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Tuesday, August 30, 2016

ठेकेदार ने इंजीनियरों से सांठगांठ कर लिया करोड़ों का भुगतान

Toc news
भोपाल।एनवीडीए की इंदिरा सागर परियोजना में भी गड़बड़झाला का मामला प्रकाश में आया है। परियोजना की मुख्य नहर 96.030 किमी से 107. 330 किमी तक डब्ल्यूबीएम रोड, लाइनिंग कार्य और मिट्टी कार्य कागजों पर पूर्ण दर्शाकर ठेकेदार मेसर्स करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रा.लि. को शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा सुरक्षा निधि का एक करोड़ 84 लाख 87 हजार रुपए भी अनुबंध की शर्तों के विपरीत रिलीज कर दिया। एनवीडीए ने इस मामले की जांच इतनी मंथर गति से की कि एक दोषी तत्कालीन ईई एनके तिवारी तो सेवानिवृत्त हो गए और वर्तमान ईई यूके पटसारिया की जांच संबंधित फाइल मुख्य अभियंता सनावद रोहित रंजन ने दबा रखी है।

इंदिरा सागर परियोजना खरगोन की मुख्य नहर 96.030 से 107.330 किमी तक के डब्ल्यूबीएम रोड और मिट्टी और लाइनिंग के अपूर्ण निर्माण कार्य को पूरा बताकर ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। ठेकेदार करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रालि. को लाभ पहुंचाने की मंशा से तत्कालीन कार्यपालनयंत्री एनके तिवारी और वर्तमान कार्यपालन यंत्री यूके पटसारिया ने एमबी (मेजरमेंट बुक) में छेड़छाड़ कर कार्य को पूर्ण बताया। यही नहीं, एनवीडीए के दोनों इंजीनियरों ने एक करोड़ 84 लाख और 87 हजार रुपए की सुरक्षा निधि भी तत्काल रिलीज कर दी, जबकि सुरक्षा निधि की राशि कार्य पूरा होने के छह बाद रिलीज होनी चाहिए थी। दिलचस्प पहलू यह है कि एनवीडीए के उपाध्यक्ष रजनीश वैश्य की समीक्षा बैठक में भी मुख्य नहर की डब्ल्यूबीएम रोड, मिट्टी के कार्य और लाइनिंग कार्य को अपूर्ण बताया गया था। बावजूद इसके, इंजीनियरों ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया।

ठेकेदार से सांठगांठ

जांच प्रतिवदेन में कहा गया है कि एनके तिवारी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, एसके खजरे तत्कालीन सहायक यंत्री (मैदानी क्रमांक-2),एचएन मलगाया उपयंत्री का ठेकेदार से सांठगांठ थी। यही कारण रहा कि एनवीडीए के अधिकारियों ने अपूर्ण कार्य को पूर्ण बताकर 23 अक्टूबर 10 को पूर्ण भुगतान कर दिया और उसकी सुरक्षा निधि की राशि भी रिलीज कर दी। प्रतिवेदन में कहा गया है कि वर्तमान कार्यपालन यंत्री यूके पटसारिया ने भी ठेकेदार की मदद की और प्रभारी खनिज शाखा खरगोन को रायल्टी नहीं बकाया का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया।

... इसलिए ठेकेदार ने काम से खींचे

हाथ करण डेवलपमेंट सर्विसेस प्रा लि. ने प्रतिस्पर्धा की दौड़ में कम दर पर ठेका तो ले लिया था, किन्तु जब जेब से पैसा लगाने की नौबत आई तो घाटे का सौदा देखकर ठेकेदार ने अधूरे काम को अधिकारियों की सांठगांठ से मेजरमेंट बुक में पूरा दर्शाकर अंतिम भुगतान सुरक्षा निधि को भी वापस ले लिया।

इन अधिकारियों ने की थी जांच

अधीक्षण यंत्री नर्मदा विकास मंडल क्रमांक-7 खरगोन तथा मंडल कार्यालय में कार्यरत केएस रावत सहायक यंत्री, ओम प्रकाश सूर्यवंशी अधीक्षक, दामोदर महाजन सहायक वर्ग-एक, एमके टेलर मानचित्रकार एवं आरके गुप्ता ने अपूर्ण कार्यों और उसके भुगतान की जांच की थी।

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