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Thursday, August 11, 2016

बिजली भुगतान के नाम पर भी करोड़ों का घोटाला

भोपाल // अवधेश पुरोहित
( Toc News )। भय, भूख और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सत्ता में काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में पता नहीं भ्रष्टाचार ने एक परम्परा का रूप ले लिया इसके चलते भाजपा के इन १२ सालों के कार्यकाल में जहां विकास के दावे किये जा रहे हैं, तो वहीं प्रदेश में एक के बाद एक भ्रष्टाचार का भी एक रिकार्ड बना है फिर चाहे वह बिजली खरीदी के मामले में हो या फिर मनरेगा हो, भ्रष्टाचार की जहां तक बात करें तो शासन की  शायद ही ऐसी कोई योजना हो जो भ्रष्टाचार की गंध से अछूता नहीं रहा हो, भ्रष्टाचार की जहां तक बात करें तो जो भाजपा के नेता भगवान श्रीराम के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार को अंजाम दे चुके हैं,

उसी भाजपा सरकार के सत्ताधीशों के कारनामे सिंहस्थ में भी उजागर हुए हैं और स्थिति यह है कि जहां इस प्रदेश में व्यापमं के नाम पर हजारों नौजवानों का भविष्य खराब करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं धार्मिक आयोजन सिंहस्थ के नाम पर भी करोड़ों का घोटाला इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन व्यापमं और डीमेट की तरह उसे झुठलाने में लगी हुई है, यहा तक कि जिन प्रदेश के किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने का यह सरकार ढिंढोरा पीट रही है उन्हीं किसानों के लिये सरकार द्वारा चलाई गई कई योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन आज भी वह भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शासन द्वारा कोई कठोर कार्यवाही नहीं की गई, लगभग यही स्थिति जल संसाधन विभाग की भी है जहां करोड़ों के तालाब कागजों पर बन गए तो करोड़ों की कई योजनाओं में सरकारी खजाने की राशि खर्च कर उसे बंद कर दी गई कुल मिलाकर इस शासनकाल में भ्रष्टाचार का खुला तांडव चल रहा है।

इसी के चलते भाजपा के सत्ताधीशों की नीति है या राज्य में बढ़ रहे नौकरशाही के भ्रष्टाचार को अंजाम देने की परम्परा, मामला जो भी हो लेकिन यह तो साफ है कि प्रदेश में भाजपा शासनकाल के दौरान हुए अधिकांश भ्रष्टाचार सत्ताधीशों के संरक्षण में ही सम्पन्न हुए, मजे की बात यह है कि जो भाजपा के नेता कांग्रेसकाल में छोटे-मोटे घोटालों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा किया करते थे आज वह जब सत्ता में काबिज हैं तो उनके राज्य में भ्रष्टाचार की गंगोत्री चहुंओर बह रही है और उसमें अधिकारियों, सत्ता के दलालों के साथ-साथ सत्ताधीश भी डुबकी लगाकर अपनी सम्पत्ति को दिन दूना रात चौगुना करने में लगे हुए हैं जिस विकास के दावे के साथ यह भाजपा सत्ता में आई थी आज स्थिति यह है कि उसी विकास के नाम पर उसने प्रदेश में चहुंओर भ्रष्टाचार का तांडव मचा रखा है।

भाजपा शासनकाल में शायद ही ऐसी कोई योजना है जिसमें भ्रष्टाचार न हुआ हो, जिस बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर यह सरकार सत्ता में आई थी शायद ऐसी कोई बिजली, पानी और सड़क के नाम पर चलाई गई योजना हो जिसमें भ्रष्टाचार न हुआ हो, दिग्विजय सिंह के शासनकाल में भाजपा के नेता अजय विश्नोई से लेकर सभी नेताओं ने बिजली खरीदी और बिजली से जुड़े मामलों में तमाम भ्रष्टाचार लगाते हुए लम्बे चौड़े बयान जारी किये थे और यही नहीं उन दिनों छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा किया करते थे, आज उसी बिजली सुधार और  बिजली खरीदी के नाम पर करोड़ों रुपये का गोलमाल इस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ है लेकिन पता नहीं कल तक जो नैतिकता की दुहाई देने वाले भाजपा नेताओं को क्या हो गया जो राज्य में उनकी ही सरकार के दौरान एक के बाद एक हो रहे घोटालों पर चुप्पी साधे हुए हैं, मजे की बात यह है कि जिस सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा और संघ से जुड़े नेताओं ने सिंहस्थ के पूर्व चल रहे निर्माण कार्यों को लेकर तमाम गंभीर आरोप लगाए थे,

आज वह भी चुप्पी साधे हुए हैं। खैर सुशासन की दावे करने वाली इस सरकार में किस तरह से कुशासन और भ्रष्टाचार का दौर चल रहा है यदि  प्रदेश में चल रही सभी योजनाओं की किसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच कराई जाए तो शायद ही ऐसी कोई योजना मिलेगी जिसमें भ्रष्टाचार या लक्ष्मी दर्शन का खेल न चला हो, तभी तो यह स्थिति है कि प्रदेश में तीन विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय संस्थाओं, बैंकों को दिए गए भुगतान में ६६१ करोड़ रुपए की गड़बड़ी की है। इसका खुलासा एमपी पावर मैनेजमेंट की रिपोर्ट हुआ है। एक कम्पनी ने तो सरदार सरोवर परियोजना की राशि की बेमियादी ऋण में बदल दिया है।

 पावर मैनेजमेंट कम्पनी की रिपोर्ट के अनुसार एडीबी, एलआईसी हाउसिंग फायनेंस, एमपीआरएसजीवीएस, एमपी को-आपरेटिव बैंक, पीपी बांड, सार्वजनिक ब्रांड के माध्यम से पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा लिए गए लोन और उसके ब्याज के भुगतान में कई गड़बडिय़ां सामने आई हैं। इस मामले में मूल और ब्याज के भुगतान में सामने आई गड़बड़ी को आडिट के माध्यम से सामने लाया गया है। सूत्रों का कहना है कि वितरण कम्पनी द्वारा मूल राशि में १०६.५९ करोड़ रुपए और ब्याज की रकम में १२६.०८ करोड़ रुपए का रिकार्ड सही नहीं दर्ज किया गया। इस मामले में अब सुधार की कार्यवाही की जा रही है। इसी तरह मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने वर्ष २०१४-१५ में ईडी उपकर, सरदार सरोवर परियोजना के ४०३.८९ करोड़ के लोन बेमियादी ऋण में बदल दिया।

पावर मैनेजमेंट की आडिट जांच रिपोर्ट के मुताबिक तीनों ही कंपनियों द्वारा स्थायी सम्पत्तियों, भंडार में रखी जाने वाली सामग्री और अन्य दस्तावेजों के संधारण के मामले में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। रिकार्ड संधारण में कमी की ओर ध्यान दिलाकर इस प्रवृत्ति में सुधार लाने कहा गया है। गुना के स्टोर में तो दो करोड़ ११ लाख रुपए की सामग्री जांच दल को काम मिली है। सप्लायरों औरा ठेकेदारों के व्यक्तिगत लेखों और राजस्व तथा पूंजी व्यय के वर्गीकरण और दर्ज करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं। कम्पनियों के वित्तीय लेनदेन पर प्रभावकारी समन्वय की कमी भी बताई गई है। इस मामले में आपत्ति सामने आने के बाद अब गलती सुधारी जा रही है। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी में भी वित्तीय संस्थाओं और बैंकों को दिएस जाने वाले ब्याज के भुगतान के मामले में २४.५२ करोड़ रुपए की गड़बड़ी की है।  

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