपा के वह नेता और कार्यकर्ता जिनके पास कल तक टूटी साइकिल नहीं थी आज वह आलीशान भवनों और लग्जरी गाड़ी में फर्राटे इसी भ्रष्टाचार की गंगोत्री की बदौलत सड़कों पर लेते नजर आ रहे हैं। पता नहीं प्रदेश भाजपा की सरकार बनते ही प्रदेश की जनता पर नहीं बल्कि भाजपा के नेताओं पर कु बेर इस कदर से मेहरबान हुए कि वह सड़कपति से करोड़पति बन गए उनकी यह काली कमाई लोगों को स्पष्ट दिखाई दे रही है तो वहीं दूसरी ओर राज्य में विकास की गंगा इस तरह से बह रही है कि वह भाजपाईयों को मालामाल कर रही है और गरीबों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती नजर आ रही है

जिसका जीता जागता उदाहरण सरकार द्वारा राज्य की कुल आबादी के ८० प्रतिशत से ज्यादा लोग जिनकी संख्या पांच करोड़ ४४ लाख है को एक रुपए प्रतिकिलो गेहूं और चावल उपलब्ध करा रही है यह मामला राज्य के स्वर्णिम विकास के दावे को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है, लेकिन पता नहीं क्यों भाजपा के नेताओं को अपनी सरकार में चल रहे भ्रष्टाचार नजर नहीं आ रहा।

यदि भ्रष्टाचार खत्म करने के इतने ही यह नेता संकल्पित हैं तो जरा किसी निष्पक्ष एजेंसी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान चलाई गई योजनाओं की जांच कराकर देखें कि मध्यप्रदेश में भी भ्रष्टाचार की गंगोत्री में कांग्रेस की सोनिया गांधी और अन्य नेताओं की तरह राज्य के भाजपा नेता भी पीछे नहीं हैं, लेकिन भाजपा के नेताओं ने यह नीति अपनाई रखी है कि जितना हो सके कांग्रेस को कोसो और अपने को पोशो और इस नीति के तहत वह जनता का ध्यान भाजपा सरकारों में चल रहे भ्रष्टाचार की ओर हटाने की सुनियोजित रणनीति पर चलते नजर आ रहे हैं।  

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