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Wednesday, September 28, 2016

धृतराष्ट्र बन बच्चों के ज्ञान को अधकचरा कर रहे हैं अधिकारी ?

अवधेश पुरोहित @ toc News
भोपाल । महाभारत में धृतराष्ट्र की एक ही कामना के चलते कि उसकी सत्ता बनी रहे ठीक उसी तरह से इस राज्य में भी अधिकारियों की लगभग यही स्थिति हो गई है कि अब उन्हें राज्य के विकास की नहीं बल्कि भ्रष्टाचार किस तरह से हो यही नीति के चलते राज्य में स्थिति यह है कि आज वह इस प्रदेश की सरकार के मुखिया को तो गुमराह तो करने में नौकरशाही लगी हुई है

तो वहीं कुपोषण के शिकार नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के मुंह के निवाले पर डाका डालने का काम भी जोरों पर जारी है और यह सब खेल मुख्यमंत्री के एक चहेते अधिकारी के संरक्षण में चलते हो रहा है तो वहीं उसी अधिकारी के निर्देशन में राज्य के नौनिहालों के ज्ञान को कचरा करने का काम भी जोरशोर से जारी है। जहाँ एक ओर भाजपा के  पितामह की जयंती पर सरकार केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी वर्ष १९१६-२०१६ के अवसर पर उन दोनों विज्ञापनों में से एक विज्ञापन जो कि राज्य के समाचार पत्रों में इम्पैक्ट फीचर के नाम पर जो विज्ञापन जारी किया गया उसमें पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन का स्लोगन दिया गया, पता नहीं इस तरह के अधकचरे ज्ञान देकर राज्य के बच्चों के साथ यह सरकार क्या करने वाली है इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं

तो इन दोनों विज्ञापनों को लेकर भाजपा नेताओं का यह कहना है कि जिनके निर्देशन में राज्य के समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी कराया गया उनके खिलाफ कार्यवाही की जाये और जिस व्यक्ति के इस अधकचरे ज्ञान के चलते यह विज्ञापन जारी किया गया उससे यह पूरी की पूरी राशि वसूली जाने की कार्यवाही की जाये। तो वहीं राज्य सरकार के जिम्मेदार अधिकारी यह कहते नजर आ रहे हैं कि यह उनके द्वारा नहीं बल्कि किसी और के द्वारा किया गया, तो सवाल यह उठता है कि क्या यह सब खेल प्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस नेताओं की कारगुजारी के चलते पं. दीनदयाल की जन्मशताब्दी वर्ष पर जो विज्ञापन जारी किया गया उसमें कारगुजारी की गई तो इसके खिलाफ राज्य सरकार विधिवत एफआईआर दर्ज कराकर इस अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करे।

पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मशताब्दी वर्ष पर राज्य के समाचार पत्रों को जारी किये जाने को लेकर जहां भाजपाईयों में रोष तो है ही तो वहीं धृतराष्ट्र की तरह सत्ता की कामना के लिये पूरे कुनबे को निपटाने की भांति राज्य के जो अधिकारी का उद्देश्य प्रदेश का विकास नहीं बल्कि अपनी तिजोरियां भरने का जो दौर चल रहा है, यदि वह इसमें दोषी पाये जाते हैं तो उनपर भी कार्यवाही की जाये। इस विज्ञापन ने जहां राज्य के कर्ज से लदे खाली खजाने पर बोझ तो बढ़ाया ही है तो वहीं प्रदेश के उन बच्चों के ज्ञान को भी भ्रमित करने का काम भी किया है। यदि यह बच्चे इस विज्ञापन के आधार पर पं. दीनदयाल जी के २५ सितम्बर को पडऩे वाली जन्मशताब्दी वर्ष को परीक्षा में पुण्यतिथि के रूप में उल्लेख करते हैं तो इस भ्रमित विज्ञापन के चलते अधूरे ज्ञान के कारण वह फेल तो होंगे ही और उनके मन मस्तक में भाजपा के पितृपुरुष के जन्म को लेकर जो अधूरा ज्ञान रहेगा उसके परिणाम क्या होंगे,

इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो लोग यह कहते हुए भी नजर आ रहे हैं कि आखिरकार यह विज्ञापन किसके दिशा र्दिेश में जारी हुए, यदि वह प्रदेश के मुखिया के चहेते अधिकारी हैं तो क्या उन पर कार्यवाही होगी या नहीं या फिर यह खेल भी कुपोषण के मामले में बच्चों के निवाले पर डाका डालने वालों को छोडऩे की तरह रफा दफा कर दिया जाएगा ? तो वहीं इन विज्ञापनों को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि यह विज्ञापन में भले ही जन्मतिथि और पुण्यतिथि का फेर दर्शाया गया हो लेकिन इसके बाद भी यह तमाम सवाल खड़े करता है कि राज्य के समाचार पत्रों को जारी होने वाले विज्ञापन भी इसी तरह भ्रमित करने का काम कर रहे हैं, तभी तो राज्य में मुख्यमंत्री की तमाम अच्छी और जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार लोगों में नहीं हो पहुंचा पा रहा है और इस अधिकारियों के अधूरे ज्ञान के चलते ओर धन की लालसा के चलने का दोष संगठन के मुखिया भाजपा के उन देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं पर यह कहकर थोपने से नहीं चूकते कि संगठन से जुड़े नेता और कार्यकर्ता राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनायें आम जनता तक नहीं पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष पर राज्य के समाचार पत्रों में जारी हुए इस विज्ञापन ने यह भी पोल खोलकर रख दी कि मुख्यमंंत्री की जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार इसी विज्ञापन की  तरह होता है तभी तो प्रदेश की आम जनता भ्रम की स्थिति में रहती है और वह तय नहीं कर पाती कि आखिर यह विज्ञापन क्या संदेश देना चाहता है। एक भाजपाई नेता के अनुसार राज्य में आज भी कांग्रेस शासनकाल के दौरान भाजपा हटाओ समिति बनाकर राज्य के समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने वाले लोगों की भरमार है, तभी तो राज्य के समाचार पत्रों को भ्रमित विज्ञापन जारी किये जा रहे हैं और उसका असर आम जन मानस पर नहीं पड़ रहा है तो वहीं यह संदेश भी इस प्रदेश की जनता तक पहुंच रहा है कि राज्य के सत्ताधीश केवल बड़े-बड़े विज्ञापनों में अपनी छवि निखारते ही खुश होकर आत्मसंतुष्टि करने में लगे हुए हैं। शायद यही वजह है कि संघ भाजपा की गिरती साख के प्रति चिंतित दिखाई दे रहा है इसके पीछे जो कारण हैं वह इसी तरह के भ्रमित विज्ञापन ही नजर आ रहे हैं। 

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