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Wednesday, July 20, 2016

सिंहस्थ घोटाला: ऐसे ऐसे कारनामे कि आप दातों तले उंगली दबा लेंगे

Toc News
*भोपाल*- उधर विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है और इधर कांग्रेस ने मप्र में हुए सिंहस्थ घोटाले की डीटेल्स जारी की हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि कुल 5000 करोड़ के सिंहस्थ आयोजन में करीब 3000 करोड़ का घोटाला किया गया है। 10 रुपए में बिकने वाली चीज को 20 रुपए में किराए पर लिया गया। हर चीज के नाम तीन गुने तक चुकाए गए। दागी अफसरों की पोस्टिंग की गई और विज्ञापन के नाम पर 600 करोड़ का घोटाला किया गया। अमेरिका में जहां से सिंहस्थ स्नान के लिए एक भी एनआरआई नहीं आया, 180 करोड़ का विज्ञापन किया गया। इतने पैसे में तो भारतीय मूल के अमेरिकियों को फ्री हवाईयात्रा करवाकर सिंहस्थ दर्शन कराया जा सकता था।

पढ़िए कांग्रेस की इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट जो आज प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने मीडिया के सामने सार्वजनिक की:

*5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री के 60 करोड़ चुकाए*

5 करोड़ रूपये मूल्य की स्वास्थ्य सामग्री के लिए 60 करोड़ रूपये चुकाये गये।
खरीदी रेट सरकारी रेट
रबर हैण्ड ग्लब्ज 1,890 150
एक्सरे लैड फिल्म ब्यूवर सिंगल सेक्सशन 11,250 4500
एक्सरे लैड फिल्म ब्यूवर डबल सेक्सशन 22,500 8000
एक्सरे लैड फिल्म ब्यूवर ट्रिपल सेक्सशन 33,750 11,500

*3500 रुपए के कूलर का किराया 6500 रुपए*

बाजार में 3500/- रूपये की कीमत में जो कूलर उपलब्ध हो सकते थे, स्थानीय नगर निगम ने उसे 5600/- रूपये प्रति कूलर किराये पर लगवाया।

*बनाए 40 हजार शौचालय, लिखे 90 हजार*

समूचे आयोजन स्थल, साधुओं की छावनियों में 35 हजार शौचालय, 15 हजार बाथरूम व 10 हजार मूत्रालयों का निर्माण होना था, इसके लिए 18 अगस्त, 2015 को टेंडर क्रमांक 1415 निकाला गया, जो मात्र 36 करोड़ रूपये का था। इसमें लल्लूजी एंड सन्स, सुलभ और 2004 के सिंहस्थ में अधूरा काम छोड़कर भागने वाले ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार सिंटेक्स ने भी भाग लिया। 36 करोड़ रूपयों का यह ठेका 117 करोड़ रूपयों का कैसे हो गया?

*प्याऊ और कचरा प्रबंधन घोटाला*

इसी प्रकार नगर निगम ने आर-ओ युक्त 750 प्याऊ का निर्माण 2.50 लाख रूपये की प्रति प्याऊ लागत से करवाया और प्रतिदिन की मान से 40 करोड़ रूपयों में कचरा प्रबंधन का ठेका दिया, इसमें भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है।

*5 करोड़ का पुल 15 करोड़ भुगतान*

*66 करोड़ का अस्पताल 93 करोड़ भुगतान*

मेसर्स यशनंद इंजीनियरिंग एवं कान्टेक्टर को 28 जुलाई, 2014 को 450 बेड के अस्पताल का ठेका 66.44 करोड़ रूपयों में 31 दिसम्बर, 2015 तक की अवधि में पूर्ण करने के साथ दिया गया जो पूरा नहीं हो सका

*पीडब्ल्यूडी के दागी अफसर को सौंपी जिम्मेदारी*

सिंहस्थ के दौरान 600 करोड़ रूपयों के निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जबावदेही लोक निर्माण विभाग के उसी कार्यपालन यंत्री पी.जी. केलकर को क्यों सौंपी गई, जिसे मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में घटिया सड़क निर्माण कराने का दोषी पाया गया था और उसके वेतन से 42 लाख रूपयों की वसूली भी हो रही है

*मंत्रीजी के दामाद की भूमिका संदिग्ध*

मेला अधिकारी आईएएस अविनाश लवानिया जो प्रदेश काबिना मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दामाद हैं, इस समूचे भ्रष्टाचार में उनकी भूमिका क्या है।

*सीएम के भांजे साहब भी जद में*

मुख्यमंत्री के भांजा-दामाद और उज्जैन नगर निगम के उपायुक्त वीरेन्द्रसिंह चौहान की इस दौरान पाई गई संदिग्ध भूमिका को लेकर प्रभारी मंत्री भूपेन्द्रसिंह ने नोटशीट जारी कर तत्काल प्रभाव से उनके स्थानांतरण किये जाने हेतु कहा था, आखिरकार किसके दबाव में उनका स्थानांतरण न करते हुए सिर्फ उनके वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाई गई?

*विज्ञापनों पर 600 करोड़ लुटाए, 180 करोड़ अमेरिका के नाम पर गप*

प्राप्त जानकारी के अनुसार (जनसंपर्क एवं माध्यम, सूचना का अधिकार कानून-2005 के तहत जानकारी नहीं दे रहा है।) सिंहस्थ के नाम पर प्रदेश सरकार ने करीब 600 करोड़ रूपये मुख्यमंत्री की फोटो के साथ निर्लज्जतापूर्वक उनकी ब्रांडिंग के लिए बजट राशि का आवंटन किया था

*24 को मेला खत्म हुआ, 26 को आॅडिट भी हो गया*

सिंहस्थ का समापन हालाकि 21 मई, 2016 को हुआ, उसके बाद राज्य सरकार ने साधु-संतो और जनता की सुविधा हेतु उसमें तीन दिन का इजाफा कर विधिवत समापन 24 मई, 2016 को कराया। आखिरकार जनसंपर्क विभाग को इतनी कौन सी जल्दबाजी थी, जिसमें उसने 26 जून, 2016 यानि एक माह के भीतर महालेखाकार की टीम को बुलाकर उसका ऑडिट भी करवा लिया और प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया?

*बीमा घोटाला: 206 पोस्टमार्टम हुए, बीमा भुगतान किसी को नहीं*

*1000 करोड़ का खाद्यान्न घोटाला*

सिंहस्थ-2016 को लेकर प्रदेश के खाद्य विभाग ने समूचे प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत संचालित प्रति राशन दुकानों, समितियों, गेहूं खरीदी केंद्रों से 1000/- रूपये नगद और 01 क्विंटल गेहूं अप्रैल-मई माह के निर्धारित कोटे से गोपनीय रूप से निर्देश जारी कर एकत्र किया था, ताकि साधु-महत्माओं के शिविरों में यह खाद्यान्न दिया जा सके,..

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