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Saturday, August 20, 2016

वेबसाइट विज्ञापन और घोटालों में क्या कनेक्शन ?

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जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सी.एम. के प्रमुख सचिव एस.के.मिश्रा ने फिर फर्जी वेबसाइट संचालकों को दिए विज्ञापन ? जनसंपर्क आयुक्त ने रोके थे विज्ञापन, घोटाला सामने आने के बाद

वजह फर्जी पत्रकारों के पति, पिता और बेटों की नियमित चापलूसी भरी हाजिरी

सरकार ने पन्द्रह दिन इंतजार क्यों नहीं किया ?

मध्यप्रदेश में बंद पड़ी वेबसाइट न्यूज पोर्टल को सरकार ने बाले वाले लगभग साढ़े बारह करोड़ रूपए बॉटकर घोटाला कर डाला था। नौ माह पूर्व जब विधानसभा में इस घोटाले की जानकारी सामने आई तो सरकार ने हल्ला मचने पर रक्षात्मक तेवर अपना लिए और समूची वेबमीडिया के विज्ञापन बंद कर दिए।

वेबमीडिया के ईमानदारी पूर्वक काम करने वाले संचालकों ने जब सरकार से गुहार लगाई तो नए नवेले जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सकारात्मक पहल करते हुए विज्ञापन जारी करने के निर्देश दिए। हाल ही में दो दिन पूर्व जनसंपर्क विभाग ने 179 वेब मीडिया संचालकों को विज्ञापन जारी किए हैं।

जब घोटाला सामने आया था तब लगभग 230 वेबसाईट, न्यूज पोर्टल को चार साल मे सवा बारह करोड़ रूपए दिए गये थे। जिसमें से लगभग 90 प्रतिशत राशि प्रदेश के बड़े पत्रकारों की फर्जी वेबसाईट को दे दिए गये थे।

इस मामले को सर्वप्रथम उठाने वाली एकमात्र न्यूज पोर्टल खबरनेशन डॉट कॉम ही थी। जिसके बाद इस घोटाले को अंजाम देने वाले बौखला उठे थे।

तब इस प्रश्न को विधानसभा में उठाने वाले कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने यह आरोप लगाया था कि सरकार ने इस घोटाले के माध्यम से व्यापम घोटाले को दबाकर मीडिया की विश्वसनीयता पर चोट पहुँचाई।

बाद में जनसंपर्क विभाग ने वेब मीडिया के लिए नई नीति बनाई। जब इस नीति के अनुरूप जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन ने विज्ञापन जारी करने की कार्यवाही शुरू की तो जनसंपर्क विभाग में पुराने घोटाले के सरगना रहे अतिरिक्त संचालक स्तर के एक अधिकारी और उनके घोटालेबाज साथियों ने राजन के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान छेड़ दिया। सूत्रों के अनुसार राजन कुल 81 वेबसाइट संचालकों को विज्ञापन देने के पक्ष में थे जो शासन द्वारा बनाई नीति के दायरे मे आ रहे हैं।

लेकिन प्रमुख सचिव जनसंपर्क एस.के. मिश्रा जो खुद हाल ही में दलिया घोटालेबाजों के साथ आयकर विभाग की कार्यवाही की जद में आ रहे हैं और जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने वेबसाईट के लिए बनाई गई नीति को स्थगित रखते हुए 179 लोगों को इस शर्त पर विज्ञापन जारी कर दिए गये कि आगामी माह से जनसंपर्क द्वारा बनाई नीति का पालन करने वालों को ही विज्ञापन दिए जाएंगे। नियमानुसार किसी भी नीति को स्थगित करने का फैसला कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही लिया जा सकता हैं।

आखिर इतनी जल्दी क्या थी सरकार को ? महज इसलिए कि अब सिंहस्थ की गड़बड़िया मीडिया में प्रकाशित नहीं होने देना चाहती सरकार या फिर दलिया घोटाले पर बचाव की मुद्रा में हैं सरकार या फिर चापलूसी पत्रकारों के लिए सरकार पूरी मीडिया को बदनाम करने का षड्यंत्र रचती रहेगी।

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