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Monday, July 18, 2016

राष्ट्रपति से 66 वर्षीय वृद्ध ने सहपरिवार मांगी इच्छा मृत्यु

तहसीलदार के अनावश्यक दुकान तोड़ने के दबाब में लिया फैसला ।
*गाडरवारा*। म.प्र.के जिला नरसिंहपुर की तहसील गाडरवारा हमेशा से सुर्खियों में रही है यहाँ अधिकांश अंधेरी नगरी चोपट राजा जैसा हाल बना रहता है ऐसा नही की यह तहसील नाम के अनुरूप पीछे हो बल्कि यह बहुत ही चर्चित तहसीलो में आती है ओशो रजनीश की प्रांरभिक शिक्षागण एवं कीड़ा स्थली के नाम से भी विश्व पटल पर अंकित है। NTPC पावर प्लांट,सोयाबीन प्लांट इत्यादि होने के चलते सबसे अधिक राजस्व आय देने वाली तहसीलों में भी है ।इन्ही सब में आये दिन यहाँ के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के तलीवानी जारी फतवे भी इसे सुर्खियों में बनाये रखते है।
                   आज यह पुनः राष्टपति से इच्छामृत्यु मांगने वाले गाडरवारा के 66 वर्षीय जगदीश वार्ड निवासी अशोक राय वृद्ध कारण फिर सुर्खियों में है जो तहसीलदार संजय नागवंशी के अनावश्यक दुकान तोड़ने के दबाब के चलते पूरे परिवार सहित महामहिम राष्टपति से इक्छा मृत्यु की मांग के लिये पत्र भेजा जिसमे उल्लेख किया है की शहर के पुराने बस स्टेण्ड के पास मेरी छोटी सी 10×8 की दुकान विगत 40 वर्ष से स्थित है में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हुये अपने परिवार की पालनपोषण करते आ रहा हूँ । और मै भी छोटा सा समाजसेवी होने के नाते किसी भी प्रकार के अतिक्रमण का समर्थन नही करता क्योकि जो गलत है तो गलत है वो मेरे लिये भी मान्य होगा जो मुझे सहज स्वीकार है ।
                    परन्तु विषयगत लेख में स्पष्ट होता है की किस तरह मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है वह निम्नलिखित है की तहसीलदार कार्यालय से 1 जून 2016 को मुझे नोटिस प्राप्त हुआ की 10×5 टीन सेट का अतिक्रमण आपके द्वारा किया गया जिसके जबाब के लिये आप प्रस्तुत होवे उक्त नोटिस पर स्वेच्छा से हमारे द्वारा 10×5 टीन सेट का अतिक्रमण हटा लिया गया था जिसकी लिखित सूचना 2 जून को तहसील कार्यालय को दी गई जिसकी पाउती भी है परन्तु तहसीलदार संजय नागवशी महोदय को न जाने इन कुछ दिनों में क्या उथल पुथल हुई की स्वेच्छा से हटाये गए 10×5 के अतिक्रमण की शब्बासी की जगह पूरी दुकान हटाने का बिना नोटिस के तालिबानी फरमान मौखिक जारी कर दिया और बार बार दुकान खुद तोड़ने का दबाब राजनीती के चलते मुझे दिया जा रहा है ।जिसकी लिखित शिकायत कलेक्टर,अनुविभागीय अधिकारी को भी कर चूका हूँ जिसका कोई असर नही हूँ मुझे  इसके बाद पहले और अधिक मानसिक,शरीरिक प्रताड़ित किया जा रहा जिससे में आहात हूँ ।
                इस दुकान से मेरे परिवार की जीविका चलती है इसके आलावा मेरा कोई और साधन नही है और मेरी दुकान किसी भी प्रशसनिक विकास में बाधित नही है फिर भी राजनीती के चलते इसे तोड़ दी जायेगी तो में अपने परिवार का पालनपोषण कैसे कर पाउँगा। फिर मेरा और मेरे परिवार का जीने का क्या मतलब ? में कायरो की तरह अपने परिवार वालो को जहर देकर नही मार सकता ।और न ही इन जनप्रतिनिधि और अधिकारियो से अपनी लड़ने की मुझमे हिम्मत बची है। अतः महामहिम महोदय आप सहपरिवार मुझे इच्छा मुक्ति की अनुमति प्रदान करने की बड़ी कृपा करें ।इस पत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है ।

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