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Sunday, July 17, 2016

कुर्सी बचाने के फेर में जन्मा आनंद विभाग

Toc News
भोपाल // अवधेश पुरोहित
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में राज्य में आनंद विभाग का गठन किया यह गठन क्यों और किसके लिये किया गया, इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं, तो वहीं लोग इस खोज में लगे हुए हैं कि आखिर इस आनन्द विभाग से राज्य का क्या भला होने वाला है, लेकिन छन-छनकर जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार दरअसल यह आनंद विभाग का गठन प्रदेश की जनता के लिये नहीं बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी स्वयं की कुर्सी बचाने के लिये जल्दबाजी में इसका गठन किया। शिवराज सिंह द्वारा अपनाई गई इस विभाग के गठन के मामले में प्रक्रिया से यह साफ जाहिर होता है कि यह एक केवल राजनैतिक शिगूफा है,

तभी तो इसको मंत्रालय न बनाकर एक सोसायटी का स्वरूप दिया गया इस सोसायटी के जरिये इस आनंद विभाग को संचालित किया जाएगा और इसका गठन फम्र्स एवं सोसायटी रजिस्ट्रेशन के तहत होगा इसमें अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी, प्रतिनियुक्ति या अनुबंध पर सचिव स्तर के अधिकारी को सीईओ बनाया जाएगा, सोसायटी का नाम राज्य आनंद संस्था होगा, सुझाव के लिये ११ सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी और इसके गठन का जो मुख्य उद्देश्य है वह है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुरु ईसा फांउडेशन के जग्गी वासुदेव को नवाजना, यह उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कुंभ के दौरान जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह ने शायद ही ऐसा कोई संत या महात्मा बचा हो जिसके यहां जाकर उनकी चरण वंदना कर आशीर्वाद न प्राप्त किया हो, हालांकि उनकी इस तरह का मामला व्यक्तिगत है जिस पर किसी तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है

लेकिन इस समय जिस आनंद विभाग को लेकर जिस तरह की चर्चाएं चल रही हैं उसमें यह बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी खिसकती कुर्सी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुरु जगदीश वासुदेव को खुश करने की तैयारी में हैं और इस राज्य आनंद संस्थान का सर्वोसर्वा बनाये जाने की संभावना है, जहां तक प्रधानमंत्री के योग गुरु जग्गी वासुदेव का सवाल है इनका एक अपना ईसा विजनेस प्रायवेट लिमिटेड के तहत ईसा आयोग है और यह भी पतंजलि की तरह मध्यप्रदेश में उद्योग स्थापित करना चाहते हैं प्रधानमंत्री के योग गुरु होने के कारण इन्हें जहां राजस्थान में इन दिनों इन्हें काफी सराहा जा रहा है इस मौके का फायदा उठाने शिवराज सिंह भी लगे हुए हैं और उन्हें मध्यप्रदेश में स्थापित करने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं हालांकि ईसा फाउण्डेशन का जो कार्य है,

वह एक ओर से शिवराज सिंह चौहान की कार्यप्रणाली से नहीं मिलता क्योंकि जग्गी वासुदेव की कार्यप्रणाली में पर्यावरण संबंधी कामों को महत्व दिया जाता है और यही वजह है कि उन्होंने पूरे तमिलनाडु में लगभग ११ करोड़ पेड़ लगाने की तैयारी की जबकि यह सर्वविदित है कि जबसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता की कमान संभाली ठीक उसी समय से उनके ही विधानसभा क्षेत्र बुदनी से वनों की अवैध कटाई और रेत माफिया का जो कारोबार चला आज वह पूरे मध्यप्रदेश में फलफूल रहा है। पता नहीं वासुदव जग्गी महाराज को यहां उपकृत कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैसे वनों को सुरक्षित करने की पहल करेंगे और जिस राज्य में आज बिगड़े पर्यावरण प्रदूषण के कारण पैदा होने वाले बच्चे कई बीमारियां लेकर जन्म ले रहे हैं, उस राज्य में पर्यावरण के विरुद्ध कुछ काम हो पाएगा या नहीं यह तो भविष्य बताएगा फिलहाल आनन्द विभाग के माध्यम से शिवराज सिंह अपनी कुर्सी बचाने की तैयारी करने में जरूर लग गए।

फिलहाल अपनी कुर्सी बचाने के फेर में प्रधानमंत्री के योग गुरु जग्गी महाराज को खुश करने में इन दिनों शिवराज सिंह लगे हुए हैं तो वहीं राज्य में ईसा आरोग्य संस्थान को स्थापित करने के लिये राज्यभर में जगह की खोज भी जारी है, उद्योग विभाग के सूत्रों के अनुसार ईसा आरोग्य के लिये आध्यत्म गुरु को जबलपुर, इन्दौर, ग्वालियर, सतना, कटनी, रीवा आदि जगहों पर जमीनों की उपलब्धता की जानकारी दे दी गई है लेकिन उनकी रुचि भोपाल या होशंगाबाद संभाग के जिलों में से किसी एक स्थान पर आश्रम खोलने की है, जग्गी वासुदेव की मंशा अनुसार भोपाल के आसपास १०० एकड़ जमीन की तलाश शुरू हो गई है संभाग के कलेक्टर से कहा गया है कि जगह ऐसी जिसके आसपास प्राकृतिक वातावरण हो, इसके अलावा सरकार नर्मदा से जुड़े एक अभियान में भी जग्गी वासुदेव की सेवाएं लेना चाहती है,

आध्यात्मिक गठन के तौर पर पहचानी जाने वाली ईसा फेडरेशन ने पर्यावरण संबंधी तमाम काम किये हैं इसी का फायदा उठाते हुए नर्मदा किनारे वृक्षारोपण के कार्य में ईसा फाउण्डेशन की मदद ली जा सकती है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुरु जग्गी वासुदेव को खुश कर अपनी कुर्सी बचाने के प्रयास में शिवराज सिंह चौहान लगे हुए हैं, देखना अब यह है कि वह इसमें कितने सफल हो पाते हैं यह भविष्य बताएगा। 

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