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Thursday, July 28, 2016

जज को पब्लिक ने पीटा, कपड़े फाड़े, नंगा करने की कोशिश की .... देखे विडियों..

Toc News 
भोपाल। महू-नीमच फोरलेन पर मल्हारगढ़ जिला मंदसौर में एक रोड एक्सीडेंट के बाद लोगों ने कार में सवार प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, पास्को व लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ बेरहमी से मारपीट की एवं कपड़े फाड़​ दिए। बीच सड़क पर नंगा करने की कोशिश की। पता चला है कि भीड़ कार में आग लगाने की तैयारी कर रही थी तभी पुलिस आ गई। इस मारपीट की कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है परंतु भिंड जिले की मेहगांव कोर्ट में पदस्थ जज मनोज कुमार तिवारी ने इस हादसे का वीडियो जरूर फेसबुक पर शेयर किया है। 

श्री तिवारी ने फेसबुक पर लिखा है कि जजों की हालत अच्छी नहीं है और न ही सुरक्षित है। हादसा हुआ है तो भी सजा देने का यह क्या तरीका? उन्होंने मारपीट करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है। 
यह हुआ था घटनाक्रम 
हादसा शनिवार को हुआ। फोरलेन पर एक ट्रक ने जज की कार को पीछे से टक्कर मार दी थी। अनियंत्रित हुई कार डिवाइडर पर चढ़ी और वहां खड़े 10 वर्षीय साहिल से टकराते हुए पलट गई। हादसे में बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। जज के साथ यात्रा कर रहे कोर्ट मुंशी राजेंद्रसिंह चौहान ने दैनिक भास्कर बताया कि ' मैं साहब के साथ मल्हारगढ़ जा रहा था। कार ड्राइवर कन्हैयालाल कुमावत चला रहा था। साहब पीछे की सीट पर थे। हादसे के बाद साहब कार से बाहर निकले। लोगों को बताया मैं जज हूं। इसी बात को लेकर लोगों ने अभद्रता कर शुरू कर दी। दुर्घटना के कारण कार की चाबी कहीं गिर गई और डोर लगने के बाद कार लॉक हो गई। मैं कार में फंसा रहा। कुछ लोगों ने मुझे देखा और बाहर निकाला। कुछ ही देर बाद पुलिस पहुंच गई। लोगों में बहुत गुस्सा था। वे कार में आग लगाकर हमें मार भी सकते थे।

इसलिए दर्ज नहीं कराया गया मामला
जिला सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद शर्मा का कहना है कि दुर्घटना किसी से भी हो सकती है। इस तरह की अभद्रता करना किसी भी हाल में ठीक नहीं है। न्यायाधी श सर्विस कंडक्ट रूल्स में बंधे होने के चलते किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कर सके। इस रुल्स के अंतर्गत न्यायाधीश को अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता नहीं है। वो मीडिया से भी चर्चा नहीं कर सकते। 

मप्र में जज भी सुरक्षित नहीं
मप्र के तमाम न्यायालयों में हर रोज अपराधियों को सजाएं सुना रहे जज सुरक्षित नहीं है। कुछ समय पहले तक तो सरकार ने उनसे लालबत्ती का अधिकार भी छीन लिया था। हालात यह हैं कि जजों को सरकारी आवास तक उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। उन्हें आम नागरिकों के बीच किराए के मकानों में रहना पड़ता है। चूंकि वो हर रोज अपराधियों के खिलाफ सजाएं सुनाते है इसलिए स्वभाविक है कि उनका व उनके परिवार का जीवन खतरे में होता है परंतु सरकार की ओर से उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती।
वीडियो देखने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/QVCZDat2kQg

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